ट्रैक्टरों ने छीना ट्रक ऑपरेटरों का निवाला
बोले अलीगढ़ अभियान के अंतर्गत रविवार को हिन्दुस्तान समाचार पत्र की टीम ने ट्रक ऑपरेटरों की समस्याओं को समझने के लिए ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के पदाधिकारियों से संवाद किया। यह संवाद जिले के परिवहन व्यवस्था में फैली अव्यवस्था, सरकारी अनदेखी और ट्रक चालकों के आर्थिक संकट को उजागर करता है।
ट्रक ऑपरेटरों का कहना था कि लाखों रुपये टैक्स देने के बाद भी हमारी समस्या जस की तस बनी हुई है। अवैध वाहनों पर संभागीय परिवहन विभाग की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। जिसके चलते वह खुलेआम सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं।
अलीगढ़ में ट्रक ऑपरेटरों का रोजगार इन दिनों गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। ट्रक ऑपरेटर एसोसिएशन के अनुसार जिले में 150 से अधिक ट्रक ऑपरेटर सक्रिय हैं जो प्रतिवर्ष सरकार को लाखों रुपये टैक्स और फीस के रूप में अदा करते हैं। इसके बावजूद इन्हें कार्य मिलना मुश्किल हो गया है। इस संकट की जड़ में बिना परमिट और बीमा के सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रही ट्रैक्टर-ट्रॉली हैं। जो व्यापारिक गतिविधियों में प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा ले रही हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष हेमराज सिंह राना ने बताया कि ये ट्रैक्टर-ट्रॉली ओवरलोडिंग करते हुए बेहद कम दरों पर माल ढोती हैं। जिससे ट्रक ऑपरेटरों को प्रतिस्पर्धा में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जहां ट्रक ऑपरेटर 30 रुपये प्रति क्विंटल की दर से माल उठाते हैं। वहीं ये ट्रैक्टर-ट्रॉली महज 15 से 20 रुपये में ही काम कर लेती हैं। क्योंकि न तो इन्हें सरकार को कोई टैक्स देना है और न ही इनका टोल टैक्स लगता है। ट्रक ऑपरेटरों का आरोप है कि इस अवैध धंधे को विभागीय संरक्षण प्राप्त है। पूरे जिले में लगभग 300 ट्रैक्टर-ट्रॉली व्यावसायिक कार्यों में लिप्त हैं। जबकि विभाग के पास महज 15 से 20 ही पंजीकृत हैं। इन ट्रैक्टरों की गतिविधियां मुख्य रूप से खेरेश्वर, सूतमिल, पचपेड़ा, नुमाइश ग्राउंड, भरतरी और सासनी गेट इलाकों में अधिक देखी जा रही हैं। इन अवैध वाहनों से न केवल ट्रक ऑपरेटरों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है। सड़क सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है। ओवरलोडिंग के कारण कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें जानमाल की हानि हुई है। फिर भी, अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई और हालात नहीं सुधरे, तो उन्हें उग्र आंदोलन की राह पकड़नी पड़ेगी। ट्रक ऑपरेटरों की यह नाराजगी जिले में व्याप्त परिवहन अव्यवस्था और सरकारी निष्क्रियता की गूंज है। जो अब आंदोलन का रूप लेने की ओर अग्रसर है।
कुछ प्रमुख बातें
-जिले में कुल ट्रैक्टर-ट्रॉली लगभग 300
-पंजीकृत ट्रैक्टर-ट्रॉली: सिर्फ 15-20
-सीमेंट, ईंट, गेहूं, खाद आदि माल का परिवहन करते हैं
-टोल टैक्स माफ, बीमा व परमिट नहीं
-लगभग रोजाना हादसों का कारण बनते हैं।
-खेरेश्वर, सूतमिल, पचपेड़ा, नुमाइश ग्राउंड, भरतरी, सासनी गेट आदि स्थानों पर नजर आते हैं।
वर्ष हादसे मृतक घायल
2019 929 530 928
2020 472 314 463
2021 552 473 583
2022 871 517 461
2023 839 466 817
2024 900 500 900
2025 279 132 299
नोट- वर्ष 2025 का आंकड़ा मार्च तक का है।
बोले ट्रांसपोर्टर
सरकार से लेकर विभाग तक हमसे हर साल हजारों रुपए वसूले जाते हैं। लेकिन जब काम देने की बात आती है, तो सब मौन हो जाते हैं। ट्रैक्टर-ट्रॉली हमारे पेट पर लात मार रहे हैं, लेकिन अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं।
हेमराज सिंह राना, अध्यक्ष, ट्रक ऑपरेटर यूनियन
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हमने ये काम इज्जत से करने के लिए चुना था। लेकिन अब शर्म आने लगी है। ट्रैक्टर के सामने हमारी गाड़ियां खड़ी रह जाती हैं। कई बार तो दिन में कोई काम ही नहीं मिलता। ट्रैक्टर वाले कम भाड़े पर काम कर रहे हैं।
नीरज गुप्ता
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हमने बैंक से लोन लेकर गाड़ी खरीदी। हर दस्तावेज पूरा कराया। अब अगर ट्रैक्टर ही सारा माल उठा ले जाएं तो हम अपना किश्त कहां से भरें। सरकार को सिर्फ टैक्स चाहिए, बाकी परेशानी उसकी नहीं।
युवराज सिंह
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ट्रैक्टर वाले बिना नंबर, बिना बीमा और बिना रजिस्ट्रेशन के हर जगह काम कर रहे हैं। हम लाइन में खड़े रहते हैं और ट्रैक्टर बाजू से सारा माल उठा ले जाते हैं। ये अन्याय नहीं तो और क्या है।
पवन कुमार
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ट्रक ऑपरेटरों की हालत अब भीख मांगने जैसी हो गई है। गाड़ी चलाने के सारे नियम हमारे लिए हैं। ट्रैक्टर वालों के लिए कोई रोक नहीं। हम आंदोलन करेंगे, यही एकमात्र रास्ता बचा है।
विनोद चौधरी
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पिछले कई सालों से हम इस कारोबार से जुड़े हैं। लेकिन जितनी बुरी हालत अभी है, पहले कभी नहीं देखी। ट्रैक्टर-ट्रॉली ने पूरा ट्रांसपोर्ट बाजार बिगाड़ दिया है। कोई कुछ नहीं कहता, सबकी मिलीभगत है।
सर्वेश
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अब तो ग्राहक भी ट्रक नहीं बुलाते, सीधे ट्रैक्टर को फोन करते हैं। क्योंकि वो आधे रेट में ओवरलोडिंग कर देते हैं। हमारी गाड़ी खड़ी रहती है और ट्रैक्टर वाले कम दाम में काम कर लेते हैं।
बॉबी चौधरी
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ओवरलोडिंग से ट्रैक्टर रोज एक्सीडेंट कर रहे हैं, लेकिन किसी को फर्क नहीं पड़ता। हम क्या करें। ये न तो सरकार को राजस्व दे रहे हैं। इनका कोई टोल टैक्स भी नहीं लगता।
महेश ठाकुर
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हम नियमों का पालन करते हैं, फिर भी हमारे साथ ऐसा भेदभाव क्यों। अगर ट्रैक्टर को ही माल ढोना है, तो सरकार हमें टैक्स क्यों वसूलती है। हमें भी ट्रैक्टर जैसा छूट दो या फिर इन्हें रोको।
जॉनी ठाकुर
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हम जब तक परमिट न हो, बीमा पूरा न हो, गाड़ी नहीं निकालते। लेकिन ट्रैक्टर वालों को कोई परवाह नहीं। ट्रक वालों का धंधा चौपट हो रहा है और प्रशासन बस तमाशा देख रहा है।
प्रमोद
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हमारी गाड़ियां सड़क पर चलेंगी तभी किश्त, बीमा, डीजल और स्टाफ का खर्च निकलेगा। लेकिन जब काम ही नहीं मिलेगा, तो सबकुछ डूब जाएगा। सरकार को यह संकट समझना होगा।
दीपक चौधरी
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छोटे ट्रक ऑपरेटरों की स्थिति दयनीय हो चुकी है। जिनके पास दो-तीन गाड़ियां हैं, उनके लिए स्टाफ का वेतन तक निकालना मुश्किल हो गया है। अगर ऐसे ही चलता रहा, तो सैकड़ों परिवार बेरोजगार हो जाएंगे।
अनिरुद्ध प्रताप सिंह
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हम सुबह 6 बजे अड्डे पर पहुंच जाते हैं, लेकिन सारा माल ट्रैक्टर उठा लेते हैं। रात को फिर खाली घर लौटते हैं। अब परिवार पूछता है काम नहीं मिला क्या। ये हालत शर्मनाक है।
दीपक शर्मा
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ट्रैक्टर वालों को कोई नियम नहीं रोकता। ट्रक वालों को हर चीज का हिसाब देना पड़ता है। ये दोहरी नीति है। हम कब तक सहते रहेंगे। या तो ट्रैक्टर पर कार्रवाई हो या हम भी नियम तोड़ें।
रवि शर्मा
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हमारी पूरी जिंदगी इस कारोबार में निकल रही है। लेकिन कभी ऐसा दौर नहीं देखा। प्रशासन की निष्क्रियता ने नए ऑपरेटरों का हौसला तोड़ दिया है। जब ट्रैक्टर ही सब काम करेंगे तो ट्रक क्यों चलाएं।
बादल
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कई बार देखा है कि ट्रैक्टर ओवरलोड करके तेजी से दौड़ते हैं और एक्सीडेंट करते हैं। लेकिन ट्रैफिक पुलिस तक रोकती नहीं। हमारी ट्रक की हर छोटी गलती पर चालान होता है। यह न्याय नहीं है।
प्रमोद
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गाड़ी चलाने में रिस्क है, खर्चा ज्यादा है और अब तो काम भी नहीं रहा। हमारे बच्चे फीस तक नहीं भर पा रहे। ट्रैक्टर ने हमसे रोटी छीन ली है। सरकार सुनती क्यों नहीं।
तनुज
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हमने ट्रक में काम सीखा था, यही रोजगार था। अब वो भी छिन गया है। ट्रैक्टर हर जगह माल ले जा रहे हैं, हम बस टुकुर-टुकुर देखते रहते हैं। हालत बहुत बुरी हो चुकी है।
योगेश
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जो गाड़ी वैध है, उसे काम नहीं और जो अवैध है, वो दौड़ रही है। ट्रक ऑपरेटरों की रोजी-रोटी पर संकट है। हमने लिखित शिकायतें दी हैं, लेकिन प्रशासन हर बार अनसुनी कर देता है।
आकाश
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पहले एक गाड़ी से चार लोगों का घर चलता था। अब वह गाड़ी ही खड़ी है। ट्रैक्टर-ट्रॉली के अवैध कामों पर रोक नहीं लगी तो अलीगढ़ में ट्रक व्यवसाय पूरी तरह खत्म हो जाएगा।
कैलाश चंद्र
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हमारे पास जो काम आता है, वो भी कम दाम में मिलता है क्योंकि ट्रैक्टर पहले ही रेट गिरा चुके होते हैं। सरकार ने आंख मूंद ली है। अब या तो नियम सब पर लागू हों या हमें भी छूट दो।
अजय कुमार
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इतनी मेहनत के बाद भी ट्रक चलाने वालों को कुछ नहीं मिल रहा। सरकार ट्रक वालों को अपराधी जैसा ट्रीट करती है और ट्रैक्टर वालों को खुली छूट देती है। ये भेदभाव अब और नहीं सहेंगे।
गौरव
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