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न पढ़ाई, न परीक्षा सीधे नौकरी! राजस्थान PTI घोटाले में SOG का शिकंजा

राजस्थान में पीटीआई भर्ती परीक्षा-2022 को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में सामने आया है कि 21 अभ्यर्थियों ने फर्जी स्नातक और बीपीएड की डिग्रियां लगाकर सरकारी नौकरी हथियाई।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरTue, 27 May 2025 10:00 AM
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न पढ़ाई, न परीक्षा सीधे नौकरी! राजस्थान PTI घोटाले में SOG का शिकंजा

राजस्थान में पीटीआई भर्ती परीक्षा-2022 को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में सामने आया है कि 21 अभ्यर्थियों ने फर्जी स्नातक और बीपीएड की डिग्रियां लगाकर सरकारी नौकरी हथियाई। इस संगठित फर्जीवाड़े में निजी विश्वविद्यालयों, दलालों और अभ्यर्थियों की मिलीभगत उजागर हुई है।

एसओजी जांच में खुलासा हुआ कि इन अभ्यर्थियों ने स्नातक किए बिना ही बीपीएड की डिग्री हासिल कर ली। इन्होंने हिमाचल प्रदेश के अरनी विश्वविद्यालय से स्नातक (2016-2020) और उत्तर प्रदेश के जेएस विश्वविद्यालय, शिकोहाबाद से बीपीएड की फर्जी डिग्रियां लीं। दस्तावेजों की गहन पड़ताल में पता चला कि अरनी विश्वविद्यालय की रिकॉर्ड सूची में इन अभ्यर्थियों का कोई नाम नहीं है। वहीं जेएस विश्वविद्यालय की बीपीएड की मार्कशीट में भी गंभीर गड़बड़ियां पाई गईं, जिससे फर्जीवाड़े की पुष्टि हो गई।

एसओजी ने जिन 21 अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, उनमें चूरू, भरतपुर, जयपुर, करौली, झुंझुनूं, नागौर, दौसा, सवाई माधोपुर, जालोर जैसे जिलों के उम्मीदवार शामिल हैं। इनमें से कुछ पर पहले से भी मामले दर्ज हैं, जैसे कमला कुमारी के खिलाफ सांगानेर थाने में एक अन्य केस पहले से लंबित है। एसओजी को संदेह है कि इनमें से कई ने डमी अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठाकर पेपर पास किया था।

इस फर्जीवाड़े की जड़ें जेएस विश्वविद्यालय तक जाती हैं, जहां से बड़ी संख्या में बैक डेट में फर्जी डिग्रियां तैयार कर अभ्यर्थियों को बेची गईं। एसओजी ने पहले ही विश्वविद्यालय के चांसलर, रजिस्ट्रार और एक दलाल को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन्होंने लाखों रुपए लेकर 245 से अधिक फर्जी डिग्रियां जारी कीं। जांच में यह भी सामने आया है कि कुल 2067 अभ्यर्थियों ने जेएस विश्वविद्यालय से बीपीएड की डिग्री पास करने का दावा किया था, जो सीटों की संख्या से कई गुना ज्यादा है।

यह मामला न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह दर्शाता है कि किस तरह निजी विश्वविद्यालयों की मिलीभगत से पेपर लीक और डिग्री घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। एसओजी अब इन फर्जी नियुक्तियों को रद्द कराने के साथ-साथ पूरे नेटवर्क की तह तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है।

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