सुप्रीम कोर्ट की इन हाऊस कमेटी के समक्ष दर्ज सकता है जस्टिस वर्मा का बयान
प्रभात कुमार नई दिल्ली। घर में लगी आग बुझाने के दौरान भारी मात्रा में नकदी

प्रभात कुमार नई दिल्ली।
घर में लगी आग बुझाने के दौरान भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले की जांच के लिए गठित इन हाउस कमेटी के समक्ष अपना बयान दर्ज करा सकते हैं। जस्टिस वर्मा के घर से आग बुझाने के दौरान भारी मात्रा में अधजली नोट बरामद होने की जांच के लिए देश प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने 22 मार्च को 3 अलग-अलग उच्च न्यायालयों के जजों की इन हाउस कमेटी गठित की थी।
सूत्रों ने बताया कि जस्टिस वर्मा शुक्रवार को कमेटी के समक्ष अपना बयान दर्ज कराएंगे। बताया गया कि समिति ने उन्हें शुक्रवा को बयान दर्ज कराने के लिए कहा है। माना जा रहा है कि जस्टिस वर्मा समिति के समक्ष अपना वही बयान दोहराऐंगे, जो उन्होंने मामले की प्रारंभिक जांच के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय के समक्ष दिया था। मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अपने बयान में जस्टिस वर्मा ने कहा था कि ‘14 मार्च को उनके अधिकारिक आवास के परिसर के स्टोर रूम में लगी आग बुझाने के दौरान कथित तौर पर मिली नकदी से उनका और उनके परिवार के किसी सदस्य का कोई लेना देना नहीं है। वीडियो और तस्वीरों को दिखाए जाने पर उन्होंने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अपने खिलाफ किसी साजिश की आशंका जाहिर की थी। सूत्रों ने यह भी बताया कि बयान दर्ज कराने के दौरान समिति के सदस्य जस्टिस वर्मा से कुछ सवाल भी करेंगे और वीडियो एवं तस्वीरों से आमना सामना कराया जाएगा। बताया जा रहा है कि इसके बाद समिति उनके परिवार के सदस्यों से भी इस मामले में बात कर सकती है, खासकर उन सदस्यों से जो आग लगने की घटना के दिन आवास में मौजूद थे। जिस दिन घर में आग लगी थी, उस जस्टिस वर्मा दिल्ली से बाहर थे।
जस्टिस यशवंत वर्मा समिति के समक्ष बयान दर्ज कराने से पहले वरिष्ठ वकीलों से कानूनी राय ले रहे थे। उन्होंने बुधवार को वरिष्ठ वकीलों की टीम से अपने आवास पर मुलाकात की और आगे की रणनीति चर्चा की थी। सूत्रों के मुताबिक समिति ने गुरुवार को इस मामले में अग्निशमन विभाग के प्रमुख और अन्य अधिकारियों का बयान दर्ज किया है।
सीजेआई खन्ना ने मामले में प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मिलने के बाद, शनिवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन की समिति गठित की थी। समिति ने मंगलवार को जस्टिस वर्मा के 30 तुगलक क्रिसेंट रोड स्थित आवास के उस हिस्से का मुआयना किया था, जहां आग लगी थी।
पुलिस आयुक्त भी दर्ज करा सकते हैं बयान
सूत्रों ने बताया कि शुक्रवार को ही, दिल्ली पुलिस आयुक्त का भी बयान दर्ज हो सकता है क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले जस्टिस वर्मा के घर में आग बुझाने के दौरान अधजली नोट मिलने के के बारे में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को फोन पर सूचना दी थी। पुलिस आयुक्त ने ही, मुख्य न्यायाधीश को घटना की तस्वीरें और वीडियो मुहैया कराई थी। इसके अलावा, समिति आग बुझाने के दौरान मौके पर गए पुलिस के अन्य अधिकारियों और कर्मियों का बयान भी दर्ज करेगी।
बढ़ रहा है जस्टिस वर्मा का विरोध, 6 हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने स्थानांतरण पर रोक लगाने की मांग की
घर से अधजले हालत में बड़े पैमाने पर नकदी मिलने के मामले में अब जस्टिस यशवंत वर्मा का विरोध तेजी से बढ़ रहा है। गुरुवार को छह हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल ने देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना से मुलाकात कर जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने का आग्रह किया। बैठक में सीजेआई खन्ना के अलावा कॉलेजियम के अन्य सदस्यों जस्टिस बीआर गवई, सूर्यकांत, अभय एस. ओका और विक्रम नाथ भी मौजूद थे।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बैठक खत्म होने के बाद मीडिया को बताया कि सीजेआई खन्ना ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के स्थानांतरण की कॉलेजियम की सिफारिश को वापस लेने की उनकी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है। अधिवक्ता तिवारी ने कहा कि उन्होंने (कॉलेजियम सदस्यों ने) बार निकायों के ज्ञापन पर विचार-विमर्श किया और उनकी मांग पर विचार करने का भरोसा दिया। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन इस बात पर पुनर्विचार करेगा कि अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखी जाए या नहीं। नकदी प्रकरण के बाद न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल उच्च न्यायालय यानी इलाहाबाद में स्थानांतरित करने की कॉलेजियम की सिफारिश के बाद से वहां अधिवक्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।
बैठक से पहले दिन में इलाहाबाद, गुजरात, केरल, जबलपुर, कर्नाटक और लखनऊ उच्च न्यायालयों के बार संघों के प्रतिनिधि मंडल ने सीजेआई कार्यालय को एक ज्ञापन सौंपा और उनसे (सीजेआई) से मिलने के लिए समय मांगा था।
न्यायिक न्यायिक कार्य के साथ-साथ प्रशासनिक कार्य भी वापस लेने की मांग
उच्च न्यायालयों के बार संघों ने सीजेआई को दिए अपने ज्ञापन में जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य के अलावा प्रशासनिक कार्य भी वापस लेने का आग्रह किया है। हालांकि न्यायिक कार्य से पहले ही जस्टिस वर्मा को अलग कर दिया गया है। बार संघों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने की मांग करते हुए, साक्ष्यों से छेड़छाड़ का भी मुद्दा उठाया।
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