पत्नी के झूठे केस से तंग UPSC छात्र ने शुरू किया ‘498A टी कैफे'-जानें पूरा मामला
राजस्थान के बारां जिले के अंता कस्बे में इन दिनों एक अनोखी चाय की टपरी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका नाम है ‘498A टी कैफे’, और इस दुकान के पीछे छिपी है एक ऐसी कहानी, जो समाज और कानून की सच्चाई को सामने लाकर खड़ा कर देती है।

राजस्थान के बारां जिले के अंता कस्बे में इन दिनों एक अनोखी चाय की टपरी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका नाम है ‘498A टी कैफे’, और इस दुकान के पीछे छिपी है एक ऐसी कहानी, जो समाज और कानून की सच्चाई को सामने लाकर खड़ा कर देती है।
हथकड़ी पहनकर चाय बेचता युवक
मध्य प्रदेश के नीमच जिले के अठाना कस्बे के रहने वाले कृष्ण कुमार धाकड़ कभी UPSC की तैयारी कर रहे थे और एक सफल मधुमक्खी पालन उद्यम चला रहे थे। लेकिन साल 2022 में उनकी पत्नी द्वारा लगाए गए 498A (दहेज प्रताड़ना) और 125 (भरण-पोषण) के केस ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी।
अब वही कृष्ण कुमार बारां के अंता में हाथों में हथकड़ी पहनकर ‘498A टी कैफे’ चला रहे हैं। दुकान पर दूल्हे की वरमाला, सेहरा और बड़े-बड़े बैनर लगे हैं, जिन पर लिखा है —
"जब तक नहीं मिलेगा न्याय, तब तक उबलती रहेगी चाय!"
एक सफल उद्यमी से पीड़ित पति तक की कहानी
कृष्ण कुमार की शादी 6 जुलाई 2018 को बारां जिले की मीनाक्षी धाकड़ से हुई थी। दोनों ने मिलकर मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया, महिलाओं को रोजगार दिया और सरकार तक ने उनके प्रयासों की सराहना की। लेकिन अक्टूबर 2022 में उनकी पत्नी मायके लौट गई और कुछ ही समय बाद दहेज व घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवा दिया।
केके धाकड़ का कहना है कि, “मैं पिछले तीन साल से झूठे केस में फंसा हूं। मेरी बूढ़ी मां के अलावा कोई नहीं है। कभी-कभी आत्महत्या का मन होता है, लेकिन मां का चेहरा रोक लेता है।"
498A वाले बाबा के नाम से मशहूर
अब कृष्ण कुमार खुद को "498A वाले बाबा" कहते हैं और उसी ससुराल क्षेत्र में चाय बेचते हुए न्याय की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि कानून का दुरुपयोग करने वालों को बेनकाब करने के लिए उन्होंने यह टपरी शुरू की है।
चाय से नहीं, संदेश से उबल रही दुकान
यह दुकान सिर्फ चाय बेचने का जरिया नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन चुकी है — एक व्यक्ति की आवाज, जो कह रही है कि “कानून का डर नहीं, इंसाफ की दरकार है।”
इस टी कैफे की चर्चा सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय गलियों तक हो रही है। लोग यहां चाय पीने नहीं, बल्कि एक सच्चाई जानने और समर्थन देने भी आ रहे हैं।
न्याय की तलाश अब चाय के प्याले से हो रही है...
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