मातृत्व का मिशन बना ‘कंगारू केयर
Aligarh News - फोटो, (अंतरराष्ट्रीय कंगारू देखभाल जागरूकता दिवस) -कंगारू मदर केयर यूनिट में शिशुओं को दुलार

फोटो, (अंतरराष्ट्रीय कंगारू देखभाल जागरूकता दिवस) -कंगारू मदर केयर यूनिट में शिशुओं को दुलार देतीं नर्स -कमजोर बच्चों की मां की तरह की जाती है देखभाल -ब्लॉक स्तर पर स्वास्थ्य केंद्रों पर दी गई है सुविधा अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। मां न हो तो क्या हुआ, अब नर्सें भी वही ममता दे रही हैं। अस्पतालों में ‘कंगारू मदर केयर एक ऐसी सुविधा है, जहां समय से पहले जन्मे नन्हे शिशुओं को नर्सें अपनी गोद में लेकर जीवन की डोर थमा रही हैं। उन्हें छाती से लगाकर दी जा रही गर्माहट शरीर ही नहीं, आत्मा तक पहुंच रही है। यह अपनापन, यह स्पर्श आंकड़ों में भी दिखने लगा है।
शिशु मृत्यु दर तेजी से घटी है और संस्थागत प्रसव में वृद्धि दर्ज की गई है। चिकित्साधिकारी भी मानते हैं कि ‘कंगारू केयर अब मातृत्व का मिशन बन चुका है। सरकारी अस्पतालों में नवजात की देखभाल के परंपरागत ढांचे को पीछे छोड़ते हुए अब मातृत्व को नए मायनों में परिभाषित किया जा रहा है। जनपद के सभी 12 ब्लॉकों में स्थापित मदर एंड नियोनेटल केयर यूनिट्स (एमएनसीयू) में अब नवजात को मां से अलग नहीं किया जाता, बल्कि मां की गोद में ही आधुनिक तकनीकों से इलाज और देखभाल की जाती है। इस कड़ी में कंगारू मदर केयर (केएमसी) पद्धति ने क्रांतिकारी भूमिका निभाई है। इस विधि में नवजात शिशु को मां या प्रशिक्षित नर्स की छाती से सटाकर रखा जाता है, जिससे उसे प्राकृतिक गर्मी, स्तनपान और भावनात्मक सुरक्षा मिलती है। जवां सीएचसी प्रभारी डॉ. अंकित सिंह के अनुसार, कम वजन वाले बच्चों के लिए यह तकनीक जीवनदायिनी सिद्ध हो रही है, जहां लगातार तापमान, वजन और श्वसन दर की निगरानी की जाती है। अतरौली और खैर में पहले से संचालित यूनिट की सफलता के बाद इसे टप्पल, इगलास, अकराबाद, गौंडा और अन्य ब्लॉकों तक विस्तारित किया गया है। मां की अनुपस्थिति में प्रशिक्षित स्टाफ नर्सें भी कंगारू मदर बन रही हैं और रोजाना कई नवजातों को ‘जीवन स्पर्श दे रही हैं। इस पहल से शिशु मृत्यु दर में राज्य और जिले दोनों स्तर पर तेजी से गिरावट आई है। भारत में यह दर घटकर 30 तक आ गई है, वहीं उत्तर प्रदेश में 41 और अलीगढ़ में 45 तक पहुंच गई है। ..... संस्थागत प्रसव में वृद्धि सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि 2024-25 में 57,500 संस्थागत प्रसव हुए, जो 2019-20 के 48,242 की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है। आरसीएच के नोडल अधिकारी डॉ. राहुल शर्मा कहते हैं, केएमसी की स्थापना, संसाधनों का विस्तार और जनजागरूकता अभियानों ने मातृ-शिशु स्वास्थ्य की दिशा में नया भरोसा पैदा किया है। कंगारू केयर अब नवजातों को नई जिंदगी देने वाला संवेदनशील अभियान बन चुका है। ... सरकारी अस्पतालों में प्रसव वित्तीय वर्ष, प्रसव 2019-20, 48,242 2020-21, 47,349 2021-22, 51,182 2022-23, 54,458 2023-24, 56,370 2024-25, 57,500
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