एनएमटी में जलभराव से राजीव चौक अंडरपास क्षतिग्रस्त होने का खतरा
- यातायात पुलिस ने अंडरपास के जलभराव से क्षतिग्रस्त होने की आशंका जताई- यातायात पुलिस ने अंडरपास के जलभराव से क्षतिग्रस्त होने की आशंका जताई

गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। मानसून में दिल्ली-जयपुर हाईवे स्थित राजीव चौक पर निर्मित नॉन मोटरेबल ट्रैक (एनएमटी) में जलभराव से अंडरपास क्षतिग्रस्त हो सकता है। यह आशंका पुलिस उपायुक्त, यातायात डॉ. राजेश कुमार मोहन ने जताई है। उन्होंने एनएमटी में पानी निकासी का उचित बंदोबस्त करवाने के लिए जीएमडीए, एनएचएआई और जिला उपायुक्त को पत्र लिखा है। एनएचएआई ने पैदल यात्रियों, साइकिल और बाइक सवार लोगों के लिए राजीव चौक पर एनएमटी बनाया हुआ है। इसके माध्यम से गांव नरसिंहपुर, झाड़सा, ताऊ देवीलाल स्टेडियम, मिनी सचिवालय की तरफ आवागमन होता है। मानसून में एनएमटी पानी से लबालब भर जाता है। जिला प्रशासन की तरफ से एहतियात बरतते हुए इसको बंद कर दिया जाता है।
बता दें कि एनएमटी के निर्माण में करीब 15 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस मामले में एनएचएआई के एक अधिकारी का कहना है कि मानसून में जिला प्रशासन से आग्रह किया जाता है कि एनएमटी को बंद कर दिया जाए। पानी निकासी का बंदोबस्त नहीं एनएचएआई ने एनएमटी में बरसाती नाले बनाए हुए हैं, लेकिन पपिंग मशीनरी के अभाव के कारण पानी निकासी नहीं हो पाती है। इस वजह से यह पानी में डूब जाते हैं। पिछले दिनों हुई बारिश में भी एनएमटी में पानी भर गया था। पैदल यात्रियों की जान को खतरा पुलिस उपायुक्त, यातायात ने पत्र में कहा कि एनएमटी में जलभराव से राजीव चौक अंडरपास क्षतिग्रस्त हो सकता है। इसके साथ मानसून में एनएमटी के अंदर राजीव चौक को पार करने के लिए घुसे व्यक्ति की जान जा सकती है। उन्होंने पत्र में कहा है कि बारिश के पानी की निकासी की व्यवस्था करने के साथ-साथ साफ-सफाई करवाई जाए। लाइट का पर्याप्त बंदोबस्त नहीं एनएमटी में लाइट का पर्याप्त बंदोबस्त नहीं है। बिजली की तार बाहर निकली हुई हैं। जलभराव के दौरान पानी में करंट आ सकता है। इसके अलावा जगह-जगह गंदगी के ढेर एनएमटी के अंदर लगे हुए हैं। कौन करेगा रखरखाव राजीव चौक, मेदांता अस्पताल, सिग्नेचर चौक, इफ्को चौक अंडरपास और एनएमटी के रखरखाव को लेकर एनएचएआई और जीएमडीए के अधिकारी आमने-सामने हैं। एनएचएआई की तरफ से आग्रह किया जा रहा है कि इन्हें देखरेख के लिए जीएमडीए अपने अधीन ले। जीएमडीए के अधिकारी इनमें कमियां निकालकर इन्हें दुरुस्त करवाकर जीएमडीए के सुपुर्द करने की बात कह रहे हैं। इस कारण सही ढंग से इनकी रखरखाव नहीं हो पा रही है।
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