जस्टिस वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग पर तत्काल सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया। याचिका में उनके सरकारी आवास पर आग...

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को तत्काल सुनवाई लिए सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया। याचिका में, जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास में लगी आग बुझाने के दौरान बड़े पैमाने पर नकदी मिलने के आरोपों में आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश देने की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा से इस मामले का उल्लेख करते हुए, याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आग्रह किया।
इस पर मुख्य न्यायाधीश गवई ने उनसे कहा कि ‘कृपया मामले का उल्लेख करने के लिए तय प्रक्रिया का पालन करें। दरअसल, पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना ने मामले को सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए पीठ के समक्ष उल्लेख करने की प्रक्रिया में बदलाव कर दिया था। जिसके तहत यह प्रक्रिया तय की गई थी कि किसी भी याचिका पर जल्द सुनवाई या सूचीबद्ध करने के लिए पीठ के समक्ष मौखिल उल्लेख को स्वीकार नहीं किया जाएगा। साथ हीं, किसी मामले का उल्लेख करने के लिए ई-मेल करने और रजिस्ट्री से संपर्क करने की प्रक्रिया तय थी। मुख्य न्यायाधीश गवई ने भी अधिवक्ता से मामले का उल्लेख करने के लिए तय प्रक्रिया का पालन करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में जस्टिस वर्मा के घर लगी आग बुझाने के दौरान भारी मात्रा नकदी मिलने के मामले में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ‘चूंकि अब इस मामले में इन-हाउस केमटी की जांच पूरी हो चुकी है और देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को एक रिपोर्ट सौंप दी गई है, जिसमें आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया गया है। याचिका में कहा गया है कि सीजेआई ने रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज दी है, इसलिए इन परिस्थितियों में, मामले की आपराधिक जांच जरूरी है। अधिवक्ता नेदुम्परा ने मार्च माह में भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जस्टिस वर्मा के घर नकदी मिलने के लिए गठित 3 जजों की समिति को चुनौती देते हुए, इसकी नियमित आपराधिक जांच शुरू करने की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए उनकी रिट याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि याचिका समय से पहले है और आंतरिक जांच के परिणाम का इंतजार करना होगा। नये सिरे से दाखिल याचिका में कहा गया है कि चूंकि अब जांच पूरी हो गई है और कमेटी ने आरोपों की पुष्टि की है। ऐसे में अब इस मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच किए जाएं। सीजेआई संजीव खन्ना ने कमेटी की रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से करते हुए, जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की है। उन्होंने यह कदम तब उठाया, जब जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया। फिलहाल जस्टिस वर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज हैं।
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