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सरल नीतियों से ही उड़ान भरेगा कारोबार

हिन्दुस्तान समाचार पत्र के विशेष अभियान बोले अलीगढ़ के तहत रविवार को टीम ने उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों से संवाद किया। इस दौरान व्यापारियों ने खुलकर नगर निगम, परिवहन विभाग और स्थानीय प्रशासन की खामियों को उजागर किया।

Sunil Kumar हिन्दुस्तानMon, 26 May 2025 06:44 PM
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सरल नीतियों से ही उड़ान भरेगा कारोबार

व्यापारियों ने 15 से अधिक मांगें सामने रखते हुए सुझाव भी दिए कि कैसे सरल नीतियों के माध्यम से आमजन को राहत दी जा सकती है और स्थानीय निकायों की आय भी बढ़ाई जा सकती है।

व्यापारियों ने कहा कि हाउस टैक्स पर लगने वाला जुर्माना और ब्याज, मूलधन से भी अधिक हो गया है। इससे टैक्स वसूली नहीं हो पा रही है। उन्होंने बिजली विभाग की तर्ज पर एकमुश्त समाधान योजना लाने की मांग की। जिससे ब्याज माफ हो और मूलधन को आसान किश्तों में जमा कराया जाए। व्यापारियों ने आपत्ति जताई कि बकाया हाउस टैक्स की वसूली के नाम पर स्थानीय निकाय किरायेदारों की दुकानों को सील कर रही है। जबकि जिम्मेदारी मकान मालिक की होती है। उन्होंने मांग की कि किरायेदार के बजाय मकान मालिक पर कार्रवाई हो और अगर आवश्यक हो तो किराया अटैच किया जाए।

बोले अलीगढ़ अभियान के तहत व्यापारियों ने कहा कि कई दुकानों में पानी का कनेक्शन नहीं है फिर भी जलकर वसूला जा रहा है। यह अन्यायपूर्ण है और जलकर वसूली केवल उन्हीं दुकानों से की जाए जिनमें जलापूर्ति है। उन्होंने नगर निगम से मांग की कि प्रमुख बाजारों में आरओ वाटर कूलर लगाए जाएं। जिससे गर्मी में ग्राहकों व दुकानदारों को राहत मिले। साथ ही नालियों की सफाई के दौरान निकला कूड़ा कई दिन तक दुकानों के सामने पड़ा रहता है, जिससे बदबू और बीमारियों का खतरा बना रहता है। इसे तुरंत हटवाने की व्यवस्था हो। कहा कि स्थानीय निकाय द्वारा नामांतरण शुल्क को अत्यधिक बढ़ा दिया गया है। जिससे कई भवन स्वामी नामांतरण नहीं करवा रहे हैं और निकाय को टैक्स का नुकसान हो रहा है। व्यापारियों ने इसे न्यूनतम 500 रुपए और अधिकतम 5000 रुपए करने की मांग की।

स्ट्रीट लाइटें बंद, गलियों की हालत खराब

शहर की स्ट्रीट लाइटें खराब हैं जिससे रात के समय अपराध और दुर्घटना का खतरा रहता है। व्यापारियों ने मांग की कि बाजारों, गलियों और मोहल्लों की स्ट्रीट लाइटें तत्काल ठीक कराई जाएं। वहीं गलियों की टूटी सड़कें स्कूली बच्चों, महिलाओं और दोपहिया चालकों के लिए खतरा बनी हुई हैं। उन्होंने गड्ढा मुक्त अभियान चलाकर सड़कों को दुरुस्त करने की अपील की।

जलभराव और नशाखोरी बनी सिरदर्द

बरसात में जल निकासी की सही व्यवस्था न होने से बाजारों में पानी भर जाता है और व्यापार ठप हो जाता है। व्यापारियों ने मांग की कि जलभराव वाले क्षेत्रों में पंपिंग सेट लगाए जाएं। साथ ही उन्होंने खुलासा किया कि शहर के कई इलाकों में जैसे देहलीगेट, खैर रोड, सराय लवरिया आदि में नशाखोरी खुलेआम हो रही है। इस पर तुरंत रोक लगाई जाए।

गांधी पार्क बस स्टेशन को फिर से किया जाए चालू

व्यापारियों ने कहा कि गांधी पार्क बस स्टेशन आम लोगों और व्यापारियों के लिए अत्यंत लाभदायक था। यहां से बस संचालन बंद कर मसूदाबाद और सारसौल शिफ्ट करना जनविरोधी निर्णय था। उन्होंने मांग की कि जनहित में गांधी पार्क से बस संचालन दोबारा शुरू किया जाए।

अतिक्रमण, ई-रिक्शा और वेंडिंग जोन को लेकर चिंता

व्यापारियों ने कहा कि शहर के कई चौराहों पर जाम की स्थिति बनी रहती है। जिसका मुख्य कारण अतिक्रमण और अव्यवस्थित ई-रिक्शा संचालन है। व्यापारियों ने मांग की कि ई-रिक्शा के लिए तय रूट और रजिस्ट्रेशन की सख्त व्यवस्था की जाए। साथ ही वेंडिंग जोन घोषित होने के बावजूद पटरी दुकानदारों को अभी तक व्यवस्थित नहीं किया गया है।

व्यापारियों की मुख्य मांगें

-हाउस टैक्स पर ब्याज माफ कर ओटीएस योजना लागू हो।

-किरायेदारों की दुकानों को सील न किया जाए।

-बिना जल कनेक्शन दुकानों से जलकर न वसूला जाए।

-बाजारों में आरओ वाटर कूलर लगें।

-सफाई के बाद निकली सिल्ट तुरंत हटाई जाए।

-स्ट्रीट लाइटें और सड़कें तत्काल दुरुस्त हों।

-गांधी पार्क से बस संचालन दोबारा शुरू हो।

-नशे के कारोबार पर सख्त कार्रवाई हो।

-वेंडिंग जोन में पटरी दुकानदारों को बसाया जाए।

ये क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित

देहलीगेट - नशे का प्रसार, अतिक्रमण

खैर रोड - जाम और ई-रिक्शा अव्यवस्था

रेलवे रोड - गांधी पार्क बस अड्डा बंद होने से नुकसान

महावीरगंज व आगरा रोड - प्रमुख बाजार, जलभराव और सफाई की समस्या

सराय लवरिया, सराय हकीम - नशाखोरी और सीलिंग की घटनाएं

बोले व्यापारी

नगर निगम की टैक्स नीति पूरी तरह से अव्यवहारिक है। मूलधन से ज्यादा ब्याज लगाकर टैक्स वसूली की क्या तुक है। व्यापारी पहले से मंदी झेल रहे हैं, ऊपर से इतनी सख्ती से हालात और बिगड़ रहे हैं।

प्रदीप गंगा

हम दुकान किराए पर चला रहे हैं। टैक्स मकान मालिक का है। लेकिन दुकान हमारी सील कर दी जाती है। यह सरासर अन्याय है। किराया देने के बाद भी ऐसा बर्ताव हमें कानून व्यवस्था से भरोसा उठाने पर मजबूर करता है।

एम ए खान गांधी

पानी का कनेक्शन ही नहीं है दुकान में, लेकिन हर साल जलकर वसूला जा रहा है। यह लूट नहीं तो क्या है। बिना सेवा के पैसा वसूलना एक तरह की सरकारी जबरदस्ती है।

आलोक प्रताप सिंह

बाजार में गर्मी के दिनों में ग्राहक तक नहीं रुकते क्योंकि पानी की कोई सुविधा नहीं। नगर निगम अगर हर प्रमुख बाजार में आरओ कूलर लगवाए तो थोड़ी राहत मिलेगी। वरना गर्मी में ग्राहक भाग जाते हैं।

प्रमोद कुमार सिंह

नाले की सफाई करते हैं तो गंदगी वहीं छोड़ देते हैं कई-कई दिन। इससे बदबू, मच्छर और बीमारी फैलती है। ग्राहक दुकान तक नहीं आते। यह व्यापारियों के लिए आर्थिक नुकसान का सीधा कारण बनता है।

हरिकिशन अग्रवाल

नामांतरण शुल्क इतना बढ़ा दिया है कि लोग प्रक्रिया पूरी ही नहीं कराते। इससे नए भवनों का रिकॉर्ड नहीं जुड़ता और निगम को खुद नुकसान होता है। व्यापारियों को इस प्रक्रिया में सहूलियत मिलनी चाहिए।

डॉ अजय शर्मा

शहर की गलियों का हाल बेहाल है। टूटी सड़कों से दोपहिया वाहन फिसलते हैं और आए दिन कोई न कोई घायल होता है। व्यापारियों के लिए भी यह परेशानी है क्योंकि ग्राहक भी दुकान तक नहीं पहुंच पाते।

राकेश गुप्ता लीडर

स्ट्रीट लाइट न होने से अंधेरे में चोरी और छिनैती की घटनाएं बढ़ रही हैं। ग्राहक देर शाम बाजार आने से डरते हैं। नगर निगम अगर समय रहते कार्रवाई नहीं करता तो व्यापार पर बुरा असर होगा।

कालीचरण

बरसात में पूरा बाजार पानी से भर जाता है। ना ग्राहक आते हैं, ना माल आ-जा पाता है। निगम अगर जल निकासी की व्यवस्था ठीक कर दे तो आधी समस्याएं यूं ही खत्म हो जाएंगी।

राहुल अग्रवाल

गांधी पार्क से बसों का संचालन बंद करना व्यापारियों के खिलाफ एक बड़ा फैसला था। इससे बाजार की रौनक कम हो गई। ग्राहक अब दूसरी जगह से आने में कतराते हैं, खासकर बाहरी व्यापारी।

हेमंत कुमार बालाजी

बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि दुकानों में घुसकर सामान गिरा देते हैं। ग्राहक डर जाते हैं और लौट जाते हैं। नगर निगम को तत्काल बंदर पकड़ने का अभियान फिर से शुरू करना चाहिए।

कुलदीप सिंह

नशे के इंजेक्शन खुलेआम बिक रहे हैं, वह भी परचून की दुकानों पर। इससे युवा वर्ग बर्बाद हो रहा है और अपराध भी बढ़ रहा है। प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा, जो चिंता का विषय है।

अंकित अग्रवाल

हमारे क्षेत्र में हर रोज अतिक्रमण और ई-रिक्शा की वजह से जाम लगता है। ग्राहक गाड़ी खड़ी नहीं कर पाते और खरीदारी छोड़कर लौट जाते हैं। यह सीधे व्यापार पर असर डालता है।

मुकेश कुमार वर्मा

ई-रिक्शा का संचालन पूरी तरह अव्यवस्थित है। न लाइसेंस है, न रूट फिक्स। हर चौराहे पर यही सबसे बड़ी समस्या बन गया है। यातायात विभाग को इसे तुरंत सुधारना चाहिए।

यश कुमार बाबा

एकमुश्त समाधान योजना अगर हाउस टैक्स में लागू हो जाती है तो बहुत से व्यापारी भुगतान कर देंगे। इस वक्त भारी जुर्माना उन्हें रोक रहा है। सरकार को समझदारी दिखानी चाहिए।

नीरज कुमार

सिल्ट को कई दिनों तक नहीं हटाना न सिर्फ गंदगी फैलाता है, बल्कि ग्राहकों को दुकान तक पहुंचने से रोकता है। यह स्थिति केवल व्यापार ही नहीं, आमजन के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है।

शाहिद नूर

नामांतरण में विलंब होने पर लेट फीस भी वसूली जाती है। यह दोहरी सज़ा है। पहले प्रक्रिया लंबी, फिर जुर्माना। नगर निगम को प्रक्रिया सरल और शुल्क वाजिब करना चाहिए।

राहुल कनक

हम किरायेदार हैं, किराया समय पर देते हैं। फिर दुकान सील करना हमें मानसिक रूप से तोड़ देता है। इससे व्यापार में गिरावट आती है और भविष्य असुरक्षित लगता है।

चौधरी वीरेंद्र सिंह

पेयजल की व्यवस्था बाजारों में न होने से हम अपने ग्राहक को पानी तक नहीं दे सकते। यह बुनियादी सुविधा है जिसे नगर निगम को प्राथमिकता देनी चाहिए।

संजीव अग्रवाल

शहर की सड़कों पर गड्ढे इतने ज्यादा हैं कि गाड़ी चलाना खतरे से खाली नहीं। व्यापारियों के लिए माल की ढुलाई भी कठिन होती जा रही है।

अमित सारस्वत

बाजार में स्ट्रीट लाइटें महीनों से खराब हैं। शिकायतों के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती। रात को तो दुकानें जल्दी बंद करनी पड़ती हैं। यह सुरक्षा और व्यापार दोनों के लिए बुरा है।

कौशल सिंह

नालियों की सफाई बिना प्लानिंग के की जाती है। पहले कूड़ा बाहर निकालते हैं, फिर उसे हटाने में हफ्तों लगा देते हैं। इससे पूरे बाजार में गंदगी और संक्रमण फैलता है।

अरुण गोयल

गांधी पार्क से बसें चलने से व्यापारियों को बड़ा लाभ था। स्टेशन भी पास था, बाजार भी। अब ग्राहक दूर से आने में हिचकते हैं। यह निर्णय वापस लेना ही सही हो सकता है।

अनिल बंसल

शहर की सबसे बड़ी समस्या यह है कि अफसरों की प्राथमिकता व्यापारियों की परेशानियां नहीं हैं। हर विभाग अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर डाल देता है और हम बीच में पिसते हैं।

विवेक प्रताप सिंह

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