राजस्थान में गर्मियों की छुट्टी बनी शिक्षकों की चिंता,जाने ऐसा क्यों?
राजस्थान में इस बार ग्रीष्मकालीन अवकाश शिक्षकों के लिए सुकून नहीं, बल्कि चिंता का कारण बन गया है। प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं, लेकिन जून के पहले सप्ताह से राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड और लोक सेवा आयोग की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जानी हैं।

राजस्थान में इस बार ग्रीष्मकालीन अवकाश शिक्षकों के लिए सुकून नहीं, बल्कि चिंता का कारण बन गया है। प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं, लेकिन जून के पहले सप्ताह से राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड और लोक सेवा आयोग की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जानी हैं। इन परीक्षाओं के सफल संचालन के लिए शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की ड्यूटी लगाते हुए उन्हें मुख्यालय नहीं छोड़ने के निर्देश दिए हैं।
इस आदेश ने शिक्षकों में नाराजगी की लहर दौड़ा दी है। राजस्थान शिक्षक कर्मचारी संघ और अन्य शिक्षक संगठनों ने इस आदेश का कड़ा विरोध जताया है। संगठनों का कहना है कि ग्रीष्मकालीन अवकाश शिक्षकों के लिए एकमात्र ऐसा समय होता है जब वे पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियां निभा सकते हैं। ऐसे में अवकाश के दौरान जबरन ड्यूटी लगाना न केवल अनुचित है, बल्कि उनके अधिकारों का भी हनन है।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने हाल ही में 2025-26 के लिए संशोधित परीक्षा कैलेंडर जारी किया है, जिसके अनुसार जून के महीने में एक के बाद एक 22 से अधिक प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित होंगी। इनमें ब्लॉक प्रोग्राम ऑफिसर, सोशल वर्कर, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर, फार्मा असिस्टेंट, नर्सिंग ट्रेनर, मेडिकल लैब टेक्नीशियन, अकाउंट्स असिस्टेंट, पशुधन सहायक और बायोमेडिकल इंजीनियर जैसे संविदा पदों की भर्ती शामिल है। सभी परीक्षाओं का प्रस्तावित परिणाम नवंबर 2025 में जारी किया जाएगा।
इसके अलावा 17 और 18 जून को आरएएस मुख्य परीक्षा तथा 23 जून से 4 जुलाई तक माध्यमिक शिक्षा विभाग के तहत प्राध्यापक पदों की प्रतियोगी परीक्षाएं भी प्रस्तावित हैं। जिला कलेक्टरों के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारियों ने इन परीक्षाओं के लिए प्रधानाचार्य, व्याख्याता, वरिष्ठ अध्यापक और शिक्षकों को केंद्राधीक्षक, फ्लाइंग स्क्वाड और वीक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया है।
राजस्थान शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष बिहारी लाल ने स्पष्ट किया कि राज्य में लाखों की संख्या में अन्य विभागों में कार्यरत कर्मचारी हैं, जिन्हें इन परीक्षाओं के संचालन में लगाया जा सकता है। उन्होंने शिक्षा विभाग से मांग की है कि इस आदेश को वापस लिया जाए और शिक्षकों को उनके अवकाश का सम्मान दिया जाए।
शिक्षकों का कहना है कि परीक्षा आयोजन की जिम्मेदारी केवल शिक्षकों पर डालना एकतरफा फैसला है और इससे उनकी मानसिक शांति और पारिवारिक जीवन प्रभावित हो रहा है। अगर विभाग ने आदेश वापस नहीं लिया, तो शिक्षक संगठनों द्वारा आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार की जा सकती है।
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