बोले आगरा: आतंकियों को हमेशा के लिए देश से खत्मा करना होगा
Agra News - पहलगाम में आतंकवादी हमले से पूर्व सैनिकों में आक्रोश है। उनका कहना है कि आतंकवादियों ने निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया और पाकिस्तान की मदद से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। पूर्व सैनिकों का मानना है...

वर्षों सरहद पर तैनात रहकर देश की रक्षा करने वाले सैन्यकर्मी पहलगाम में आतंकी हमले से आक्रोश में हैं। उनका कहना है कि पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में तैनाती के दौरान उन्होंने वह पल देखे, जब आमने-सामने की फायरिंग होती थी। दुश्मन सामने होता था तो उसे उसी की भाषा में जवाब भी देते थे, लेकिन आज दुश्मन पीठ पर वार कर रहा है। वहां के लोगों को ढाल बनाकर उनका सहयोग लेकर निर्दोष लोगों को निशाना बना रहा है। इन आतंकियों को हमेशा के लिए खत्म करना होगा। इसके लिए सर्जिकल स्ट्राइक होकर एक बार आरपार हो जानी चाहिए। कब तक हमारे सैनिक और पर्यटक इन आतंकियों का निशाना बनते रहेंगे।
आगरा। भारतीय सेना के हर जवान को लगभग जम्मू-कश्मीर में तैनात होने का अवसर एक बार जरूर मिलता है। यहां के हालात को हर सैन्यकर्मी अच्छे से जानता और समझता है। चाहें वह पहले कभी तैनात रहा हो या फिर वर्तमान में तैनाती हो। पूर्व सैन्यकर्मियों का भी यही मानना है कि दहशत पैदा करना आतंकियों की पुरानी प्रैक्टिस रही है।
उनका कहना है कि आतंकियों को पाकिस्तान तो पूरी मदद करता ही है, लेकिन सैकड़ों घटनाएं ऐसी भी हो चुकी हैं जिसमें वहां रहने वाले लोग उनके मददगार साबित होते रहे हैं। इनकी थोड़ी सी मदद सेना के जवानों के लिए भारी पड़ती रही है। इसका परिणाम निकला कि हमारे सैनिक शहीद होते रहे।
पुरानी बातों को याद करते हुए पूर्व सैनिकों का कहना है कि बार-बार इस तरह की घटनाएं पूरे देश को परेशान करने के लिए काफी हैं। आतंकी और उनके पीछे खड़े होकर मदद करने वाला पाकिस्तान भी यही चाहता है कि भारत कभी भी आत्मनिर्भर न बन सके। घाटी में खुशहाली न आ सके। कुछ समय पूर्व सबकुछ ढर्रे पर आ गया था।
कश्मीर का प्रमुख व्यवसाय ही पर्यटन है। वहीं पर्यटन इतनी तेजी के साथ आगे बढ़ने लगा था कि वहां के लोग भी खुश थे, लेकिन पाकिस्तान को ये खुशहाली अच्छी नहीं लग रही थी। इसी के चलते इस बार तो उन्होंने सबसे घिनौनी हरकत कर डाली।
उन्होंने उनको निशाना बनाया, जिनका कश्मीर से कोई लेना-देना नहीं था। वह तो कवल वहां के खुशनुमा माहौल का आनंद लेने के लिए गए थे। उनका तो वहां की राजनीति, व्यवसाय, रहन-सहन, जाति-धर्म किसी से भी वास्ता नहीं था। फिर उनके साथ ऐसा घिनौना कार्य क्यों किया गया।
फिर से सरहद याद आने लगी
पूर्व सैन्यकर्मियों का कहना है कि जब उनकी क्शमीर और आसपास तैनाती रही थी, तो उस समय के दृश्य याद आने लगे हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद भी उनका देश के प्रति जोश ठंडा नहीं पड़ा है। जब सस तरह की घटनाएं सुनते हैं तो मन करता है कि एक बार फिर से उन्हें सरहद पर भेज दिया जाए तो दुश्मन से दो-दो हाथ कर लें।
उनका कहना है कि पहले भी सरहद पर तैनाती के दौरान बहुत कुछ देखा है, लेकिन अब जो हो रहा है। वह बहुत निंदनीय है। निर्दोष और निहत्थे लोगों के साथ ऐसा हो रहा है। वह भी उनकी जाति और धर्म पूछकर ऐसा घिनौना कार्य किया जा रहा है।
एक बार आरपार की हो जाए तो सब ठीक हो
पूर्व सैन्यकर्मियों के आक्रोश का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह अब किसी तरह से पाकिस्तान के साथ संबंध रखने या बातचीत करने की संभावनाओं को लेकर तैयार नहीं हैं। वह चाहते हैं कि अब बहुत हो चुका है। अभी तक तो आमने-सामने की गोलीबारी में सैनिकों के साथ सीधा मुकाबला होता था,
लेकिन अब तो आम लोगों के साथ जो कश्मीर के मेहमान के रूप में वहां जाते हैं। उनके साथ अतिथि देवो भव: की भावना नहीं रखी जाती, बल्कि उन्हें अपना शिकार बनाया जाता है। इसलिए अब तो पूर्व सैन्यकर्मी आरपार की चाहते हैं।
पूरे कश्मीर में सर्च आपरेशन हो
कश्मीर के हालात फिर से बिगड़ रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि अब फिर से यहां सर्च आपरेशन होना चाहिए। पूर्व सैनिकों के पुराने अनुभवों को मानें तो उनके अनुसार वहां रहने वाले लोगों पर ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता है। सभी को शक की नजर से देखा जाना चाहिए। तभी आतंकियों को शरण देने वालों को चिह्नित किया जा सकेगा।
इसके लिए पूरा प्लान तैयार होना चाहिए। एक तरफ सर्जिकल स्ट्राइक करनी चाहिए तो दूसरी तरफ क्षेत्रीय लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखकर उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल देना चाहिए। सेना की इस तरह की कार्रवाई से ही तत्काल हालात में सुधार होगा। देश की जनता भी पूरी तरह इस तरह की कार्रवाई के लिए साथ देने को तैयार खड़ी है।
मनोबल तोड़ना था आतंकियों का मकसद
भारत सरकार ने आतंकवाद को नियंत्रित करने में काफी हद तक सफलता पाई है। इससे वहां पर्यटन तेजी के साथ फलने-फूलने लगा था। स्थितियां सामान्य होने के चलते वहां चुनाव कराए गए। पूर्व सैन्यकर्मिंयों का मानना है कि वहां चुनाव जल्दी करा दिए गए। अभी इसकी जरूरत नहीं थी। आतंकियों ने इसका फायदा उठाया और अपनी घुसपैठ बढ़ा दी।
क्षेत्रीय लोग जिनकी मदद बंद हो गई, उन्होंने इन लोगों को पनाह देनी शुरू कर दी। जो देश के लिए घातक बनती जा रही है। आतंकियों का मुख्य उद्देश्य ही था कि किसी तरह से सेना का मनोबल तोड़ा जाए। साथ ही पूरे देश को चुनौती दी जाए।
पहलगाम की घटना बहुत ही दुखद एवं निंदनीय है। आतंकवादियों ने निहत्थे हिंदू सैलानियों को गोलियों से भून दिया। इस घटना से इतना जरूर साफ हो गया है कि वहां के लोगों ने आतंकवादियों को पनाह और सूचना दी होगी। मेरे विचार से अब पाकिस्तानी सेना को सबक सिखाया जाए। एलओसी के पार से जनरल मुनीर के ऑफिसर और सैनिकों के शव उनके गांव भेजे जाएं, जिससे उन्हें अहसास हो कि निहत्थे और निर्दोष हिंदू सैलानियों की हत्या का अंजाम क्या होगा। पीओके पर कब्जा कर पूरे कश्मीर को मिला लेना चाहिए।
- सीके सिंह, रिटायर्ड कर्नल
पहलगाम में घूमने गए लोगों से धर्म पूछकर उनके साथ बहशियाना बर्ताब कर उन्हें मार देने की घटना के पीछे बहुत बड़ी साज़िश छिपी है। इसका पर्दाफाश होना चाहिए। इसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई तथा आतंकवादियों के साथ सरकारी तंत्र के भी कुछ लोग सीधे तौर पर शामिल नज़र आते हैं। वहां कोई भी सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था। अगर वहां हमारा एक भी जवान होता तो इतना बड़ा हादसा न होता।
- डॉ. कुंवर जयपाल सिंह चौहान, रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन
राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सैनिक कल्याण परिषद
1994-95 में मेरी पहलगाम में तैनाती रही। तब भी हालात अच्छे नहीं थे, लेकिन हमारे जवानों ने बहुत कुछ काबू कर रखा था। इस तरह की गतिविधियां नई बात नहीं है। इसलिए इसका इलाज तो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। इस इलाके में सर्जरी की नहीं, बल्कि पूर्ण आपरेशन की जरूरत है। पाकिस्तान कभी भी हमारे लिए वफादार नहीं हो सकता है। पहलगाम की घटना में यहां के लोग भी शामिल हैं। इन पर भी पूरी नजर रखनी होगी।
- मनहर शर्मा, रिटायर्ड कर्नल
आतंकियों की इस घिनौनी हरकत की निंदा करता हूं। क्षेत्रीय लोग इसमें शामिल हैं। ये पहली बार नहीं देख या सुन रहा हूं। पहले भी ऐसा ही होता रहा है। शायद देश और सेना इनको समझाने वाली गलती कर रहे हैं। हमने वहां तैनाती के दौरान क्षेत्रीय लोगों को बाढ़ से बचाया था। वही लोग आतंकियों को शरण देते हैं। पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक होनी बहुत जरूरी है। तभी इन निर्दोषों का सही बदला होगा।
- भोज कुमार, संगठन मंत्री, पूर्व सैनिक संघर्ष समिति
पहलगाम की घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। पहले तो सैन्यकर्मियों पर हमला किया जाता था। इस बार तो सारी सीमाएं तोड़ दीं। निर्दोष लोगों को निशाना बनाना ठीक नहीं है। वहां के लोगों पर सख्ती कर देनी चाहिए। ताकि वह अपने यहां किसी भी आतंकी को शरण न दे सकें और इस तरह की घटना भविष्य में न हो सके। सभी पूर्व सैनिक भी देश के साथ खड़े हैं।
- महेश चाहर, रिटायर्ड कैप्टन
जिलाध्यक्ष, पूर्व सैनिक संघर्ष समिति
हमने तो हमेशा आमने-सामने की लड़ाई लड़ी है, लेकिन अब तो आतंकी पीठ में छुरा घोंप रहे हैं। स्थानीय लोगों की मदद लेते हैं। उनके यहां शरण पाते हैं और मौका देखकर निर्दोष लोगों को अपना निशाना बना लेते हैं। इस तरह की साजिश का अंत होना जरूरी है। सरकार को चाहिए कि एक बार बड़ा ऑपरेशन कर दे, जिससे हमेशा के लिए इस तरह की घटनाएं होना बंद हो जाएं। हम तो देश के लिए हर समय तैयार खड़े हैं।
- सुरेश बाबू, पूर्व सैन्यकर्मी
पहलगाम की घटना ये बताने के लिए काफी है कि वहां के रहने वाले लोग भी आतंकियों के साथ मिले हुए हैं। वह उनको मदद देते हैं। उसी मदद के सहारे उस क्षेत्र की रेकी करा ली जाती है। उसके बाद सस तरह की घटना को अंजाम दिया जाता है। ये सब आज से नहीं, बल्कि वर्षों से हो रहा है। हम लोगों ने भी ऐसा ही माहौल देखा है। सरकार को इसे ध्यान में रखते हुए बड़ा कदम उठाना होगा।
- सूरजभान, पूर्व सैन्यकर्मी
पाकिस्तान हमेशा झूठ बोलता रहा है। उसकी बातों में नहीं आना चाहिए। जब घाटी में शाति बहाली हो गई थी तो देशभर के लोगों ने ये सोच लिया कि सबकुछ सामान्य हो गया, लेकिन ये तूफान से पहले की शांति थी। इस तरह की गतिविधियों पर लगातार नजर रखनी होगी। ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो सकें। हम सेना से रिटायर जरूर हो गए हैं, लेकिन अभी भी देश को जरूरत पड़ने पर तैयार हैं।
- शिव कुमार जुरैल, पूर्व सैन्यकर्मी
मैंने 1965 और 1971 में युद्ध लड़ा। कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन पहलगाम में हुई इस तरह की घटना ने विचलित कर दिया है। पर्यटकों का क्या दोष था। उनके साथ इस तरह की घिनौनी हरकत क्यों की गई। मेरा मानना है कि इस घटना में वहां के स्थानीय लोग भी शामिल थे। उन लोगों ने आतंकियों को पनाह दी होगी। बिना उनके इस तरह की घटना हो ही नहीं सकती। सरकार को इस दिशा में सख्त कदम उठाने चाहिए।
- दिवाकर शर्मा, पूर्व वायु सेना अधिकारी
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