भविष्य में स्थानीय भारतीय भाषाएं शिक्षा का माध्यम होंगी: प्रधान
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आने वाले वर्षों में स्थानीय भारतीय भाषाएं शिक्षा का माध्यम बनेंगी। उन्होंने इंदौर में बैठक में बताया कि आईआईटी जैसे संस्थान स्थानीय भाषाओं में कोर्स...

नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आने वाले वर्षों में स्थानीय भारतीष भाषाएं शिक्षा का माध्यम होंगी। शुक्रवार को इंदौर में संसद की परामर्शदात्री समिति की एक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बात कही। बैठक में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर मंथन हुआ। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थान स्थानीय भाषाओं में कोर्स लाने लगे हैं। सरकार की प्राथमिकता भारतीय भाषाओं में किताबे उपलब्ध कराना है। तकनीक और एआई के जरिए शिक्षा से जुड़ी सामग्री का अनुवाद किया जा रहा। इससे देश के ग्रामीण अंचलों से आने वाले छात्र और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्र तकनीक के जरिए अपनी भाषा में आसानी से अपनी शिक्षा पूरी कर सकेंगे।
बैठक में मौजूद सांसदों ने मंत्रालय द्वारा ‘भाषा संगम के तहत 100 वाक्य 22 भाषाओं में सिखाने वाली सामग्री का भी स्वागत किया। 1369 तरह की भाषाओं का पता स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने समिति को बताया कि 1369 तरह की भाषाओं का पता चला है जिसे 121 भाषाओं में वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने बताया कि दस हजार से अधिक लोग इन भाषाओं को देश के अलग-अलग हिस्से में लोग बोलते हैं। 121 भाषाओं में 22 भाषाओं को संविधान के आठवें संस्करण में लिखा भी गया है। अन्य 99 भाषाओं की पहचान नहीं है लेकिन 10 हजार लोग इसे बोलते हैं।
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