Supreme Court Warns UP Government Against Hijacking Private Disputes बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन मामले में यूपी सरकार को फटकार, Delhi Hindi News - Hindustan
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बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन मामले में यूपी सरकार को फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है कि वह निजी पक्षों के विवादों में हस्तक्षेप कर रही है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से कानून का शासन खत्म हो जाएगा। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 27 May 2025 09:49 PM
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बांके बिहारी मंदिर प्रबंधन मामले में यूपी सरकार को फटकार

सरकार द्वारा निजी पक्षों के विवाद ‘हाईजैक करने से खत्म हो जाएगा कानून का शासन : शीर्ष कोर्ट नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर दो निजी पक्षों के बीच मुकदमे को ‘हाईजैक करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि राज्य सरकार पक्षों के बीच निजी विवाद में इस तरह से प्रवेश करना शुरू करती है तो इससे कानून का शासन खत्म हो जाएगा। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि क्या मौजूदा मामले की कार्यवाही में राज्य सरकार पक्षकार था? आखिर राज्य सरकार ने किस हैसियत से इस मामले में प्रवेश किया है? जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि राज्य सरकार निजी मुकदमे को हाईजैक नहीं कर सकती है।

उन्होंने कहा कि दो पक्षों के बीच निजी विवाद में राज्य द्वारा पक्षकार बनने के लिए आवेदन दाखिल करना और फिर पूरे मामले को हाईजैक करना स्वीकार्य नहीं है। पीठ ने कहा कि यदि सरकार इस तरह से निजी विवादों को हाईजैक करेगी तो कानून का शासन खत्म हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट मथुरा में श्री बांके बिहारी मंदिर के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की प्रस्तावित पुनर्विकास योजना को मंजूरी देने वाले अपने आदेश में संशोधन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की। हमें पक्षकार बनाए बिना फैसला कर दिया : याचिकाकर्ता शुरुआत में याचिकाकर्ता देवेंद्र नाथ गोस्वामी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि हमें पक्षकार बनाए बगैर ही उत्तर प्रदेश सरकार को 300 करोड़ रुपये की धनराशि देने का फैसला पारित कर दिया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने कहा कि अदालत एक अन्य याचिका में आदेश देकर कैसे निर्देश दे सकती है कि एक निजी मंदिर की कमाई राज्य को सौंप दी जाए। मंदिर प्रबंधन के लिए ट्रस्ट बनाया दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि राज्य सरकार ने प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन और प्रस्तावित कॉरिडोर के काम की देखरेख के लिए एक ट्रस्ट बनाया है। राज्य सरकार ने पीठ से कहा कि अधिनियम के तहत पूरी धनराशि ट्रस्ट के पास होगी, न कि सरकार के पास। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के वकील से ट्रस्ट के बारे में पारित अध्यादेश की एक प्रति याचिकाकर्ता को देने का निर्देश दिया। साथ ही यूपी सरकार के संबंधित प्रमुख सचिव को 29 जुलाई तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। शीर्ष कोर्ट ने मंदिर के धन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी सुप्रीम कोर्ट ने 15 मई को मथुरा-वृंदावन आने वाले श्रद्धालुओं को समुचित सुविधाएं मुहैया कराने के लिए श्री बांके बिहारी कॉरिडोर को विकसित करने की राज्य सरकार की योजना को मंजूरी दे दी थी। साथ ही इसके लिए मंदिर के आसपास की जमीन को अधिग्रहित करने के लिए मंदिर के धन के इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी थी। अधिग्रहित जमीन मंदिर के नाम पर होने की शर्त शीर्ष अदालत ने इस शर्त पर यूपी सरकार को मंदिर के खजाने के इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी कि अधिग्रहित जमीन मंदिर के नाम पर होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मंदिर के आसपास 5 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना था और पार्किंग स्थल, भक्तों के लिए आवास, शौचालय, सुरक्षा जांच चौकियां और अन्य सुविधाओं का निर्माण करके उसका विकास किया जाना था। परियोजना का कार्यान्वयन व्यावहारिक रूप से संभव नहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संशोधन की मांग करते हुए 19 मई को, गोस्वामी ने एक याचिका दाखिल की। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि प्रस्तावित पुनर्विकास परियोजना का कार्यान्वयन व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मंदिर के कामकाज और प्रबंधन से ऐतिहासिक रूप से जुड़े लोगों की भागीदारी के बिना मंदिर परिसर के पुनर्विकास के किसी भी प्रयास से प्रशासनिक अराजकता पैदा होने की संभावना है। धार्मिक और सांस्कृतिक चरित्र बदलने का है जोखिम याचिका में दावा किया गया कि इस तरह के पुनर्विकास से मंदिर और उसके आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र के आवश्यक धार्मिक और सांस्कृतिक चरित्र को बदलने का जोखिम है, जिसका गहरा ऐतिहासिक और भक्ति महत्व है।

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