अहमदाबाद दुखांतिका: वो हंसी, वो खिलखिलाते चेहरे… अब सिर्फ तस्वीरों में कैद
12 जून 2025 की सुबह देश के इतिहास में एक और काला दिन बनकर दर्ज हो गई। अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI 171 टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

12 जून 2025 की सुबह देश के इतिहास में एक और काला दिन बनकर दर्ज हो गई। अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट AI 171 टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। वो चेहरे जो कल तक ज़िंदगी से लबरेज़ थे, आज सिर्फ तस्वीरों में बचे हैं।
ये हादसा महज़ एक तकनीकी चूक नहीं था, ये उन कई परिवारों की दुनिया उजाड़ देने वाला हादसा था, जिन्होंने अपनों को हँसते हुए एयरपोर्ट पर विदा किया था। किसी ने विदेश में नई ज़िंदगी शुरू करने का सपना देखा था, तो कोई अपनों से मिलने जा रहा था। किसी ने पहली बार फ्लाइट पकड़ी थी, तो किसी का वो अंतिम सफर साबित हुआ।
मरने वालों में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के लोग शामिल थे। हर चेहरा अपने साथ एक कहानी लिए बैठा था — कोई डॉक्टर था, कोई इंजीनियर, कोई छोटा व्यापारी तो कोई छात्र। सबके पास भविष्य की योजनाएं थीं, जिन पर इस हादसे ने स्थायी विराम लगा दिया।
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले से एक ही परिवार के पांच लोग इस हादसे में मारे गए — डॉक्टर कोनी व्यास, उनके पति डॉक्टर प्रदीप व्यास और उनके तीन छोटे बच्चे। ये परिवार लंदन में एक मेडिकल सेमिनार में भाग लेने जा रहा था। लेकिन अब उनके हंसते हुए परिवार की तस्वीरें ही बची हैं, जिनके चारों ओर अब सिर्फ शोक और खामोशी है।
दिल्ली की सीमा ठाकुर, जो पहली बार अपने पति संग यूरोप ट्रिप पर जा रही थीं, इस दुर्घटना में चल बसीं। उनके पिता की जुबान पर सिर्फ यही शब्द हैं — “कल तक फोन पर कह रही थी कि बहुत एक्साइटेड हूं पापा, और आज उसकी आवाज़ सदा के लिए चली गई।”
गुजरात के व्यापारी नरेश भाई पटेल का भी इस विमान में सफर था। उनका बेटा रोहित अभी भी इस विश्वास में है कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और उसके पिता वापस आ जाएं।
सरकार की ओर से हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें अस्थायी रूप से रोक दी गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने शोक व्यक्त किया है।
लेकिन इन घोषणाओं और संवेदनाओं से उन घरों का सन्नाटा नहीं टूट सकता, जिनका हर कोना अब उस एक शख्स की कमी से चुभने लगा है।
ये सिर्फ एक विमान हादसा नहीं था — ये हंसती-मुस्कराती जिंदगियों के थम जाने की त्रासदी है। उन चेहरों की याद में अब सिर्फ एक ही बात रह गई है कहने को —
“वो हंसी, वो खिलखिलाते चेहरे… अब सिर्फ तस्वीरों में हैं।”
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