बटला हाउस इलाके में तोड़फोड़ नोटिस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बटला हाउस इलाके में कथित अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए जारी नोटिस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। याचिकाकर्ता डीडीए द्वारा जारी सामान्य...

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दक्षिण पूर्वी दिल्ली के ओखला के बटला हाउस इलाके में कथित अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने के लिए जारी किए गए नोटिस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति तेजस करिया की पीठ ने याचिकाकर्ताओं व दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रखा है। पीठ हिना परवीन, जीनत कौसर, रुखसाना बेगम और निहाल फातिमा आदि की तरफ से दायर याचिकाओं पर विचार कर रही है। हिना परवीन व अन्य की तरफ से अधिवक्ता सोनिका घोष, अनुराग सक्सेना व गुरमुख दास कोहली पेश हुए।
याचिका में यह कहा गया है कि डीडीए ने सामान्य नोटिस जारी किया है, खसरा संख्या 279 में आने वाली संपत्तियों का कोई स्पष्ट सीमांकन नहीं है। इस खसरा में सभी संपत्तियां अवैध नहीं हैं। दूसरी तरफ डीडीए के स्थायी वकील ने याचिकाओं का विरोध किया। याचिकाएं 6 जून की हैं और हलफनामे 3 जून के हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता लंबे समय से यहां रह रहे हैं। उन्होंने इसे बिल्डर से खरीदा है। यह भी कहा गया कि 2 बीघा और 10 बिस्वा पर अवैध संपत्तियों को ध्वस्त करने का आदेश है। खसरा नंबर 279 में 34 बीघा जमीन है। वहां सभी संपत्तियां अवैध नहीं हैं। निहाल फातिमा व अन्य के मामले में डीडीए ने कहा कि कोई शीर्षक दस्तावेज नहीं है। दस्तावेजों को पेंडेंसी व आदेश पारित करने के दौरान निष्पादित किया गया था। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि वे वर्ष 1980-82 से वहां रह रहे हैं। 30 साल से लोग वहां रह रहे हैं। इससे पहले उच्च न्यायालय ने बाटला हाउस के कुछ निवासियों को सुरक्षा प्रदान की थी, जिन्होंने डीडीए द्वारा जारी नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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