प्लीज खत्म कीजिए, हर तारीख हम यही कहते हैं; दिल्ली दंगों पर सुनवाई के दौरान ऐसा क्यों बोला HC
जस्टिस नवीन चावला और शालिंदर कौर की पीठ ने कहा, हर तारीख पर, हम केवल एक ही बात कहते हैं - प्लीज खत्म कीजिए, प्लीज खत्म कीजिए, प्लीज खत्म कीजिए, और यही हम कहते रह सकते हैं

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को 2020 के दिल्ली दंगों के जमानत मामलों में लंबी बहस पर अपनी नाराजगी जताई। जस्टिस नवीन चावला और शालिंदर कौर की पीठ ने कहा, हर तारीख पर, हम केवल एक ही बात कहते हैं - प्लीज खत्म कीजिए, प्लीज खत्म कीजिए, प्लीज खत्म कीजिए, और यही हम कहते रह सकते हैं।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने यह टिप्पणी उस समय की जब आरोपी गुलफिशा फातिमा के वकील ने दलील दी थी कि उनकी जमानत याचिका पिछले तीन सालों से अदालत के समक्ष लंबित है। यह एक खास पीठ है जो इन मामलों की सुनवाई के लिए इकट्ठा होती है क्योंकि जब जस्टिस चावला और कौर ने डिवीजन बेंच साझा की थी, तब इनकी आंशिक सुनवाई हुई थी। हालांकि, अब वे अलग-अलग बैठते हैं।
यफिलहाल कुल 8 जमानत याचिकाएं कोर्ट में पेंडिंग हैं जिनमें उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर और खालिद सैफी की तरफ से दायर याचिकाएं शामिल हैं। आज, हाईकोर्ट फातिमा के वकील एडवोकेट सुशील बजाज की दलीलें सुन रहा था। उन्होंने कोर्ट को बताया कि फातिमा के खिलाफ गवाहों के बयान स्वार्थी हैं और उन्होंने फातिमा को फंसाकर अपनी आजादी खरीदने की कोशिश की है। बजाज ने देवांगना कलिता और नताशा नरवाल के साथ समानता की भी मांग की, जो पहले से ही मामले में जमानत पर हैं। यह तर्क दिया गया कि फातिमा को दी गई भूमिका कलिता और नरवाल की तुलना में बहुत कम है।
उन्होंने कहा कि भले ही अभियोजन पक्ष का दावा है कि फातिमा ने महिला प्रदर्शनकारियों से लाठी, लाल मिर्च पाउडर और बोतलें इकट्ठा करने के लिए कहा था, लेकिन पुलिस को ऐसी कोई चीज बरामद नहीं हुई है। कोर्ट मामले की सुनवाई एक जुलाई को करेगा।