'मिनी हरिद्वार' क्यों नजरअंदाज
विश्व पिकनिक दिवस पर देशभर के लोग जब अपने शहरों के खूबसूरत प्राकृतिक और ऐतिहासिक स्थलों पर घूमने निकलते हैं, तब अलीगढ़ का अचल सरोवर एक बार फिर उपेक्षा का प्रतीक बनकर खड़ा है।
स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत इसे आधुनिक और धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए करीब 28 करोड़ रुपये खर्च किए गए। लेकिन नतीजा यह कि आज भी यह आमजन के लिए पूरी तरह खुला नहीं है।
अचल सरोवर को धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन दृष्टिकोण से सजाया गया। इसके केंद्र में 20 फुट ऊंची दक्षिणमुखी शिव प्रतिमा स्थापित की गई जो पूरे शहर की ओर देखती है। प्रतिमा के चारों ओर फव्वारे, श्रद्धालुओं के लिए 510 मीटर लंबा एलिवेटेड परिक्रमा मार्ग, आरती घाट, हवन कुंड, तुलसी वाटिका, लाइट एंड साउंड शो, नौकायन की व्यवस्था, कैंटीन और दर्शनार्थियों के बैठने की सुंदर व्यवस्था की गई। सरोवर के एक छोर पर 20 दुकानों का निर्माण भी कराया गया। लेकिन, यह सारी योजनाएं सिर्फ कागजों और उद्घाटन तक सीमित रह गईं। न नौकायन शुरू हो पाया, न लाइट एंड साउंड शो चालू हुआ, न ही श्रद्धालुओं को परिक्रमा मार्ग से गुजरने दिया जाता है। जो नौकाएं मंगाई गईं थीं, वे धूल फांक रही हैं। कैंटीन और हवनकुंड बंद पड़े हैं। जगह-जगह गंदगी, जलभराव और अव्यवस्था इस भव्य योजना का मजाक उड़ा रही है।
अचल सरोवर की सबसे बड़ी समस्या है साफ जल की अनुपलब्धता। बारिश के पानी को संजोने और शुद्ध करने के लिए यहां एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाया गया, लेकिन उसकी कार्यशैली पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। सरोवर का जल गंदा है और दुर्गंध देता है, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को निराशा होती है।
इतिहास की दृष्टि से देखें तो अचल सरोवर का महत्व अत्यंत विशिष्ट है। महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडवों में से नकुल और सहदेव ने यहां स्नान किया था। यह स्थान सनातन संस्कृति की जीवित धरोहर है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, यहां के जल में स्नान करने से त्वचा रोगों से मुक्ति मिलती थी। यहां बने आरती घाट, तुलसी वाटिका और शिव प्रतिमा स्थल धार्मिक आयोजनों और पर्यटकों को आकर्षित करने में सक्षम हैं। लेकिन, व्यवस्थाओं के अभाव में सब कुछ जड़वत पड़ा है। एलिवेटेड परिक्रमा मार्ग, जो श्रद्धालुओं को सरोवर की परिक्रमा में मदद करता, वह खुद अपनी व्यथा बयां कर रहा है। स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत यह स्थल अलीगढ़ के एक प्रमुख धार्मिक व पर्यटक स्थल के रूप में उभर सकता था। लेकिन प्रशासनिक निष्क्रियता और संचालन की कमी ने इस प्रयास को अधूरा छोड़ दिया। इस पूरी परियोजना का उद्घाटन हुए वर्षों बीत चुके हैं, लेकिन आज तक इसे औपचारिक रूप से जनता के लिए पूर्ण रूप से खोला नहीं गया है।
विश्व पिकनिक दिवस जैसे मौके पर जब लोग शहर के भीतर ही कुछ शांति और सौंदर्य तलाशने निकलते हैं, तो उन्हें केवल ताले, बंद दरवाजे और उपेक्षित योजनाएं दिखाई देती हैं। सवाल ये नहीं कि 28 करोड़ रुपये खर्च किए गए या नहीं। सवाल ये है कि क्या ये पैसा वास्तव में उस उद्देश्य के लिए लगा, जिसके लिए जनता के सामने योजना लाई गई थी। अचल सरोवर आज भी सुंदरता, पौराणिकता और धार्मिक आस्था की दृष्टि से एक बेमिसाल स्थल है। आवश्यकता केवल इसकी सक्रियता और संचालन में पारदर्शिता लाने की है। जिससे यह वास्तव में अलीगढ़वासियों का पिकनिक, पूजा और पर्यटन स्थल बन सके। केवल उद्घाटन के पत्थर तक सीमित न रह जाए।
शहर में तीन नए पिकनिक स्थल बनाने की कवायद
शहर में जल्द ही तीन नए पिकनिक स्थल और सरोवर का तोहफा मिलने वाला है। नगर निगम स्मार्ट सिटी मिशन के तहत गूलर रोड, शक्ति नगर और नई बस्ती में करीब 10 करोड़ रुपये की लागत से इन स्थलों का विकास कर रहा है। इन तीनों स्थानों पर निगम की जमीन पर सरोवर का निर्माण कार्य जारी है। हर सरोवर को न सिर्फ खूबसूरत रूप दिया जाएगा। उसे एक संपूर्ण पिकनिक डेस्टिनेशन के रूप में तैयार किया जा रहा है। इसमें आधुनिक फिल्ट्रेशन सिस्टम की मदद से पानी को स्वच्छ बनाए रखने की व्यवस्था की जाएगी। सरोवरों के चारों ओर हरा-भरा वातावरण बनाने के लिए छायादार वृक्षों, महकते फूलों और सजावटी पौधों का पौधरोपण किया जाएगा। लगभग 300-300 मीटर लंबे वॉकिंग ट्रैक, बच्चों के लिए झूले, म्यूजिकल चेयर, आकर्षक बेंच, और रात के समय रौशनी की पर्याप्त व्यवस्था इन स्थलों को परिवारों के लिए खास बनाएगी। सिर्फ यही नहीं, लोगों की सुविधा के लिए पार्किंग स्थल और फूड प्लाजा भी विकसित किए जा रहे हैं। जिससे लोग सुकून के पल बिताने के साथ स्वादिष्ट व्यंजन का आनंद भी ले सकें। नगर निगम के अधिकारियों के अनुसार, यह परियोजना शहर को एक नया पर्यावरणीय और मनोरंजन केंद्र देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। साथ ही आने वाले समय में शिक्षा, स्वास्थ्य और ज्ञानवर्धक क्षेत्रों में भी कुछ नए प्रोजेक्ट लाने की योजना पर काम चल रहा है।
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