ग्राहकों को डरा या ललचाकर जेब ढीली नहीं कर पाएंगी ऑनलाइन कंपनियां
केंद्र सरकार ने ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले 13 प्रकार के भ्रामक डिजाइन की पहचान की है। कंपनियों को तीन महीने के भीतर अपने वेबसाइट डिज़ाइन में सुधार करने का निर्देश दिया गया है।...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। बहुत जल्द कोई भी कंपनी अपनी वेबसाइट के भ्रामक डिजाइन के जरिए आपको डराकर, सामान खत्म होने का भय दिखाकर और दान के नाम पर आपकी इच्छा के विरुद्ध या भ्रमित कर कोई निर्णय लेने या बिना बताए कोई राशि वसूल नहीं कर पाएगी। केंद्र सरकार ई कॉमर्स सहित तमाम तरह की कंपनियों के भ्रमित डिजाइन को लेकर गंभीर है। सरकार का मानना है कि तीन माह के अंदर ज्यादातर कंपनियों को अपनी वेबसाइट के इस तरह के भ्रामक डिजाइन को बदलना होगा। कंपनियां ऐसा करने में विफल रहती है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई लगभग तय है।
कंपनियां ऐसे करती हैं उपभोक्ता को गुमराह उपभोक्ता मंत्रालय ने ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा उपयोग किए जा रहे 13 तरह के डार्क पैटर्न की पहचान की है। मसलन, आप किसी वेबसाइट के जरिए होटल में कोई कमरा बुक करना चाहते हैं। वेबसाइट बताती है कि सिर्फ दो कमरे बचे हैं और दो दर्जन से अधिक लोग इस वक्त कमरा तलाश कर रहे हैं। आपने कोई कैब बुक की या किसी वेबसाइट से सामान खरीदा तो वेबसाइट खुद आपके कार्ट (खरीदारी की फेहरिस्त) में दान के तौर पर कुछ राशि जोड़ देती है। कई बार कंपनियां आपको डराकर पैसा वसूलती हैं। आप ने किसी वेबसाइट के जरिए हवाई या किसी अन्य यात्रा के लिए टिकट बुक किया। वह फौरन आपको इंश्योरेंस लेने के लिए मजबूर करेगी। आपसे पूछा जाएगा कि आप अपनी यात्रा को सुरक्षित बनाना चाहते हैं या आप जोखिम लेकर यात्रा करना चाहते हैं या आप जोखिम लेंगे। ऐसे में कई बार उपभोक्ता डरकर इंश्योरेंस खरीद लेते हैं। कई वेबसाइट आपको अपनी पूरी जानकारी देने या उन्हें सब्सक्राइब करने के भी मजबूर करती हैं। कई बार सामान की कम कीमत दिखाकर पैकिंग और शिपिंग चार्ज के नाम पर पैसे वसूलते हैं। लोकल सर्कल्स के एक सर्वे के मुताबिक ऑनलाइन इंश्योरेंस खरीदने वाले 61 फीसदी उपभोक्ता सब्सक्रिप्शन ट्रैप का शिकार हुए हैं। 1. कम उपलब्धता का बहाना- उपयोगकर्ता जब कोई चीज खरीदना चाहे, तो उसकी उपलब्धता कम बताते हुए यह दिखाना की कई दूसरे ग्राहक भी इसे खरीदना चाह रहे हैं। 2. बास्केट स्नीकिंग-उपयोगकर्ता की सहमति के बिना शॉपिंग कार्ट में अतिरिक्त उत्पाद जोड़ना और उसकी उपयोगिता बताना। 3. शर्मिंदा करना- उपभोक्ताओं में शर्मिंदगी की भावना पैदा कर उन्हें दान देने या प्लेटफॉर्म से कोई उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करना। 4. जबरन कार्रवाई- उपभोक्ता को उत्पाद या सेवा का उपयोग जारी रखने से तब तक रोकना, जब तक वह उच्च दर या शुल्क के लिए अपग्रेड नहीं करे। 5. परेशान करना- उपयोगकर्ता को उस वक्त तक रुकावट पैदा करना जब तक उससे कोई वाणिज्यिक लाभ नहीं कमाया जा सके। वह कोई सेवा सब्सक्राइब न कर ले। 6. सदस्यता जाल- किसी सशुल्क सब्सक्रिप्शन को रद्द करने की प्रक्रिया को जटिल और लंबी प्रक्रिया बना देना। सब्सक्रिप्शन रद्द करने के विकल्प को छिपाना। 7. इंटरफेस हस्तक्षेप- वेबसाइट के डिजाइन में हेरफेर कर कुछ जानकारियों को खासतौर उभार देना और कई दूसरी अहम जानकारियों को छुपाना। 8. ललचाना, फिर महंगा उत्पाद देना- उपयोगकर्ता को कम कीमत किसी उत्पाद या सेवा का विज्ञापन करना, जब वह उसे खरीदना चाहे है, तो उसे स्टॉक में नहीं होने की जानकारी देते हुए महंगा सामान खरीदने के लिए प्रेरित करना। 9. कीमत का झांसा- किसी सामान की कम कीमत दिखाना, पर जब ग्राहक उसे खरीदने आए, तो अन्य खर्चे जोड़कर उसे मंहगी कीमत पर बेचना। 10. छद्म विज्ञापन- छद्म विज्ञापन ऐसे विज्ञापन होते हैं, जिन्हें अन्य प्रकार की सामग्री की तरह दिखने के लिए डिजाइन किए जाते हैं। ताकि, ग्राहक गुमराह हो सके। 11. सास बिलिंग- यह एक तरह का सॉफ्टवेयर होता है। इसके तहत तीस दिन फ्री सब्सक्रिप्शन का लालच देकर आपके डेबिट कार्ड आदि की जानकारी ले ली जाती है। बाद में सब्सक्रिप्शन के पैसे काट लिए जाते हैं। 12. उलझे सवाल- कई वेबसाइट उपभोक्ताओं को कुछ इस अंदाज लिखकर में हां या न करने के विकल्प देती है कि दोनों स्थिति में उपयोगकर्ता को हां करनी पड़ती है। 13. स्पैम मेलवेयर - यह एक तरह खतरनाक सॉफ्टवेयर है। यह उपयोगकर्ता को विश्वास दिलाता है कि उनके कंप्यूटर में वायरस है। उन्हें नकली सुरक्षा सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए प्रेरित करता है। भ्रामक डिजाइन (डार्क पैटर्न) एक अनुचित व्यापार है। यह विक्रेता द्वारा किसी गलती की वजह से नहीं हुआ है। यह ई कॉमर्स कंपनियों ने सोची समझी रणनीति के तहत किया है। सरकार इसको लेकर गंभीर है। सीसीपीए इन मामलों को बहुत गहराई से देख रही है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। - निधि खरे, सचिव, उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय
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