सावधान! अगर नालियों में फेंका इस्तेमाल तेल तो लगेगा एक लाख का जुर्माना, गाजियाबाद निगम की सख्ती
गाजियाबाद के रेस्तरां संचालक और मिठाई की दुकान चलाने वाले दुकानदार इस्तेमाल किए गए तेल को अब नाले-नालियों में नहीं डाल सकेंगे। इसका निस्तारण अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र लगाकर करना होगा। इस्तेमाल तेल से नाले-नालियों चोक हो रही हैं।

गाजियाबाद के रेस्तरां संचालक और मिठाई की दुकान चलाने वाले दुकानदार इस्तेमाल किए गए तेल को अब नाले-नालियों में नहीं डाल सकेंगे। इसका निस्तारण अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र लगाकर करना होगा। इस्तेमाल तेल से नाले-नालियों चोक हो रही हैं। इससे जल निकासी नहीं हो पाती। प्लांट नहीं होने पर निगम और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाएंगे।
शहर में बड़ी संख्या में रेस्तरां और मिठाई की दुकान हैं। इनमें कई नामचीन भी हैं, जिन पर दिनभर भीड़ रहती है। रेस्तरां-मिठाई की दुकान में इस्तेमाल किए तेल के निस्तारण का इंतजाम नहीं है। ऐसे में तेल को इस्तेमाल करने के बाद नाले-नालियों में डाला जा रहा है। इससे नाले-नालियां चोक हो रही हैं। इसके चलते जलनिकासी नहीं हो पाती। पिछले दिनों इस तरह के कई मामले पकड़े गए। हालांकि, सभी को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। नगर निगम का स्वास्थ्य विभाग अब ऐसे मामलों में कार्रवाई की तैयार कर रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, तेल के निस्तारण के लिए पहले चरण में नामी रेस्तरां और मिठाई की दुकान करने वालों को एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट यानी कि अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र लगाना होगा। निगम की टीम मिठाई की बड़ी दुकान और रेस्तरां की सूची तैयार कर रही है। इसके बाद सभी को नोटिस जारी किए जाएंगे। नोटिस जारी कर प्लांट लगाने के लिए कहा जाएगा। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार ने बताया नोटिस जारी करके रेस्तरां और दुकानों का निरीक्षण होगा। तेल निस्तारण के लिए प्लांट नहीं मिलने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम भी जुर्माना लगा सकती है।
इस तरह की व्यवस्था पहली बार की जा रही
शहर में यह व्यवस्था पहली बार होने जा रही है। नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने सभी सफाई निरीक्षक और सुपरवाइजर को निर्देश दिए है कि नाले-नालियों में इस्तेमाल किए गए तेल और कचरा डालने वालों पर सख्ती की जाए। सभी पर जुर्माना लगाया जाए। साथ ही, रेहड़ी-पटरी वालों पर भी कार्रवाई की जाए। रेहड़ी पटरी वाले भी नालों में कचरा डाल रहे हैं।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथिलेश कुमार ने कहा, 'शहर के नामी रेस्तरां और मिठाई की दुकान करने वाले नाले-नालियों में तेल को डाल रहे हैं। इससे नालों की सफाई होने के कुछ दिन बाद वह फिर से चोक हो जाती हैं। दुकानदारों को अब अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र लगाना होगा।'
मानसून के दौरान होती है सबसे ज्यादा दिक्कत
नाले-नालियां बंद होने से जल निकासी नहीं हो पाती। मानसून के दिनों में सबसे ज्यादा परेशानी होती है। बारिश का पानी सड़कों पर भर जाता है। इससे लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। बता दें कि शहर में छोटे और बड़े 550 नाले हैं। इनमें 72 ऐसे बड़े नाले हैं, जो आपस में जुड़े हैं। इनकी सफाई करने के बाद भी जल निकासी नहीं पाती।