How can a dream come true at a slow pace? सुस्त रफ्तार से कैसे सपना होगा साकार, Aligarh Hindi News - Hindustan
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सुस्त रफ्तार से कैसे सपना होगा साकार

हिन्दुस्तान समाचार पत्र के बोले अलीगढ़ अभियान के तहत मंगलवार को हेल्पिंग हैंड सोसाइटी के पदाधिकारियों से संवाद हुआ। संवाद में सोसायटी की समाजसेवा यात्रा की झलक तो मिली ही। साथ ही शहर की बदहाल व्यवस्थाओं और स्मार्ट सिटी के नाम पर हो रहे अव्यवस्थित विकास कार्यों पर तीखे सवाल भी उठाए गए

Sunil Kumar हिन्दुस्तानWed, 28 May 2025 06:14 PM
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सुस्त रफ्तार से कैसे सपना होगा साकार

। पदाधिकारियों ने साफ कहा कि सेवा और व्यवस्था दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं और जब तक शहर की बुनियादी समस्याओं को ईमानदारी से हल नहीं किया जाएगा। तब तक स्मार्ट सिटी केवल नाम मात्र का सपना ही रहेगा।

बीते दस सालों से शहर में सामाजिक कार्यों को सर्मपित हेल्पिंग हैंड सोसाइटी अब तक करीब पचास से अधिक गरीब कन्याओं के विवाह में सहयोग कर चुकी है। पदाधिकारियों ने बताया कि अब 11वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। सोसाइटी का संकल्प है कि इस वर्ष से अपने सेवा कार्यों को और व्यापक स्तर पर ले जाएगी। संस्था द्वारा करीब 50 निर्धन कन्याओं के विवाह में आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग दिया जा चुका है। हर वर्ष ब्लड डोनेशन कैंप आयोजित कर जरूरतमंदों को जीवनदान देने का प्रयास होता है। गर्मियों में प्याऊ लगाना, सार्वजनिक स्थलों पर पौधरोपण करना और समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना संस्था की प्रमुख गतिविधियों में शामिल है।

बोले अलीगढ़ संवाद के दौरान पदाधिकारियों ने बताया कि संस्था अब गरीब और असहाय लोगों के लिए निशुल्क इलाज की दिशा में भी कार्य आरंभ करने जा रही है। जिससे जो लोग इलाज के अभाव में तकलीफ उठाते हैं, उन्हें राहत मिल सके। संवाद के दौरान पदाधिकारियों ने शहर की अव्यवस्थित व्यवस्था पर गंभीर चिंता जताई। उनका कहना था कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का उद्देश्य मूलभूत सुविधाएं देना था, लेकिन इसका संचालन बेहद अव्यवस्थित और बिना किसी पारदर्शिता के हो रहा है।

ई-रिक्शा व्यवस्था ठप- उन्होंने बताया कि शहर में ई-रिक्शा का संचालन पूर्णतः अव्यवस्थित है। ई-रिक्शा चालक जहां-तहां सवारियां भरते हैं, जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है। कई बार वन-वे ट्रैफिक योजना बनाई गई, लेकिन उस पर कोई अमल नहीं हुआ। ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम इस पर नियंत्रण करने में असफल रहे हैं। पदाधिकारियों का आरोप था कि स्मार्ट सिटी के नाम पर शहर की सड़कों को बार-बार खोदा जाता है। एक ही स्थान पर कभी पाइपलाइन, कभी सीवर, तो कभी नाली निर्माण के नाम पर खुदाई होती है। नतीजा यह होता है कि सड़कें कभी भी ठीक से बन नहीं पातीं और जनता को हर दिन परेशानी झेलनी पड़ती है।

टेंडरों में पारदर्शिता नहीं - उन्होंने सवाल उठाया कि नगर निगम किस प्रक्रिया से विकास कार्यों के टेंडर जारी करता है। यह आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया। पहले सड़क बनाई जाती है, फिर उसे खोदकर सीवर डाला जाता है, फिर नाली के लिए दोबारा खुदाई। इससे जनता का पैसा और समय दोनों बर्बाद हो रहा है।

जलभराव और गंदगी, हर साल की कहानी

पदाधिकारियों ने कहा कि मानसून से पहले नालों की सफाई के दावे हर साल किए जाते हैं, लेकिन पहली ही बारिश में शहर टापू बन जाता है। जलभराव की स्थिति ऐसी हो जाती है कि लोग घरों में कैद हो जाते हैं। मथुरा रोड स्थित ए टू जेड प्लांट का भी उल्लेख किया गया, जहां कूड़े का पहाड़ लगातार ऊंचा होता जा रहा है। चेतावनी दी गई कि यदि इसका शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो अलीगढ़ भी दिल्ली की तर्ज पर एक कचरा राजधानी बन जाएगा। पदाधिकारियों ने कहा कि जब शहर में जलभराव, गड्ढे, कूड़े के ढेर और ट्रैफिक अव्यवस्था जैसी समस्याएं आम हो गई हों, तो स्मार्ट सिटी की परिभाषा खुद-ब-खुद सवालों के घेरे में आ जाती है। संस्था का यह भी मानना है कि सिर्फ योजनाएं बनाना ही काफी नहीं, उन्हें धरातल पर उतारना, निगरानी करना और जनता को जवाबदेह बनाना आवश्यक है। जब तक प्रशासन और निगम इन बिंदुओं पर गंभीरता से काम नहीं करेंगे, तब तक शहर का वास्तविक विकास संभव नहीं होगा।

बोले सदस्य

सोसायटी द्वारा अब तक दस वर्षों में करीब 50 से अधिक निर्धन कन्याओं के विवाह में सहयोग किया है। 11वें वर्ष में हम सामाजिक सेवाओं का विस्तार करेंगे। अब संस्था असहाय लोगों का इलाज भी कराएगी।

जय गोपाल वीआईपी, संस्थापक अध्यक्ष, हेल्पिंग हैंड सोसायटी

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हेल्पिंग हैंड सोसाइटी का हर कार्य समाज को जोड़ने, संवारने और सुधारने की दिशा में है। इस संस्था की भावना सेवा, समर्पण और विस्तार को सच्चे रूप में दर्शाती है।

गौरव गुप्ता ब्रास, उपाध्यक्ष

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संस्था का दृष्टिकोण केवल दान देना नहीं, समाज में बदलाव लाना है। उनकी सोच और काम करने की शैली दोनों ही प्रशंसनीय हैं। स्मार्ट सिटी में प्रशासन से मांग है कि अवैध ई-रिक्शा संचालन पर रोक लगाई जाए।

विशाल वार्ष्णेय आनंद

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हर साल नालों की सफाई का दावा किया जाता है। लेकिन हल्की सी बारिश में भी गलियां जलमग्न हो जाती हैं। लोग घरों से निकल नहीं पाते और बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। क्या यही स्मार्ट सिटी की तस्वीर है।

विपिन शांति

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एक ही सड़क को साल में तीन बार खोदते हैं। पहले पाइप डालते हैं, फिर सीवर, फिर नाली। जनता का पैसा बर्बाद होता है और सड़कें कभी ठीक से बन ही नहीं पातीं। ये सब काम बिना योजना के हो रहा है।

आशीष डिस्पोजल

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ई-रिक्शा पूरे शहर में ट्रैफिक जाम का कारण बनते जा रहे हैं। न तो नियमों का पालन होता है और न ही पुलिस की कोई पकड़ दिखती है। अगर यही हाल रहा तो चलना-फिरना और मुश्किल हो जाएगा।

अतुल केमिकल

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स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ने शहर को और ज्यादा असुविधाजनक बना दिया है। पॉश कॉलोनियों की गलियों तक में कीचड़ और गड्ढे हैं। कहीं भी कोई योजना पूरी नहीं दिखाई देती।

संजीव सिंघल, वरिष्ठ कोषाध्यक्ष

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टेंडर कैसे निकलते हैं, कौन ठेकेदार है, किसे कितना पैसा मिला यह सब जनता को पता ही नहीं चलता। जो काम होता है वो भी अधूरा छोड़ दिया जाता है। पारदर्शिता नाम की कोई चीज नहीं है।

कपिल

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ए टू जेड प्लांट में कूड़े का पहाड़ बढ़ता जा रहा है। बदबू और मच्छरों की भरमार है। कोई पूछने वाला नहीं। अगर यही हाल रहा तो अलीगढ़ भी कचरे की राजधानी कहलाएगा।

मनोज अरोरा

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गर्मी में प्याऊ तो संस्था लगाती है, लेकिन नगर निगम एक घूंट ठंडा पानी भी नहीं दे पाता। बस बोर्ड लगा देते हैं। जनता बेहाल है लेकिन अफसरों को कोई फर्क नहीं पड़ता।

सुंदर

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गंदगी और कचरे का हाल ये है कि सुबह घर से निकलते ही नाक बंद करनी पड़ती है। नगर निगम की गाड़ियों की आवाज तो सुनाई नहीं देती। लेकिन, सफाई कर्मचारी गायब रहते हैं।

जॉनी

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बाजारों में वन वे ट्रैफिक लागू किया जाता है लेकिन पालन कोई नहीं करता। उल्टा ई-रिक्शा चालक जानबूझकर नियम तोड़ते हैं। इससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता जा रहा है। पुलिस केवल दिखावे की कार्रवाई करती है।

प्रवीन गोयल

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शहर में स्ट्रीट लाइट्स काम नहीं करतीं। रात में गलियां अंधेरे में डूबी रहती हैं। इससे अपराध का खतरा भी बढ़ता है। नगर निगम को सिर्फ टैक्स लेना आता है, सुविधाएं देने में पीछे है।

राजपाल सिंह चौहान

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सरकारी विभागों में काफी बुरा हाल है। हर काम के लिए कई-कई बार चक्कर काटने पड़ते हैं। स्मार्ट सिटी का दावा करने वाले पहले बुनियादी जरूरतें पूरी करें। इसके बाद शहर को स्मार्ट बनाएं।

मनोज वार्ष्णेय, संयुक्त महामंत्री

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नगर निगम का रवैया बेहद ढीला है। शिकायत करो तो सुनवाई नहीं होती। अधिकारी फोन नहीं उठाते और कर्मचारी जिम्मेदारी नहीं लेते। जनता की कोई सुनवाई नहीं होती।

मोहित वार्ष्णेय

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बरसात के दिनों में नालियों से गंदा पानी सड़क पर आ जाता है। इससे बीमारियां फैलती हैं। स्वच्छ भारत और स्मार्ट सिटी जैसी योजनाएं केवल कागजों पर रह गई हैं।

देवेश गोयल, कोषाध्यक्ष

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हेल्पिंग हैंड सोसाइटी जैसे संगठन समाज की रीढ़ हैं। जहां सरकार नहीं पहुंचती, वहां ये संस्था मदद पहुंचाती है। गरीब कन्याओं के विवाह में सहयोग देना बहुत ही सराहनीय कार्य है।

मनोज गुप्ता लकी

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ब्लड डोनेशन कैंप नियमित रूप से आयोजित कर जरूरतमंदों की जान बचाना एक सच्ची सेवा भावना का परिचायक है। ये कार्य केवल वही कर सकता है जो मानवता को सबसे ऊपर मानता हो।

विपिन कुमार मित्तल, महामंत्री

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प्याऊ लगवाना, पौधरोपण करना और लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना ये वो काम हैं जो सरकार को करना चाहिए था। लेकिन अब समाजसेवी संस्थाएं कर रही हैं।

दीपक वार्ष्णेय

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संस्था द्वारा गरीबों के मुफ्त इलाज की पहल अत्यंत आवश्यक है। बहुत से ऐसे लोग हैं जो इलाज न होने के कारण तकलीफ में रहते हैं। हेल्पिंग हैंड सोसाइटी का यह निर्णय स्वागतयोग्य है।

सुरेश बंसल

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ऐसी संस्था जो सेवा को संकल्प मानकर कार्य करे, समाज के लिए प्रेरणा है। सरकारों को इनसे सीख लेनी चाहिए कि कम संसाधनों में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

विशाल गुप्ता

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दस वर्षों की सेवा यात्रा अपने आप में एक उपलब्धि है। लगातार सकारात्मक कार्य करते रहना और समाज में बदलाव लाना किसी बड़े आंदोलन से कम नहीं है।

अमित वर्मा

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आज के दौर में जहां स्वार्थ हावी है, वहां संस्था का निस्वार्थ सेवा कार्य लोगों में उम्मीद की किरण जगाता है। यह शहर के लिए सौभाग्य की बात है।

ऋषि

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हर साल पौधरोपण करना और उसकी देखभाल करना केवल इवेंट नहीं, ये जिम्मेदारी है जिसे संस्था बखूबी निभा रही है। अगर हर कॉलोनी में ऐसा हो तो शहर हरा-भरा बन सकता है।

संजीव गुप्ता

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हेल्पिंग हैंड सोसाइटी ने समाज के उन तबकों को छुआ है जिन्हें अक्सर भुला दिया जाता है। जैसे बीमार, बेसहारा और गरीब कन्याएं। ये सच्ची सेवा का प्रतीक है।

विजय वार्ष्णेय

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संस्था सेवा को अभियान नहीं, जीवन का उद्देश्य मानती है। यही कारण है कि उनके कार्यों में निरंतरता और गंभीरता साफ झलकती है। हमारा उद्देश्य समाज में कुछ बेहतर करना है।

रवि मिश्रा

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जब समाज की संस्थाएं आगे आती हैं, तो शहर में सकारात्मक माहौल बनता है। हेल्पिंग हैंड सोसाइटी ने यह साबित कर दिया है कि बदलाव केवल सरकार से नहीं, समाज से भी आता है।

भुवनेश्वर दयाल

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ब्लड डोनेशन, शादी में मदद, प्याऊ लगवाना ये सभी कार्य समाज में जमीनी स्तर पर राहत पहुंचाने वाले हैं। यह संस्था जरूरतमंदों की असली साथी है। आगे भी हम लगातार समाज की बेहतरी के लिए प्रयास करते रहेंगे।

अनुज जिंदल

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