नोएडा-ग्रेटर नोएडा की 100 जगहों पर होगी मॉकड्रिल, देर शाम ब्लैक आउट भी होगा
गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद गौतमबुद्ध नगर जिले में भी मॉकड्रिल होगी। पहले जिले को सूची में शामिल नहीं किया गया था,लेकिन यूपी के डीजीपी के आदेश के बाद पुलिस मंगलवार को तैयारियों में जुट गई।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान में जारी तनाव के बीच मेट्रो स्टेशन,मॉल,स्कूल,होटल,विश्वविद्यालय समेत जिले के 100 से अधिक स्थानों पर बुधवार को मॉकड्रिल होगी। सीआईएसएफ के साथ एनटीपीसी दादरी में मुख्य रूप से तैयारियां परखी जाएंगी। गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद गौतमबुद्ध नगर जिले में भी मॉकड्रिल होगी।
पहले जिले को सूची में शामिल नहीं किया गया था,लेकिन यूपी के डीजीपी के आदेश के बाद पुलिस मंगलवार को तैयारियों में जुट गई। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मॉकड्रिल के लिए करीब पांच सौ पुलिसकर्मियों को लगाया जाएगा। मॉकड्रिल सुबह दोपहर 11 बजे से होगी, जो कई घंटे तक चलेगी। सड़कों पर भी अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी।
प्रशासन,पुलिस,फायर ब्रिगेड,मेडिकल टीम और अन्य विभागों की इसमें भागीदारी होगी। आपसी समन्वय स्थापित कर टीमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगी कि किसी हमले या आपदा के समय सभी एजेंसियां एक-दूसरे से तालमेल बनाकर तेजी से काम कर सकें। जिले में मेट्रो स्टेशनों पर होने वाली ड्रिल में सीआईएसएफ (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) की टीमें भी शामिल रहेंगी।
इसी तरह,स्कूलों और मॉल में प्रशासन की टीमें और अन्य सुरक्षा एजेंसियां संयुक्त रूप से ड्रिल करेंगी। नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन (एनटीपीसी) दादरी, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) समेत भारत सरकार के प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों में भी इसका अभ्यास किया जाएगा।
जिम्स में 100 बिस्तर आरक्षित किए गए
आपात स्थिति से निपटने और नागरिकों को तुरंत उपचार के लिए कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) ने भी तैयारी कर ली है। संस्थान में नागरिकों को प्राथमिक उपचार के लिए 100 बेड आरक्षित किए गए हैं। इनमें फिलहाल 30 वेंटिलेटर बिस्तर हैं, जबकि जरूरत पड़ने पर संस्थान में 100 वेंटिलेटर की व्यवस्था है। इसके अलावा तीन महीने की दवाइयों का स्टॉक भी जमा कर लिया गया है। इनमें एंटीबायोटिक्स समेत प्राथमिक उपचार में प्रयोग होने वाली दवाइयां व बेंडेज इत्यादि शामिल है। संस्थान में पांच ऑक्सीजन प्लांट हैं, जिनकी क्षमता एक हजार टन है, जबकि वर्तमान खपत मात्र 300 टन की बताई गई है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गई है।
सुरक्षा भी परखी जाएगी
1. हमले के समय लोगों को सुरक्षित जगह ले जाने और घायलों की सुरक्षा के इंतजाम।
2. पावर प्लांट और अस्पताल जैसे ज़रूरी स्थानों की सुरक्षा परखी जाएगी।
3. अलग-अलग विभागों के समन्वय और मिलकर काम करने का आकलन।
4. आग लगने पर उन्हें बुझाने के तरीके भी बताए जाएंगे।
5. रात के समय हमले से बचने के लिए अंधेरा कर देने (ब्लैकआउट) का अभ्यास।
6. युद्ध जैसे हालात में लोगों को कौन-कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए।