बोले कासगंज: वकीलों की है बस एक ही मांग कचहरी में बैठने को मिले स्थान
Agra News - कासगंज में 455 से अधिक अधिवक्ता न्यायालय परिसर में अस्थायी चैंबर में काम कर रहे हैं। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में उन्हें गर्मी और बारिश के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अधिवक्ताओं ने शासन...
जनपद कासगंज में लगभग 455 से अधिक अधिवक्ता वादकारी जनता को न्याय दिलाने के लिए काम करते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जिला सत्र एवं व्यवहार न्यायालय परिसर में कार्यरत अधिवक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिला न्यायालय में स्थायी चैंबर न होने से इन अधिवक्ताओं को दिक्कत होती है। फिलहाल इन अधिवक्ताओं ने न्यायालय परिसर में स्थित पार्किंग में अस्थाई तौर पर अपने चैंबर बना रखे हैं, लेकिन यहां बिजली के कनेक्शन की कोई सुविधा नहीं है। आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले कासगंज अभियान के तहत अधिवक्ताओं ने विभिन्न प्रकार की समस्याओं को लेकर अपनी पीड़ा व्यक्त की और समाधान की मांग की।
धिवक्ताओं का कहना है, जब से जनपद सृजन एवं न्यायालय की स्थापना के बाद से आज तक उनके स्थायी चैंबर का निर्माण नहीं हो सका है। इससे 455 अधिवक्तागण, 200 विधि प्रशिक्षु एवं 800 अन्य सहयोगी कर्मियों न्यायालय परिसर में स्थित पार्किंग में अस्थायी तौर पर कार्य करना पड़ रहा है। यहां भी अधिवक्ताओं के लिए बिजली के कनेक्शन की कोई सुविधा नहीं है। अधिवक्ता गण बताते हैं कि अपने मुकद्दमों को लेकर न्यायालय परिसर में लगभग 2000 से 2500 वादकारी प्रतिदिन आते हैं। इससे परिसर में बनी पार्किंग में बहुत भीड़ रहती है। भीड़ के कारण अधिवक्ताओं के अस्थायी चैंबर में कई बार तो भीषण गर्मी के कारण वादकारी परेशान हो जाते हैं। अधिवक्ता बताते हैं, कि इससे केवल वादकारी ही प्रभावित नहीं होते। घुटन एवं उमस के कारण अधिवक्ताओं को भी काम करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। सोलर पैनलों की सहायता से उनके चैंबर के पंखे तो चला लेते हैं, लेकिन वो भी उमस के कारण अधिवक्ताओं को कोई राहत नहीं दे पाते।
जरूरी कामकाज करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है अधिवक्तागण यह भी बताते हैं कि बारिश के मौसम में तो इन अस्थायी चैंबर की स्थिति और भी बुरी हो जाती है। यहां बारिश और भी समस्या बढ़ जाती है। वहीं अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण अभिलेख एवं फाइलें भी गंदे पानी में गिरकर खराब हो जाती हैं। अधिवक्तागण ये भी बताते हैं कि बारिश के मौसम में कीचड़ एवं जलभराव के कारण यहां मच्छरों की समस्या भी बढ़ जाती है। डाकघर भवन और सहकारी कैन्टीन का निर्माण तो हो चुका है, लेकिन संचालन अब तक शुरू नहीं हो सका। डाकघर न होने से अधिवक्ताओं को दस्तावेज भेजने के लिए परिसर से बाहर जाना पड़ता है, जिससे समय और श्रम दोनों की बर्बादी होती है। वहीं, बैठक कक्ष के अभाव में अधिवक्ताओं को जरूरी कामकाज करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
शासन को भी करा चुके हैं चैंबर की समस्या अवगत अधिवक्ताओं का कहना है कि पार्किंग में बने अस्थाई चैंबर से काम करना पड़ रहा है। जिससे गर्मी व बारिश के दौरान आवागमन में अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। अधिवक्ताओं का कहना है कि उनके अस्थाई चैंबर से लेकर परिसर में भी यदि टीनशेड या फाइबरशेड का प्रबंध हो जाए। तो उन्हें कुछ राहत मिल सकती है। इसके साथ ही जिला बार एसोसिएशन के वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि चैंबर की समस्या को लेकर शासन प्रशासन को मांग पत्र भेज चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी अभी तक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है और स्थायी चैंबर का निर्माण कार्य डेढ़ वर्ष से अधर में ही लटका हुआ है।
लोगों का ये है कहना
इन अस्थाई चैंबर में हम अधिवक्ताओं के लिए बिजली के कनेक्शन भी नहीं हैं। इससे गर्मी के कारण यहां घुटन और अधिक बढ़ जाती है। फिलहाल सोलर पैनल की मदद से हम अपने पंखे तो चल लेते हैं लेकिन फिर भी हमें घुटन से निजात नहीं मिल पाती।
-दुष्यंत गौतम
चैंबर ना होने के कारण हम अधिवक्तागण ही परेशान नहीं होते। इससे हमारे पास आने वाले वादकारियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्हें बैठने के लिए भी सही से जगह नहीं मिल पाती। इससे काफी परेशानी होती है।
-संदीप कुमार यादव
चैंबर का निर्माण ना होने से हम अधिवक्ताओं को वाहन पार्किंग में अस्थाई चेंबर्स पर बैठना पड़ रहा है। इससे भीषण गर्मी के दौरान हमारी और न्यायालय में आने वाले वादकारियों की हालत खराब हो जाती है। कई बार तो भीषण गर्मी के कारण वादकारी बेहोश तक हो जाते हैं।
-आयुष मिश्रा
पार्किंग में चैंबर का संचालन होने के कारण अधिवक्ताओं को अपने वाहन पार्किंग के बाहर खड़े करने पड़ते हैं। इससे ना केवल हमें बल्कि वादकारियों को इन अस्थाई चैंबर से न्यायालय तक आवागमन के दौरान परेशानी का सामना करना पड़ता है।
-धर्मेश कुमार शर्मा
हमारे अस्थाई चैंबर से भीषण धूप के दौरान यहां ऊपरी टीन गर्म होने लगती है हमें परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं बारिश के दौरान तो हमारी फाइलें भी खराब हो जाती हैं। इन समस्याओं पर जिला प्रशासन को गौर करना चाहिए।
-दिनेश जौहरी
सभी न्यायालय एवं उनके कार्यालयों को तो पक्के भवन मिल चुके हैं, लेकिन हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं है। हमारे स्थाई चैंबर का निर्माण कार्य विगत पांच वर्षों से अधर में लटका हुआ है। जिसके चलते हमें विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
-सत्येंद्र पाल बैस
बारिश के मौसम में पार्किंग में बने अस्थाई चैंबर में कीचड़ एवं जलभराव होने की वजह से हमारी स्थिति और भी बदतर हो जाती है। कीचड़ एवं जलभराव के कारण वादकारी फिसलकर गिर पड़ते हैं। कई बार तो अधिवक्ताओं की फाइलें भी खराब हो जाती हैं।
-कृष्ण कुमार भारद्वाज
यहां डाकघर ना होने की वजह से भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। डाकघर ना होने से अधिवक्ताओं को दस्तावेज भेजने को से बाहर जाना पड़ता है। परिसर में डाकघर के भवन का निर्माण होने के बाद अभी तक डाक विभाग के कार्य शुरू नहीं हुए हैं।
-सुबोध कुमार यादव
न्यायालय परिसर में सहकारी कैन्टीन के संचालन के लिए भवन का निर्माण हुआ है, लेकिन आज तक सहकारी का संचालन शुरू नहीं हो सका है। यदि इस कैन्टीन का संचालन शुरू हो जाए। तो सभी को बहुत राहत मिल सकेगी।
-मनोज यादव
चैंबर का भवन ना होने के कारण अधिवक्ता अपने कार्य भी बेहतर ढंग से नहीं कर पाते। साथ ही भीषण गर्मी एवं घुटन से अधिवक्तागण मुवक्किलों से भी सही से बात नहीं कर पाते। साथ ही अधिवक्तागणों को अपनी बैठक करने के लिए भी इधर-उधर भटकना पड़ता है।
-शशिकांत पचौरी
जब भी हम चैंबर को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से बात करते हैं। अधिकारीगण हमें बजट आवंटन ना होने की बात बताकर समझा देते हैं। जबकि अधिवक्तागण न्यायपालिका की रीढ़ होते हैं। जिला प्रशासन को हमारी समस्या भी समझनी चाहिए।
-अनिरुद्ध गौतम
हमारे अस्थायी चैंबर की छत भी पक्की नहीं है। उसपर भी टीन शेड पड़ी हुई है। जोकि गर्मी के दौरान तपकर आग उगलती है। वहीं बारिश के दौरान उसमें से पानी टपकता है। जिससे हमारे दस्तावेज एवं फाइलें भी खराब हो जाती हैं।
-मोहम्मद रफीक
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