एलएसआर कॉलेज में शुरू हुआ गीता और मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि पर कोर्स
-समर स्कूल 2025 के तहत शुरू किया गया दूसरा पाठ्यक्रम नई दिल्ली। एलएसआर कॉलेज में शुरू हुआ गीता और मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि पर कोर्स

नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर विमेन (एलएसआर) में सोमवार को समर स्कूल 2025 के तहत दूसरे प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम ‘टाइमलेस लेसंस – गीता एंड साइकोलॉजिकल इनसाइट्स का शुभारंभ हुआ। ‘विरासत: टैपेस्ट्रीज़ ऑफ इंडियन कल्चर शीर्षक के अंतर्गत आयोजित यह 10 दिवसीय ऑनलाइन कोर्स 16 जून से 26 जून तक चलेगा। इसमें भाग लेने वाले छात्र गीता के शाश्वत संदेशों के जरिए आत्मचिंतन और मानसिक स्वास्थ्य के गूढ़ सूत्रों को समझेंगे। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कॉलेज की कार्यवाहक प्राचार्य प्रो. कनिका आहूजा ने गीता की दार्शनिक परंपरा और वर्तमान समय में उसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष पहलगाम आतंकी हमला, इजराइल-ईरान युद्ध और अहमदाबाद एयर क्रैश जैसे हादसों ने हमें यह अहसास कराया है कि हमारी स्थिरता और भविष्य की गारंटी कितनी भ्रामक हो सकती है। ऐसे समय में गीता के शाश्वत संदेश हमें हर परिस्थिति में स्थिर और सजग रहने की प्रेरणा देते हैं। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पूर्व राजनयिक पवन वर्मा ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत को अपनाए बिना हम उपनिवेशवाद की मानसिकता से मुक्त नहीं हो सकते। गीता, उपनिषद जैसे प्राचीन ग्रंथ आज के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन की जटिलताओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण औजार हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज के युवाओं को भारतीय संस्कृति की गहराई और व्यापकता को बिना संकीर्ण दृष्टिकोण के समझने की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में आई प्रो. उर्मी विश्वास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण दुनिया के पहले पीयर काउंसलर थे। गीता सकारात्मक मनोविज्ञान का जीवंत उदाहरण है, जो आधुनिक जीवन की कुंठाओं से उबरने में हमारी मदद करती है। उन्होंने कहा कि गीता हमें मानसिक विक्षोभ से बाहर निकालने, इंद्रिय जगत की सीमाओं को समझने और अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की कला सिखाती है।
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