नए-नए नवाचार करके प्रधानों ने बदल डाली गांवों की दिशा और दशा,जल संरक्षण और कूड़ा निस्तारण के लिए कई पंचायतों ने उठाया कदम,ग्राम पंचायतों के सचिवालय भी निकायों के भवनों को दे रहे हैं टक्कर
अलीगढ़ मंडल के हजारों पेंशनर्स की जिंदगी आजकल सिर्फ सरकारी उपेक्षा की परछाईं में बीत रही है। उम्र के उस मोड़ पर जहां उन्हें राहत, सुविधा और सम्मान की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, वहीं उन्हें इलाज, वेतन वृद्धि, पेंशन कटौती और शासनादेशों की अनदेखी जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अलीगढ़ के पहलवानों ने जहां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी में सफलता के झंडे गाड़े हैं। पहलवानी सिर्फ शौक तक ही सीमित होती जा रही है क्योंकि स्थानीय स्तर पर न मिलने वाली सुविधाओं की वजह से उन्हें मंजिल तक पहुंचने का रास्ता नजर नहीं आता है।
धर्मस्थल वो स्थान होते हैं जहां इंसान दुनिया की हलचल से दूर, आत्मिक शांति पाने आता है। लेकिन जब उस स्थान तक पहुंचने से पहले ही गंदगी, अराजकता और जानवरों के हमलों से दो-चार होना पड़े, तो यह प्रशासनिक लापरवाही ही नहीं। समाज की सामूहिक संवेदनहीनता को भी उजागर करता है।
ट्रंप के टैरिफ वार से शुरू हुआ वैश्विक दबाव अब अलीगढ़ के मेटल कारोबार को पूरी तरह चपेट में ले चुका है। बाजारों में गिरावट का सिलसिला जारी है। खरीदार गायब हैं और अनिश्चितता के इस दौर में उत्पादन ठप हो गया है।
हज इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा इबादत है, जिसे पूरा करने के लिए हर एक मुसलमान काबा की यात्रा करना चाहता है। इसे ही हज यात्रा कहा जाता है। माना जाता है कि काबा 'अल्लाह का घर' है, जो सऊदी अरब के मक्का शहर में स्थित है।
हिन्दुस्तान समाचार पत्र के अभियान बोले अलीगढ़ के तहत रविवार को शहर की मलिन बस्ती कैलाश गली में टीम ने लोगों से संवाद किया। लोगों ने बताया कि मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग मुख्य रूप से शहरी और ग्रामीण इलाकों में सीमित संसाधनों के साथ जीने को मजबूर हैं
वो जो अब तक परछाइयों में थीं, वो अब समाज की रोशनी बन गई हैं। वार्ष्णेय समाज की महिलाएं आज सिर्फ घर नहीं, समाज का भविष्य गढ़ रही हैं। वे अब सिर्फ रस्में नहीं निभा रहीं, वे अब नियम बना रही हैं। इनकी आंखों में समाज के लिए एक सपना है। जहां हर लड़की कॉलेज जाए।
हाथरस के बागला कॉलेज व छेरत होम्योपैथिक मेडीकल कॉलेज में छात्राओं के साथ हुई घटनाओं को लेकर छात्राओं में काफी गुस्सा है। इन घटनाओं पर छात्राओं ने रोष जताते हुए कहा कि जब कॉलेज में ही छात्राएं सुरक्षित नहीं होंगी तो वह आखिर सुरक्षित कहां होंगी।
शहर में हजारों ई-रिक्शा चालक अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए सड़कों पर निकलते हैं। लेकिन उनके लिए यह सफर आसान नहीं है। नगर निगम, ट्रैफिक पुलिस और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स की सख्ती ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है।