आइए ऐसे उन वैज्ञानिक अविष्कारों पर नजर डालें जिन्होंने न सिर्फ मानव जीवन को बदला बल्कि पूरी दुनिया के सोचने और समझने के तरीके को नया आयाम दिया।
डीएनए यानी डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड वह अणु है जिसमें किसी जीव की आनुवंशिक जानकारी छिपी होती है। अधिकांश लोग मानते हैं कि डीएनए की खोज 1950 के दशक में वाटसन और क्रिक ने की थी, लेकिन असल में इसे सबसे पहले 1869 में स्विस वैज्ञानिक फ्रिडरिश मिश्चर ने खोजा था। बाद में 1953 में वाटसन और क्रिक ने इसके द्विसूत्री ढांचे की पुष्टि की और इसके लिए 1962 में नोबेल पुरस्कार भी जीता।
एक समय था जब लोग मानते थे कि सूर्य पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। लेकिन कॉपरनिकस, गैलीलियो और केपलर जैसे वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और सूर्य की परिक्रमा करती है। इस सिद्धांत ने खगोलशास्त्र की दुनिया में क्रांति ला दी।
बिजली की अवधारणा प्राचीन यूनान के थेलिस से शुरू हुई, लेकिन ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम गिल्बर्ट को 'बिजली का जनक' कहा जाता है। बाद में बेंजामिन फ्रैंकलिन ने अपने प्रसिद्ध पतंग प्रयोग से यह सिद्ध किया कि बिजली और बिजली गिरने में संबंध है।
लुई पास्चर ने यह सिद्ध किया कि रोग शरीर के भीतर नहीं, बल्कि बाहरी सूक्ष्म जीवों के कारण होते हैं। उनके द्वारा विकसित 'पाश्चराइजेशन' पद्धति ने दूध और अन्य खाद्य पदार्थों को सुरक्षित बनाया।
एक पेड़ से गिरते सेब ने न्यूटन को सोचने पर मजबूर किया और उन्होंने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत प्रस्तुत किया। उनकी किताब 'प्रिन्सिपिया' आज भी आधुनिक भौतिकी की नींव मानी जाती है।
रोगों के इलाज में एंटीबायोटिक्स ने नई क्रांति लाई। इसके पीछे वैज्ञानिक अलेक्जेंडर फ्लेमिंग का नाम प्रमुख है, जिन्होंने 1928 में पेनिसिलिन की खोज की थी। इसने अनगिनत जानें बचाई हैं।
टीकाकरण आज करोड़ों लोगों की जिंदगी बचा रहा है, लेकिन इसकी शुरुआत 18वीं सदी में हुई थी। अंग्रेज डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने 1796 में सबसे पहले चेचक (स्मॉलपॉक्स) के खिलाफ टीका विकसित किया। उन्होंने देखा कि जो लोग गायों से होने वाले 'काउपॉक्स' से संक्रमित हो चुके होते हैं, उन्हें स्मॉलपॉक्स नहीं होता। उन्होंने इसी आधार पर पहला टीका तैयार किया। यह खोज इतनी प्रभावशाली थी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1980 में चेचक को पूरी तरह खत्म होने की घोषणा कर दी।
आज के डिजिटल युग की कल्पना भी कंप्यूटर के बिना नहीं की जा सकती। कंप्यूटर की नींव 19वीं सदी में चार्ल्स बैबेज ने रखी थी, जिन्हें 'कंप्यूटर का जनक' कहा जाता है। बाद में एलन ट्यूरिंग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कंप्यूटर सिद्धांत की नींव रखी। द्वितीय विश्व युद्ध के समय विकसित हुए पहले इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर ENIAC ने तकनीकी युग की शुरुआत कर दी।
इंटरनेट ने दुनिया को सच में 'ग्लोबल विलेज' बना दिया है। इसकी शुरुआत 1960 के दशक में अमेरिका के रक्षा विभाग की एक परियोजना ARPANET से हुई थी। 1990 के दशक में टिम बर्नर्स-ली ने वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) विकसित किया, जिससे आम लोग भी इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाए। आज इंटरनेट शिक्षा, व्यापार, संचार और मनोरंजन का मुख्य आधार बन चुका है।
कभी विज्ञान-कथाओं का हिस्सा समझे जाने वाले रोबोट और सोचने वाली मशीनें आज हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई, कंप्यूटर को इंसानों जैसी सोच और निर्णय लेने की क्षमता देता है। एलन ट्यूरिंग ने सबसे पहले इस अवधारणा को 1950 के दशक में प्रस्तुत किया। आज चैटबॉट्स, सेल्फ-ड्राइविंग कारें, मेडिकल डायग्नोसिस और यहां तक कि कला में भी एआई का उपयोग हो रहा है। यह खोज भविष्य की तस्वीर बदलने की पूरी क्षमता रखती है।