कब वापस आएगी अलीगढ़ की मिठास
अलीगढ़ मंडल में किसानों के लिए जीवनरेखा मानी जाने वाली साथा सहकारी चीनी मिल आज खुद इलाज की मोहताज हो गई है। सात वर्षों से आधुनिकीकरण और क्षमता वृद्धि की मांग कर रहे किसान अब तक न तो कोई ठोस कार्य होते देख पाए और न ही सरकारी घोषणाओं का धरातल पर उतर पाई।
जहां एक ओर उत्तर प्रदेश सरकार ने बजट 2023-24 में नई चीनी मिल की घोषणा की थी। वहीं दूसरी ओर पुरानी मिल 2021-22 से बंद पड़ी है और अब इस पर 1137 कुंतल चीनी के घोटाले के आरोप भी लग चुके हैं। सरकार, प्रशासन और अधिकारियों से बार-बार मांग और आंदोलनों के बावजूद न तो किसानों को जवाब मिला और न ही समाधान। अब किसानों का कहना है कि अगर शीघ्र कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई, तो उनकी आर्थिक स्थिति और बदतर हो जाएगी।
साथा चीनी मिल कभी अलीगढ़ मंडल के गन्ना किसानों के लिए आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक थी। लेकिन पिछले सात वर्षों में इस मिल का ढांचा धीरे-धीरे जर्जर होता गया। किसान संगठन और स्थानीय प्रतिनिधि बार-बार इसकी क्षमता वृद्धि, मशीनरी बदलने और पुनरुद्धार की मांग करते रहे, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले। किसानों ने बताया कि बजट 2023-24 में नई चीनी मिल की घोषणा ने उम्मीद जगाई थी। लेकिन अब तक न कोई निर्माण शुरू हुआ और न टेंडर प्रक्रिया ही प्रारंभ हुई है।
हिन्दुस्तान समाचार पत्र के अभियान बोले अलीगढ़ के तहत टीम ने शुक्रवार को किसानों से संवाद किया। इस दौरान किसानों ने बताया कि 2022-23 में मिल के रिकॉर्ड में 1137 कुंतल चीनी की कमी दर्ज की गई। किसानों का आरोप है कि या तो यह चीनी पहले से ही नदारद थी और ऑडिट रिपोर्ट सिर्फ खानापूरी में तैयार हुई, या फिर यह घोटाला नवीन महाप्रबंधक की जानकारी में हुआ। सबसे गंभीर बात यह है कि जांच उन्हीं अधिकारियों द्वारा कराई जा रही है जो सीधे महाप्रबंधक के अधीनस्थ हैं। किसानों को शक है कि छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, जबकि असली दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो रही।
कई किसानों ने बताया कि उनके पूर्वजों के नाम से जारी नलकूप कनेक्शनों को विभाग पीडीसी कराकर जबरन नए नाम से स्थानांतरित कराने का दबाव बना रहा है। इससे बुजुर्ग किसानों और उनके वारिसों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। इसी तरह, सामान्य योजना के तहत जिन किसानों ने बिजली कनेक्शन के लिए 4 साल पहले भुगतान किया, उन्हें आज तक तार, पोल व अन्य सामग्री नहीं मिली। विभागीय लापरवाही किसानों के धैर्य की परीक्षा ले रही है।
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ग्रामीण इलाकों की बिजली लाइनों से जान का खतरा
अलीगढ़ जिले के कई गांवों में बिजली आपूर्ति की लाइनें पुरानी, जर्जर और खतरे से भरी हुई हैं। आए दिन लाइन टूटने की घटनाएं होती हैं। जिससे जान-माल की हानि हो रही है। लेकिन मुआवजे और समाधान में विभाग टालमटोल कर रहा है। किसानों की मांग है कि इन लाइनों को तत्काल बदला जाए। जिससे भविष्य में कोई बड़ा हादसा न हो।
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सिंचाई संकट: कासिमपुर माइनर से नहीं मिल रहा पानी
हरदुआगंज रजवाहे से निकलने वाली कासिमपुर माइनर में 22 कुलावे बनाए गए हैं। लेकिन, पानी केवल 6 कुलावों तक ही पहुंचता है। इसके कारण लगभग पांच गांवों के किसान सिंचाई से वंचित हैं और फसलें सूखने की कगार पर हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद सिंचाई विभाग की निष्क्रियता बनी हुई है। किसानों को आशंका है कि माइनर में कहीं और अवैध निकासी हो रही है, जिसे रोकने की जरूरत है।
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प्रदूषण से फसलें चौपट, सीमेंट फैक्ट्रियों पर कार्रवाई नहीं
किसानों ने बताया कि कासिमपुर क्षेत्र में संचालित सीमेंट फैक्ट्रियों द्वारा उत्सर्जित धूल और रासायनिक कणों से न केवल खेत की मिट्टी बर्बाद हो रही है। इससे फसलें भी बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। किसानों ने बताया कि प्रदूषण विभाग को कई बार शिकायतें भेजी गईं। लेकिन हर बार खानापूर्ति कर मामले को दबा दिया गया। अब ग्रामीणों को सांस की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
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बोले किसान
साथा चीनी मिल हमारे जीवन से जुड़ी हुई है। जबसे यह बंद हुई है, हमें फसल बेचने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। सरकार ने बजट में वादा किया था, लेकिन आज तक एक ईंट भी नहीं लगी।
डॉ. शैलेंद्र पाल सिंह, प्रदेश महासचिव, भाकियू भानु
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1137 कुंतल चीनी का जो घोटाला हुआ, वो छोटे कर्मचारियों पर थोप दिया गया। असली जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हो रही। किसानों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। निष्पक्ष जांच नहीं होगी तो सच्चाई कभी सामने नहीं आएगी।
खेम सिंह
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हमारे बुजुर्गों के नाम बिजली कनेक्शन है, लेकिन अब विभाग पीडीसी के नाम पर नए कनेक्शन लेने को कह रहा है। न तो सुविधाएं हैं, न ही सहयोग। ये सब शोषण के तरीके हैं।
गवेंद्र पाल सिंह
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चार साल हो गए, बिजली कनेक्शन के लिए पैसा जमा किए। न तार मिला, न पोल। अब अधिकारी कहते हैं कि स्टॉक में सामान नहीं है। तो फिर पैसा किस बात का लिया गया था।
प्रमोद कुमार सिंह
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गांव में बिजली के तार इतने जर्जर हैं कि बारिश में करंट फैलने का खतरा बना रहता है। एक गाय की मौत हो चुकी है। लेकिन विभाग मुआवजे में देरी करता है और कर्मचारी सुनते नहीं।
कौशल सिंह
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कासिमपुर माइनर में किसानों के खेत है। पानी सिर्फ छठे कुलावे तक आता है। नीचे के कुलावों में पानी एक बूंद नहीं जाता। हम लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
अमित सारस्वत
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सीमेंट फैक्ट्रियों की वजह से किसानों के खेत की मिट्टी बर्बाद हो रही है। पत्तों पर सफेद धूल जमा हो जाती है। गेहूं की उपज घट गई है। स्वास्थ्य पर असर पड़ा है लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा।
नीरज कुमार
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प्रदूषण विभाग सिर्फ खानापूरी करता है। फैक्ट्री मालिक पैसे देकर मामला दबा देते हैं। हमारी तो फसलें भी नहीं बचतीं। हमारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं। किसान आयोग का गठन होना चाहिए।
देवराज सिंह
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गन्ना मिल के बिना हमारा आर्थिक संतुलन बिगड़ गया है। पहले समय पर भुगतान होता था, अब तो किसान उधार के बोझ में दबता जा रहा है। मिल का दोबारा खुलना जरूरी है।
मनोज कौशिक
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धनीपुर मंडी में जो चबूतरे किसानों के लिए बने थे, वो अब व्यापारियों को पैसे लेकर दे दिए गए। हमारा अनाज खुले में भीगता है। अफसर सब जानते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं करते।
सोनू चौहान
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अभी तक जिले की नहरों की सफाई नहीं हुई। कीचड़ जमा है, पानी आगे नहीं जाता। हमने कई बार गुहार लगाई लेकिन कोई नहीं आता देखने। किसान ही भुगतते हैं।
गौरव बघेल
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गोपी से तेहरा तक की सड़क बेहद खराब है। आए दिन बाइक गिरती है, लोग घायल होते हैं। सालों से कोई मरम्मत नहीं हुई। प्रशासन सोया पड़ा है। शिकायतों के बाद भी निस्तारण नहीं हुआ।
राकेश कुमार
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धान खरीद में दो किलो सैंपल लेकर घटतौली की जाती है। यह नियम के खिलाफ है। ऊपर से बोरी के 12 रुपए भी लिए जाते हैं। यह सब किसानों से लूट है। इसे तत्काल बंद होना चाहिए।
नन्हे खां मलिक
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रामघाट रोड पर रसिक टावर के पास सड़क में गड्ढे हैं और जलभराव है। इस रास्ते से स्कूल के बच्चे भी जाते हैं। कई बार शिकायत की, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।
प्रेम पाल सिंह
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खतौनी में अंश निर्धारण गलत हो गया है। दो बार दफ्तर गया, हर बार नए कागज मांगे जाते हैं। कोई सुविधा नहीं, बस चक्कर कटवाए जाते हैं। सरकारी विभाग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए हैं।
प्रदीप
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मक्का की फसल सुमेर रजवाहे में पानी न आने की वजह से सूख गई। सिंचाई विभाग कहता है कि मरम्मत चल रही है, लेकिन दो महीने से पानी नहीं आया। ये कैसा किसानों का विकास है।
विकास
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हमारे गांव में आवारा पशु खेतों में घुसकर फसल बर्बाद कर देते हैं। न तो पकड़े जाते हैं और न ही कोई गोशाला ले जाता है। सरकार सिर्फ विज्ञापन में काम करती है।
भानु
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गोंडा रोड से बड़ा गांव तक कोई सार्वजनिक परिवहन नहीं है। अगर इलेक्ट्रिक बस चलाई जाए तो स्कूल, कॉलेज और बाजार जाना आसान हो जाएगा। किसानों को भी काफी सहूलियत मिलेगी।
जगदीश
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हर साल किसान आयोग बनाने की बात होती है, लेकिन 75 साल में आज तक नहीं बना। उद्योग के लिए बोर्ड है, व्यापारी के लिए मंडी है, लेकिन किसान के लिए कुछ नहीं।
देवकी नंदन
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खाद-यूरिया खरीद में जबरन दूसरा सामान बेचने की कोशिश की जाती है। यूरिया के साथ ट्राईकोडरमा या स्प्रे जबरदस्ती थमाया जाता है। विरोध करो तो बोलते हैं स्टॉक खत्म हो जाएगा।
मनीष कुमार
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हर साल मंडी में बारिश में अनाज भीगता है। कोई व्यवस्था नहीं की जाती। चबूतरे भी दुकानदारों को दे दिए गए। किसान को जैसे सड़क पर बैठने की आदत डाल दी गई है।
मनीष सिंह
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चीनी मिल में घोटाले की जांच महाप्रबंधक के अधीनस्थ अफसरों से कराना बेमानी है। अगर ईमानदारी से जांच हो तो बड़ी मछलियां फंसेंगी। अभी सबको बचाया जा रहा है।
अनुज
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रात में बिजली नहीं होती। फसल की रखवाली में जानवर खेत में घुस जाते हैं। किसान को चौकीदारी करनी पड़ती है। 10 घंटे दिन में बिजली मिले तो राहत हो।
रामप्रसाद
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पानी, बिजली, सड़क, खाद हर चीज के लिए किसान को संघर्ष करना पड़ता है। फिर भी जब चुनाव आता है तो नेता किसान को ही प्राथमिकता की बात करते हैं। अब भरोसा नहीं रहा।
सुरेश चंद्र लोधी, अध्यक्ष, गल्ला मंडी धनीपुर
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