April 2025 Records Second Hottest Temperature Amidst Global Warming Crisis जलवायु संकट गहराया, अप्रैल में दुनिया फिर झुलसी, Delhi Hindi News - Hindustan
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जलवायु संकट गहराया, अप्रैल में दुनिया फिर झुलसी

-अप्रैल 2025 अब तक का दूसरा सबसे गर्म अप्रैल -तापमान बढ़ने से चेतावनी के संकेत,

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 8 May 2025 02:58 PM
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जलवायु संकट गहराया, अप्रैल में दुनिया फिर झुलसी

नई दिल्ली, एजेंसी। दुनिया में गर्मी का असर लगातार बढ़ रहा है। अप्रैल 2025 अब तक का दूसरा सबसे गर्म अप्रैल रहा। इस महीने का औसत तापमान 14.96 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो कि 1991 से 2020 के औसत से 0.60 डिग्री ज्यादा था। यूरोप की मौसम एजेंसी ‘कोपर्निकस की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 का तापमान औद्योगिक क्रांति से पहले के समय (1850-1900) से 1.51 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। यह लगातार 21वां महीना है, जब दुनिया का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते में सभी देशों ने मिलकर वादा किया था कि धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढ़ने देंगे।

लेकिन 2024 वह पहला साल बना जब पूरे साल का औसत तापमान इस सीमा से ऊपर गया था। तापमान में लगातार बढ़ोतरी बीते 12 महीनों (मई 2024 से अप्रैल 2025 तक) में धरती का औसत तापमान 1991-2020 के औसत से 0.70 डिग्री ज्यादा और औद्योगिक युग से पहले से 1.58 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। इसका साफ मतलब है कि ग्लोबल वॉर्मिंग लगातार तेज हो रही है। एजेंसी की उप निदेशक समांथा बर्गेस ने कहा कि दुनिया में अब हर महीने का तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है। अप्रैल 2025 भी इसी कड़ी में दूसरा सबसे गर्म रहा। हमें लगातार जलवायु की निगरानी करनी होगी, तभी समाधान निकाल पाएंगे। समुद्र भी हो रहे गर्म -अप्रैल 2025 में समुद्री सतह का औसत तापमान 20.89 डिग्री सेल्सियस रहा जो इस महीने के लिए अब तक का दूसरा सबसे ऊंचा तापमान है। -उत्तर अटलांटिक महासागर में समुद्र का पानी सामान्य से काफी ज्यादा गर्म रहा। आर्कटिक (उत्तर ध्रुव) में अप्रैल में समुद्री बर्फ का क्षेत्र औसत से तीन फीसदी कम रहा। यह अब तक के रिकॉर्ड में छठा सबसे कम है। इसलिए हो रही है इतनी गर्मी वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव गतिविधियां खासतौर पर तेल, गैस और कोयले जैसे ईंधन जलाने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसें बढ़ रही हैं। ये गैसें धरती की गर्मी को रोक लेती हैं जिससे तापमान बढ़ता है। इसी वजह से अब ज्यादा बाढ़, सूखा, तूफान और गर्मी देखने को मिल रही है।

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