why did pcc chief govind singh dotasara suddenly resign from assembly estimates committee member know matter PCC चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने अचानक विधानसभा प्राक्कलन समिति सदस्य पद से क्यों दिया इस्तीफा! जानिए क्या है मामला, Jaipur Hindi News - Hindustan
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PCC चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने अचानक विधानसभा प्राक्कलन समिति सदस्य पद से क्यों दिया इस्तीफा! जानिए क्या है मामला

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा की प्राक्कलन समिति 'ख' के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। डोटासरा ने यह इस्तीफा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' के जरिए सार्वजनिक करते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के हालिया निर्णयों पर गंभीर सवाल उठाए।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरMon, 19 May 2025 10:36 PM
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PCC चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने अचानक विधानसभा प्राक्कलन समिति सदस्य पद से क्यों दिया इस्तीफा! जानिए क्या है मामला

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने विधानसभा की प्राक्कलन समिति 'ख' के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। डोटासरा ने यह इस्तीफा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' के जरिए सार्वजनिक करते हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के हालिया निर्णयों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने इन फैसलों को पक्षपातपूर्ण और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया।

डोटासरा ने अपने पोस्ट में कहा कि लोकतंत्र में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की निष्पक्षता सर्वोच्च होती है, लेकिन जब निर्णय पद की गरिमा के विरुद्ध और पक्षपातपूर्ण प्रतीत हों, तो वह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक होते हैं। उन्होंने कहा कि जब लोकतंत्र के मंदिर में निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं, तो चुप रहना जनादेश का अपमान है।

कांग्रेस नेता ने विशेषाधिकार समिति से विधायक नरेन्द्र बुढानिया को हटाए जाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में बुढानिया को समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, लेकिन 15 दिन में ही उन्हें पद से हटा दिया गया। डोटासरा के अनुसार, यह परंपरा और प्रक्रिया दोनों के खिलाफ है क्योंकि समिति अध्यक्षों का कार्यकाल आमतौर पर न्यूनतम एक वर्ष का होता है।

डोटासरा ने विधानसभा अध्यक्ष पर यह आरोप भी लगाया कि वह दबाव में काम कर रहे हैं और उनके फैसले निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। उन्होंने भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा के मामले का हवाला देते हुए कहा कि अदालत द्वारा तीन साल की सजा बरकरार रखे जाने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता रद्द नहीं की, जबकि नियमों के अनुसार दो साल से अधिक की सजा पर सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाती है।

डोटासरा ने कहा कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब पक्षपातपूर्ण निर्णय देखने को मिले हैं। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से अपेक्षा जताई कि वे संविधान की शपथ का सम्मान करते हुए निष्पक्ष और न्यायसंगत निर्णय लें ताकि जनता का भरोसा लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बना रहे।

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