Elephant Rampage in Jharkhand Homes Destroyed Villagers Fear for Safety सारंडा के भनगांव में दंतैल हाथी ने तीन घर को किया तबाह, ओडिशा में महिला की मौत, Jamshedpur Hindi News - Hindustan
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सारंडा के भनगांव में दंतैल हाथी ने तीन घर को किया तबाह, ओडिशा में महिला की मौत

सारंडा जंगल क्षेत्र में हाथियों का उत्पात जारी है। हाल ही में, एक हाथी ने झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के भनगांव गांव में तीन परिवारों के घरों को तहस-नहस कर दिया। ग्रामीण डर के मारे जंगल की ओर भाग...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरSat, 31 May 2025 01:40 PM
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सारंडा के भनगांव में दंतैल हाथी ने तीन घर को किया तबाह, ओडिशा में महिला की मौत

गुवा संवाददाता। सारंडा जंगल क्षेत्र में हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीती रात एक बार फिर हाथी ने झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले स्थित भनगांव गांव को निशाना बनाया। इस हमले में नरसिंह तोरकोड, जोटो तोरकोड और कोतोय तोरकोड के घर पूरी तरह से तहस-नहस हो गए। घर के लोग किसी तरह अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहे, लेकिन उनका आशियाना हाथी के कहर से नहीं बच सका। ग्रामीणों के अनुसार, देर रात एक दतैल जंगली हाथी गांव में घुस आया और लगातार कई घंटों तक उत्पात मचाता रहा। हाथी ने बारी-बारी से तीनों परिवारों के घरों को तोड़ डाला, जिसमें अनाज, बर्तन, कपड़े और जरूरी दस्तावेज भी नष्ट हो गए।

भयभीत ग्रामीण रातभर जंगल और पहाड़ियों की ओर भागकर जान बचाई। इस घटना के कुछ ही घंटे बाद झारखंड की सीमा से सटे ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के मुटुहाल गांव से भी एक दुखद खबर सामने आई है। वहां एक महिला को जंगली हाथी ने रौंद कर मार डाला। लगातार हो रही इन घटनाओं ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी है। स्थानीय लोग वन विभाग से बार-बार गुहार लगा रहे हैं कि हाथियों की निगरानी और नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, लेकिन अब तक कोई कारगर कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की ओर से न तो समय रहते अलर्ट जारी किया गया, न ही किसी प्रकार की गश्ती व्यवस्था की गई थी। अक्सर चेतावनी दी जाती है, लेकिन जब संकट आता है तब कोई अधिकारी मौके पर नहीं दिखता। ग्रामीणों ने मुआवजे और स्थायी समाधान की मांग की है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि प्रभावित परिवारों को तुरंत राहत और मुआवजा दिया जाए। साथ ही हाथी से बचाव के लिए गांवों के आसपास सौर बाड़, गश्ती दल और जागरूकता अभियान चलाए जाएं। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो हाथी-मानव संघर्ष और भी विकराल रूप ले सकता है।

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