अब ‘नेता जी की चिट्ठी’ नहीं, ब्लॉक अध्यक्ष की बात पक्की! कांग्रेस ने बदला फॉर्मूला
राजस्थान में कांग्रेस संगठन ने युवाओं को पार्टी में ज्यादा भागीदारी देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने आगामी शहरी निकाय और पंचायतीराज चुनावों में 50 प्रतिशत टिकट 50 साल से कम उम्र के युवाओं को देने का फैसला लिया है।

राजस्थान में कांग्रेस संगठन ने युवाओं को पार्टी में ज्यादा भागीदारी देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने आगामी शहरी निकाय और पंचायतीराज चुनावों में 50 प्रतिशत टिकट 50 साल से कम उम्र के युवाओं को देने का फैसला लिया है। यह फैसला कांग्रेस हाईकमान के निर्देश पर लिया गया है, जिसे अब राजस्थान प्रदेश कांग्रेस लागू करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने साफ कर दिया है कि स्थानीय चुनावों में अब युवा चेहरों को आगे लाया जाएगा। यही नहीं, टिकट वितरण का पुराना फार्मूला भी बदला जा रहा है। अब टिकट तय करने में सिर्फ प्रदेश स्तर के वरिष्ठ नेताओं की राय ही अंतिम नहीं होगी, बल्कि जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष और मंडल अध्यक्षों की सिफारिश को भी प्रमुखता दी जाएगी।
फील्ड से तय होंगे उम्मीदवार
कांग्रेस संगठन अब बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक नई राजनीतिक सोच के साथ आगे बढ़ने की योजना पर काम कर रहा है। जिला, ब्लॉक और मंडल स्तर पर सक्रिय कांग्रेस नेताओं को नए और ऊर्जावान चेहरों की पहचान करने का जिम्मा सौंपा गया है, जिन्हें चुनावी राजनीति के लिए तैयार किया जाएगा।
डोटासरा ने कहा, “हमने संगठन में युवाओं को प्रतिनिधित्व देने की दिशा में स्पष्ट रणनीति तैयार की है। पार्टी का मानना है कि राजनीति में नई ऊर्जा और सोच लाने के लिए युवाओं को आगे लाना जरूरी है।”
पार्षद से लेकर मेयर-प्रमुख तक अब युवा चेहरों की बारी
राजस्थान में नगरपालिकाओं, नगर परिषदों और नगर निगमों के चुनावों में पार्षदों के साथ अध्यक्ष, सभापति और मेयर के चुनाव होते हैं। वहीं, पंचायतीराज संस्थाओं में जिला प्रमुख, पंचायत समिति सदस्य, प्रधान, सरपंच और वार्ड पंच जैसे पदों के लिए चुनाव होते हैं।
सरपंच और वार्ड पंच के अलावा सभी चुनाव राजनीतिक दलों के सिंबल पर लड़े जाते हैं। ऐसे में 50 प्रतिशत टिकट 50 साल से कम उम्र के युवाओं को देने से पार्षद से लेकर चेयरमैन और प्रमुख तक कई पदों पर युवा नेतृत्व सामने आएगा।
टिकट बंटवारे का नया सिस्टम
अब तक टिकट तय करने की प्रक्रिया में प्रदेश चुनाव समिति के नेता ही अंतिम निर्णय लेते थे। लेकिन अब जिला और ब्लॉक स्तर पर पार्टी पदाधिकारियों की राय को भी महत्वपूर्ण माना जाएगा। इससे स्थानीय कार्यकर्ताओं की भागीदारी बढ़ेगी और ग्रासरूट पर मजबूत संगठन खड़ा किया जा सकेगा।
‘वन स्टेट-वन इलेक्शन’ की वजह से फिलहाल देरी
राज्य सरकार ने "वन स्टेट-वन इलेक्शन" की नीति के तहत निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने की घोषणा की है। करीब 7,000 ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और वहां प्रशासक लगाए गए हैं। शहरी निकायों में भी प्रशासक नियुक्त किए जा चुके हैं। संभावना जताई जा रही है कि इस साल के अंत तक निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं, जबकि पंचायतीराज चुनाव अगले साल होंगे। हालांकि, इस देरी को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका भी लंबित है।
उदयपुर घोषणा पत्र की पहली बड़ी पहल
कांग्रेस ने 2022 में उदयपुर में हुए चिंतन शिविर के दौरान संगठन सुधार को लेकर जो “उदयपुर घोषणा पत्र” जारी किया था, उसमें युवाओं को 50% टिकट देने की बात कही गई थी। राजस्थान में इसे अब स्थानीय निकायों से लागू किया जा रहा है। पार्टी ने पहले ही कहा था कि संगठनात्मक सुधारों को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा, और अब उसी दिशा में ठोस कदम बढ़ाया जा रहा है।
आगे भी दिखेगा यूथ फॉर्मूले का असर
स्थानीय चुनावों के सफल प्रयोग के बाद कांग्रेस इसी यूथ फॉर्मूले को विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी लागू करने की तैयारी में है। इससे पार्टी को न केवल संगठनात्मक स्तर पर नया जोश मिलेगा, बल्कि मतदाताओं के बीच भी युवाओं की मजबूत मौजूदगी से नई उम्मीदें बंधेंगी।
कांग्रेस का यह फैसला पार्टी के भीतर युवा नेतृत्व को तैयार करने और जमीनी स्तर से लेकर नीति निर्धारण तक उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है। अब देखना होगा कि इस यूथ फॉर्मूले को लेकर कांग्रेस को संगठनात्मक और राजनीतिक स्तर पर कितनी मजबूती मिलती है।
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