19 वीं शताब्दी में ब्रिटिश साम्राज्य के बारे में एक कहावत प्रचलित थी कि इसके राज्य में सूरज कभी नहीं डूबता। यह सच भी था क्योंकि इस सदी में दुनिया के इतने बड़े भू-भाग पर इस साम्राज्य का कब्जा था कि किसी न किसी हिस्से पर सूर्य का प्रकाश पड़ता ही रहता था। लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही ब्रिटिश साम्राज्य लगातार सिकुड़ता ही गया है। हालांकि आज भी कई ऐसे देश हैं जो लोकतंत्र के रास्ते पर चल पड़े हैं लेकिन अभी तक गणतंत्र नहीं है। वहां पर सरकार तो चुनी जाती है लेकिन राष्ट्राध्यक्ष ब्रिटिश साम्राज्य की गद्दी पर बैठा शख्स ही होता है। तो आइए जानते हैं ऐसे देशों के बारे में जो आज भी प्रतीकात्मक ही सही लेकिन ब्रिटिश राजशाही के अंतर्गत आते हैं..
लगभग दो शताब्दियों तक ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा रहा कनाडा को 1867 में एक डोमिनियन राज्य के रूप में स्थापित कर लिया गया। 20 भी सदी में प्रथम विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद से ही ब्रिटिश साम्राज्य कमजोर होने लगा। 1931 में ब्रिटिश संसद ने वेस्टमिंटस्टर कानून पारित करके कनाडा को साम्राज्य के अंदर एक स्वतंत्र राष्ट्र बना दिया। लेकिन यहां के नियम कानून अभी भी ब्रिटिश राज्य के लाभ को देखते हुए थे। फिर 1982 में कनाडा में एक देश भक्ति से परिपूर्ण संविधान बनाया गया और ब्रिटिश संसद के इस पर अधिकार को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया। आज कनाडा स्वतंत्र देश है लेकिन इसका कोई राष्ट्रपति नहीं है। बल्कि यह देश ब्रिटिश किंग को ही अपना राष्ट्राध्यक्ष मानता है।
एक समय पर ब्रिटिश साम्राज्य के कैदियों की रखने की जेल के रूप में पहचाने जानी वाली यह जमीन आज विश्व में अपना एक अलग स्थान रखती है। ऑस्ट्रेलिया में लोकतंत्र का विकास अच्छे तरीके से हो चुका है लेकिन आज भी यहां पर राष्ट्रपति नहीं होता। यह देश ब्रिटिश राजशाही को ही अपना नेता मानता है। हालांकि किंग चार्ल्स के यहां की संसद के दौरे के समय नेताओं ने उनका विरोध किया था।
कई द्वीपों को मिलाकर बना न्यूजीलैंड अपने आप में एक संप्रभु राष्ट्र है। यह द्वीप कभी ब्रिटिश साम्राज्य का भाग था। इस देश में सम्राट का प्रतिनिधित्व गवर्नर जनरल द्वारा किया जाता है। यह देश स्वैच्छिक रूप से ब्रिटिश सम्राट को अपने राष्ट्र प्रमुख की मान्यता देता है।
ब्रिटिश सम्राट वर्तमान में पापुआ न्यू गिनी के भी राज्य प्रमुख हैं। यह देश एक संवैधानिक राजतंत्र है। इसका मतलब है कि यहां सम्राट की भूमिका औपचारिक रूप में होती है। पापुआ न्यू गिनी ने 16 सितंबर 1975 को स्वतंत्रता प्राप्त की थी।
अमेरिकी महाद्वीप के नजदीक स्थित यह द्वीपीय देश भी ब्रिटिश सम्राट को अपना राष्ट्र प्रमुख मानता है। यह देश भी एक संवैधानिक राजतंत्र है। यहां सम्राट का प्रतिनिधित्व गवर्नर जनरल द्वारा किया जाता है। यह देश सम्राट को अपना राष्ट्र प्रमुख मानता है लेकिन यह एक स्वतंत्र और संप्रभु देश है।
अपनी समुद्री विरासत के लिए जाना जाने वाला यह देश भी ब्रिटेन के राजा को अपना राष्ट्र प्रमुख मानता है। यहां भी सम्राट का प्रतिनिधित्व गवर्नर जनरल द्वारा किया जाता है।
यह देश भी ब्रिटिश क्राउन के अधीन आने वाले देशों में से एक है। हालांकि यह एक संवैधानिक राजतंत्र है। इसका मतलब यह कि यहां भी सम्राट का प्रतिनिधित्व गवर्नर जनरल करता है।
कैरेबियन समूह का यह द्वीपीय देश भी ब्रिटेन के राजा को अपना राष्ट्राध्यक्ष मानता है। हालांकि यहां की जनता के बीच में राजशाही को छोड़ने को लेकर काफी मुखरता है।
यह द्वीपीय देश भी ब्रिटेन के राजा को स्वैच्छिक रूप से अपना राष्ट्राध्यक्ष मानता है। उपरोक्त बाकी देशों की तरह यह देश भी एक संवैधानिक राजतंत्र है। हालांकि यह एक स्वतंत्र और संप्रभु देश है जिसे 1 अक्तूबर 1978 को ब्रिटेन से आजादी मिली थी।
इन देशों के अलावा सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, एंटीगुआ और बारबुडा, बेलीज भी ब्रिटिश क्राउन के अधीन आते हैं। इनमें से कई देश ऐसे हैं जो अपने देश पर से जल्दी ही ब्रिटिश क्राउन का औपचारिक शासन हटाना चाहते हैं। हाल ही में 2021 में बारबाडोस ने ब्रिटिश क्राउन के शासन को हटाकर अपने आप को गणतंत्र घोषित कर लिया था।