नालों की सफाई न होने से मानसून में दिक्कत झेलनी पड़ेगी
गाजियाबाद में मानसून के दौरान नालों की नियमित सफाई न होने से जलभराव की समस्या उत्पन्न हो सकती है। नगर निगम हर साल नालों की सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च करता है, लेकिन अतिक्रमण और सफाई की कमी के कारण...

गाजियाबाद। नालों की सफाई नहीं होने से लोगों को मानसून में दिक्कत झेलनी पड़ सकती है। बड़े नाले गंदगी से अटे हैं। नियमित सफाई नहीं होने और अतिक्रमण के कारण सफाई नहीं हो रही। दो दिन पहले एक घंटे की बारिश में शहर में पानी भर गया था। शहरी क्षेत्र में 82 बड़े नाले हैं। नालों की सफाई निगम का स्वास्थ्य विभाग हर साल करीब चार से पांच करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। तीन बार सफाई होने के बाद ठेकेदार का भुगतान किया जाता है। लेकिन मानसून के दिनों में जलभराव से निगम की पोल खुल जाती है। इस कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है।
कई बड़े नालों की सफाई अभी तक नहीं हुई है। इस कारण मानसून में लोगों को जलभराव से दिक्कत झेलनी पड़ सकती है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि मंगलवार को एक घंटे की तेज बारिश में शहर जलमग्न हो गया था। बाजार और कॉलोनियों में पानी भर गया था। ऐसे में लोगों को परेशानी उठानी पड़ी थी। निगम ने मानसून से पहले बड़े नालों की नियमित रूप से सफाई नहीं कराई तो लोगों को फिर परेशानी उठानी पड़ सकती है। नेहरूनगर, नंदग्राम, मेरठ रोड, नवयुग मार्केट, रमतेराम रोड, हापुड़ रोड, विवेकानंदनगर और विजयनगर क्षेत्र में कई नाले गंदगी से अटे पड़े हैं। वहीं निगम ने शहर में जलभराव वाले 50 स्थान चिन्हित किए हैं।बारिश के दौरान इन सभी स्थानों पर पंपसेट लगाकर जल निकासी कराई जाती है। नियमित सफाई नहीं होने और अतिक्रमण से दिक्कत बड़े नालों की नियमित सफाई नहीं होने और अतिक्रमण के कारण जलभराव रहता है। शहर के बाजार से निकल रहे ज्यादातर नालों पर कब्जा है। दुकानदारों ने पक्का निर्माण कर नालों पर सामान रख लिया है। अतिक्रमण के कारण निगम नालों की सफाई नहीं कर पाता। सख्ती करने पर दुकानदार विरोध करने लगते हैं। बड़े नालों की सफाई नियमित रूप से कराई जा रही है। सफाई के बाद भी ठेकेदार का भुगतान कराया जा रहा है। कुछ जगह अतिक्रमण के कारण नालों की सफाई करने में दिक्कत आ रही है। -डा. मिथिलेश कुमार, नगर स्वास्थ्य अधिकारी
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