दिल्ली पुलिस के SHO की विदाई पर फूट-फूटकर रोई जनता; पढ़िए राम मनोहर के अनोखे किस्से
ढोल-नगाड़े, फूल-माला के साथ लोगों ने उनकी विदाई की। इस बीच कई महिलाएं और पुरुष उनको लिपटकर रोते भी दिखे। इस पूरी विदाई समारोह की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से घूमने लगे। आइए आगे पढ़ते हैं, एसएचओ राम मनोहर मिश्रा के किस्से।

दिल्ली के नॉर्थ जिले की सब्जी मंडी थाना क्षेत्र में तैनात एसएचओ की विदाई एकदम खास रही। खास बात की वजह, जनता से उनका जुड़ाव और लोगों में उनके लिए प्यार ही था। इसलिए तबादले की खबर बाहर आई और उनके जाने का वक्त हुआ तो सड़क पर उनके चाहने वालों का तांता लग गया। ढोल-नगाड़े, फूल-माला के साथ लोगों ने उनकी विदाई की। इस बीच कई महिलाएं और पुरुष उनको लिपटकर रोते भी दिखे। इस पूरी विदाई समारोह की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से घूमने लगे। आइए आगे पढ़ते हैं, एसएचओ राम मनोहर मिश्रा के किस्से।
अपनी आवाज से बनाया दिलों में घर
लोगों के मुताबिक इंस्पेक्टर मिश्रा के संबंध आम जनता से पुलिस की हैसियत की हैसियत से कहीं आगे थे। स्थानीय लोग उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानने लगे थे। अपनी पुलिस की ड्यूटी निभाने के अलावा उन्होंने गायकी के जरिए भी लोगों से अपना रिश्ता जोड़ लिया था। बताया जाता है, चाहे कांवड़ यात्रा हो या छठ पूजा, गणेश उत्सव हो या दुर्गा पूजा- उनके भजनों की मांग हर मंच पर होती थी। लोगों ने कहा कि उनकी आवाज की गूंज मंदिरों से लेकर थाने तक लोगों को सुनाई पड़ती थी।
बच्चे-बूढ़े थाने पहुंचकर मनाते थे जन्मदिन
बच्चों से भी उनका खास जुड़ाव था। बताया जाता है कि थाने में उनके पास आने के लिए किसी भी को कोई रोक-टोक नहीं थी। इसका नतीजा यह था कि आस-पास के बच्चे और उन्हें चाहने वाले लोग उनके साथ जन्मदिन मनाने के लिए थाने भी आ जाते थे। वहीं अगर उन्हें किसी बच्चे या बुजुर्ग के जन्मदिन के बारे में पता चला तो वो खुद उसके घर केक लेकर पहुंच जाया करते थे। इस तरह जनता से उनका आत्मीय जुड़ाव लगातार बढ़ता ही चला गया और वो लोगों की आंख का तारा हो गए।
जब बच्चे को दिलाई नई साइकिल
बच्चों से जुड़ा उनका एक किस्सा इलाके में काफी चर्चित है। बताया जाता है कि एक दिन करीब 10 साल का बच्चा थाने पहुंचा और अपनी साइकिल चोरी हो जाने की शिकायत दर्ज कराई। मिश्रा ने बच्चे को गौर से सुना और उसकी भावनाओं को समझा। खोजबीन हुई लेकिन साइकिल हाथ नहीं लगी। इसके बाद मिश्रा ने बच्चे को शाम को थाने बुलाया और अपने पैसों से खरीदी हुई नई साइकिल दी। साइकिल पाकर बच्चा सहित उसके माता-पिता भावुक हो गए।
अपराधियों से निपटने का अनोखा तरीका
इसी तरह कभी गायों के साथ रोटी खा रहे बेघर व्यक्ति को देख उन्होंने मुफ्त भोजन की व्यवस्था कराई। उस घटना के बाद से थाने के नजदीक दिन में दो घंटे के लिए गरीबों के लिए मुफ्त भोजन की व्यवस्था कराई। बताया जाता है कि छोटे-मोटे अपराध करने वाले लोगों की काउंसलिंग करके उन्हें सही रास्ते पर लाने का काम करते थे। बताया जाता है कि उनकी अनोखी कार्यशैली के चलते थाने में अपराध में गिरावट भी देखी गई। उनके नेक प्रयासों के चलते ही उनके तबादले के बाद हुए विदाई के समय जनता भावुक हो गई और उन्हें गले लगाकर रोने लगी।