इस मामले में नंबर 1 राज्य बनेगा राजस्थान, यूपी को छोड़ देगा पीछे; प्रदेश के मंत्री ने किया कौन सा बड़ा दावा
कुमावत ने बताया कि पशु गणना 2019 के अनुसार राजस्थान में 10 लाख 43 हजार 312 गिर नस्ल के मवेशी हैं। गिर नस्ल के दूध, घी, छाछ एवं अन्य दुग्ध उत्पादों की सामान्य गायों के दुग्ध उत्पादों की तुलना में मांग अधिक रहती है।

राजस्थान के पशुपालन एवं गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत का कहना है कि अब वह दिन दूर नहीं जब दुग्ध उत्पादन में उत्तरप्रदेश को पछाड़ कर राजस्थान पहले पायदान पर आ जाएगा। इसके लिए केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत राजस्थान के पशुपालन विभाग द्वारा प्रदेश के 23 जिलों में ब्राजील से आयातित उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता वाले गिर नस्ल के सांडों के पारम्परिक हिमकृत सीमन डोजेज का वितरण किया जा रहा है।
इस बारे में जानकारी देते हुए राज्य के पशुपालन एवं गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कुशल नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश में पशुपालकों के विकास के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इसी के तहत गिर नस्ल की गायों के नस्ल सुधार पर तेजी से कार्य हो रहा है। जिसके तहत राज्य को ब्राजील के गिर गोवंश के सांडों का हिमकृत सीमन पहली बार प्राप्त हुआ है। इस सीमन का उपयोग राज्य की प्रजनन नीति के अनुसार गिर गोवंश बहुल वाले क्षेत्रों में उपलब्ध उच्च गुणवत्ता वाली शुद्ध गिर गोवंश की मादाओं में कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाएगा। इससे राज्य में उच्च आनुवांशिक गुणवत्ता वाले बछड़े और बछड़ियां पैदा होंगे और दुग्ध उत्पादन की क्षमता भी बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि अभी हमारी गिर गायों के दुध का उत्पादन औसतन प्रतिदिन 15 से 20 लीटर है जबकि इस सीमन के उपयोग के बाद उत्पादन बढ़कर 50 लीटर तक हो जाएगा। यह आयातित सीमन पशुपालकों को केवल 100 रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि राज्य की प्रजनन नीति के अनुसार प्रथम चरण में इस सीमन का उपयोग राज्य के छह संभागों के 23 जिलों-अजमेर, भीलवाड़ा, टोंक, भरतपुर, पाली, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़ जयपुर, सीकर, अलवर, दौसा, झुंझुनुं, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बांरा, करौली, सवाईमाधोपुर एवं धौलपुर में किया जाएगा। इसके तहत अजमेर संभाग को 830 डोज, भरतपुर संभाग को 200, जयपुर संभाग में 600, जोधपुर संभाग के पाली जिले में 150, कोटा संभाग को 400 एवं उदयपुर संभाग को 500 डोज वितरित की गई है।
कुमावत ने बताया कि पशु गणना 2019 के अनुसार राजस्थान में 10 लाख 43 हजार 312 गिर नस्ल के मवेशी हैं। गिर नस्ल के दूध, घी, छाछ एवं अन्य दुग्ध उत्पादों की सामान्य गायों के दुग्ध उत्पादों की तुलना में अधिक मांग है। गिर गाय के दूध को ए-2 दूध माना जाता है, जो सामान्य गाय के दूध में मौजूद ए-1 बीटा-कैसिइन से अलग होता है। ए-2 दूध को पचाने में आसान माना जाता है और कुछ लोगों में ए-1 दूध से संबंधित पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, गिर गाय के दूध में अधिक वसा और प्रोटीन होता है, जिससे यह उच्च गुणवत्ता वाले डेयरी उत्पादों के लिए बेहतर विकल्प बन जाता है। यही कारण है कि इस नस्ल के दुग्ध उत्पादन में सुधार की दृष्टि से ब्राजील की सर्वश्रेष्ठ नस्ल (एसपेटाकुलो FIV एवं IVA FIV D ब्राश) के सांड के सीमन का उपयोग किया जा रहा है। इसके पहले चरण में 2680 डोज का वितरण हो रहा है। इसके साथ ही दूसरे चरण के लिए 10 हजार डोज की डिमांड भी केन्द्र सरकार को भेज दी गई है।