ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्। त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धि पतिवेदनम्। उर्वारुकमिव बन्धनादितो मुक्षीय मामुतः ॥
भगवान त्र्यम्बक शिवजी से प्रार्थना है कि जिस प्रकार ककड़ी का परिपक्व फल वृन्त से मुक्त हो जाता है, उसी प्रकार हमें आप जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त करें, हम आपका यजन करते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के कई लाभ बताए गए हैं। इस मंत्र के जाप से रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है। साथ ही मृत्यु के भय को दूर करता है और एक शांत और सकारात्मक जीवन जीने में मदद करता है।
इसके अलावा मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, काल सर्प दोष आदि को दूर करता है। इस मंत्र के जप से आयु में वृद्धि होती है और व्यक्ति को एक लंबा और स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है।
महामृत्युंजय मंत्र का जप किसी भी समय किया जा सकता है। ब्रह्म मुहूर्त में इसका जाप करना उत्तम माना गया है। इस मंत्र का जाप अपनी सुविधा अनुसार 27, 54, 108 बार कर सकते हैं।
एक निश्चित स्थान पर बैठकर जाप करना चाहिए और प्रतिदिन उसी स्थान पर मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र जाप के लिए कुशा का आसान या ऊन के बने सफेद आसन का प्रयोग करना चाहिए।
मंत्र का जाप करते समय पूर्व दिशा की ओर मुख रखना चाहिए। उत्तर दिशा की ओर भी करके जप कर सकते हैं। मंत्र जाप करते समय धूप, दीप, जलाएं और भगवान शिव की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर जाप करें।
यह खबर विभिन्न माध्यमों, धर्म ग्रंथों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है। किसी भी तरह की विशेष जानकारी के लिए धर्म विशेषज्ञ से उचित सलाह लें।