एक ट्रैक पर नहीं दौड़ेंगी नमो भारत और मेट्रो? NMRC ने जताई आपत्ति, किस वजह से अटकी बात
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में एक ही ट्रैक पर नमो भारत ट्रेन (रैपिड रेल) और मेट्रो चलने को लेकर अटकाव आ गया है। नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एनएमआरसी) ने दोनों को एक ही ट्रैक पर चलाने को लेकर असहमति जताई है। ऐसे में इस रूट पर मेट्रो चलने में देरी होगी।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में एक ही ट्रैक पर नमो भारत ट्रेन (रैपिड रेल) और मेट्रो चलने को लेकर अटकाव आ गया है। नोएडा मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एनएमआरसी) ने दोनों को एक ही ट्रैक पर चलाने को लेकर असहमति जताई है। ऐसे में इस रूट पर मेट्रो चलने में देरी होगी। एनएमआरसी का पक्ष है कि दोनों का संचालन अलग-अलग ट्रैक पर होना चाहिए।
पिछले दिनों मंत्रालय स्तर पर हुई बैठक में यह पक्ष एनएमआरसी अधिकारियों की तरफ से रखा गया। तर्क दिया गया कि मेट्रो का संचालन 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से होता है, जबकि नमो भारत ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे या इससे भी तेज चलती है। ऐसे में मेट्रो या नमो भारत दोनों का संचालन एक साथ हो पाना मुश्किल है। अब अंतिम निर्णय मंत्रालय स्तर पर लिया जाएगा। इस रूट की डीपीआर मंजूरी की प्रक्रिया केंद्र सरकार के स्तर पर अटकी हुई है।
एक्वा मेट्रो के नोएडा के सेक्टर-51 स्टेशन से नॉलेज पार्क-5 तक नई लाइन पर मेट्रो लाइन का काम शुरू किया जाना प्रस्तावित है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट होते हुए यह मेट्रो रूट गुजरेगा। वहीं, गाजियाबाद में चल रही नमो भारत ट्रेन को नोएडा एयरपोर्ट से जोड़ा जाना है। दोनों रूट, ग्रेटर नोएडा वेस्ट से गुजरने हैं। ग्रेनो वेस्ट से नॉलेज पार्क-5 तक दोनों के लिए एक ही ट्रैक बनाया जाए। एक्वा मेट्रो की डीपीआर मंजूरी के लिए केंद्र में मंत्रालय स्तर पर है। इसको ब्लू लाइन मेट्रो के सेक्टर-61 स्टेशन से जोड़ा जाएगा। यहां पर एक्वा लाइन का भी स्टेशन बनने से कॉमन प्लेटफॉर्म बन जाएगा।
केंद्र सरकार ने डीपीआर लौटाई थी
केंद्र सरकार ने नोएडा एयरपोर्ट को ग्रेटर नोएडा के रास्ते गाजियाबाद तक जोड़ने वाली नमो भारत की डीपीआर को आपत्तियों के साथ लौटा दिया था। इसमें भी एक ही ट्रैक पर मेट्रो, रैपिड और लाइट ट्रांजिट रेल चलने के प्रस्ताव पर आपत्ति लगाई गई थी। राज्य सरकार ने इन आपत्तियों के निपटारे की जिम्मेदारी एनसीआर प्लानिंग बोर्ड को सौंपी है, जिस पर काम चल रहा है।
दोनों के कोच और ट्रैक की क्षमता में अंतर
मेट्रो कोच का वजन करीब 42 टन (प्रति कोच) ओर नमो भारत के हर कोच का वजन लगभग 60 टन का होता है। भार क्षमता के हिसाब से एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण होता है। मेट्रो के लिए कम भार के ट्रैक का निर्माण होता है। वहीं, नमा भारत के ट्रैक को ज्यादा भार क्षमता का बनाने के लिए लागत भी ज्यादा आती है, इसलिए दोनों का संचालन एक ट्रैक पर करने के लिए यह रूट तैयार करना होगा। इसके अलावा सिग्नलिंग सिस्टम भी दोनों के लिए अलग-अलग स्थापित करना होगा।