बोले अम्बेडकरनगर: जब आधे से अधिक पद रिक्त तब कैसे होंगे बेहतर काम
Ambedkar-nagar News - अम्बेडकरनगर में 899 ग्राम पंचायतों के लिए 476 लेखपाल पद सृजित हैं, लेकिन केवल 207 पर तैनाती है। इससे लेखपालों पर काम का दबाव बढ़ रहा है। धरना प्रदर्शन के बावजूद समस्याएँ जस की तस बनी हुई हैं। तकनीकी...

अम्बेडकरनगर। जिले में कुल पांच तहसील क्षेत्र के 899 ग्राम पंचायत के लिए लेखपालों के कुल 476 पद सृजित हैं। लेकिन मात्र 207 पद पर ही तैनाती है। ऐसे में लंबे समय से आधे से अधिक पद रिक्त चल रहे हें। नतीजा यह है एक-एक राजस्व कर्मी पर कई-कई गांव की जिम्मेदारी है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्व कर्मचारियों पर काम का दबाव कितना अधिक होता है। आम लोगों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। जिले में अकबरपुर, टांडा, जलालपुर, भीटी व आलापुर तहसील हैं। इसके अलावा कुल नौ ब्लॉक हैं। 899 ग्राम पंचायत में 269 पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं।
कई गांवों की जिम्मेदारी निभाने वाले लेखपालों को सप्ताह में एक बार ही तहसील मुख्यालय पर जाने के भी निर्देश हैं। लेकिन इसके बाद भी उन्हें कई बार मुख्यालय पर बुलाया जाता है। राजस्व वसूली, भूमि का रिकार्ड अपडेट करने, भूमि विवाद के छोटे-छोटे मामले निपटाने की जिम्मेदारी तो लेखपालों पर है। इसके अलावा गेहूं-धान खरीद में किसानों का सत्यापन, भूमि का सर्वे के साथ कई अन्य विभागों के काम भी उनसे लिए जाते हैं। नतीजा यह है कि लेखपाल अपने काम को बेहतर तरीके से नहीं निभा पा रहे। इससे आम लोगों को भी दिक्कत उठानी पड़ती है। लेखपाल संघ के मीडिया प्रभारी अमन सोनकर कहते हैं कि यदि सभी सृजित पद पर तैनाती कर दी जाए तो भी राजस्व कर्मचारियों पर काम का बोझ कुछ हद तक कम हो जाएगा। इससे उन्हें काम करने में आसानी होगी। कहा कि काम का दबाव अधिक होने के चलते किसी काम में विलंब होने पर आम लोगों के साथ-साथ अधिकारियों की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है। लेखपालों व आम लोगों के हित को देखते हुए सभी पद पर तैनाती की जानी चाहिए। धरना प्रदर्शन के बाद भी स्थिति जस की तस: समस्याओं को दूर करने के लिए लेखपाल संघ समय-समय पर धरना प्रदर्शन स्थानीय मुद्दों के साथ प्रांतीय आह्वान पर करता है। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। न तो वेतन बढ़ाया जा रहा है और न ही अन्य समस्याओं को ही दूर किया जा रहा है। इससे लेखपालों के सामने मुश्किलें लगातार बनी हुई हैं। जिलास्तर के साथ-साथ प्रांतीय आह्वान पर अक्सर लेखपाल अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए धरना प्रदर्शन करते रहते हैं। ब्लॉकस्तर से लेकर तहसील, जिला व राज्य स्तर तक धरना प्रदर्शन किया जाता है। कार्य का बहिष्कार भी किया जाता है। बाहों पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया जाता है। इसके बाद भी उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए कोई प्रयास उच्चाधिकारी नहीं करते हैं। लेखपाल संघ अकबरपुर के तहसील अध्यक्ष रूपेश कुमार यादव कहते हैं कि राजस्वकर्मी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वह्न पूरी ईमानदारी के साथ करते हैं। इसके बाद भी उनकी उपेक्षा की जा रही है। राजस्व वसूली के साथ साथ कई अन्य प्रकार के काम लिए जाते हैं, लेकिन उसके अनुसार वेतन नहीं बढ़ाया जा रहा है। महंगाई भत्ता भी नहीं बढ़ाया जा रहा। लेखपालों की सुरक्षा को लेकर भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। दूर हो तकनीकी समस्या, तो ठीक से किया जाए कार्य : राजस्व के सभी कार्य डिजिटल हो गए हैं। लेकिन फीड़िंग के दौरान की गई त्रुटियां और तकनीकी गड़बड़ी के कारण कई बार काम प्रभावित होता है। पोर्टल के धीमा चलने व नेटवर्क समस्या से लेखपालों के सामने अक्सर असहज स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस समस्या को दूर करने के लिए समय-समय पर जिम्मेदारों से लिखित व मौखिक शिकायत दर्ज कराई जाती है। लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। लेखपालों ने कहा कि कम्प्यूटर के बढ़ते चलन और अत्याधुनिक तकनीकि के कारण अब सभी काम डिजिटल हो गए हैं। ज्यादातर काम ऑनलाइन होने लगा है। आधुनिकता के दौर में ऐसा होना आम लोगों के लिए तो काफी बेहतर है, लेकिन राजस्व कर्मियों के सामने अक्सर मुश्किलें खड़ी होती रहती हैं। दरअसल सबसे बड़ी समस्या नेटवर्क को लेकर होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क बेहतर न होने से डिजिटल कार्य को आन लाइन फीड़िंग करने में परेशानी होती है। इसके अलावा जिस पोर्टल पर काम होता है, अक्सर वह काफी धीमा चलता है, जिससे लेखपालों को काम करने में दिक्कत होती है। कभी-कभी तो कई कई दिन तक साइट की समस्या होने पर ऑनलाइन रिपोर्ट नहीं लग पाती है। राजस्व कर्मचारियों को उस समय काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में उन पर राजनीतिक व प्रशासनिक दबाव पड़ता है। ऐसी स्थिति में उनके सामने मुश्किल खड़ी हो जाती हैं। समय-समय पर इसे लेकर लेखपालों द्वारा आवाज बुलंद की जाती है, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हो रहा। राजनीतिक व प्रशासनिक दबाव से मुश्किलें:राजस्व कर्मचारी गांव-गांव जाकर भूमि पैमाइश, भूमि का डिजिटल रिकार्ड रखने व भूमि विवाद निपटाने के अलावा कई अन्य प्रकार के काम करते हैं। लेकिन इसके बाद भी उस समय उनके सामने उहापोह की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जब किसी कार्य के लिए प्रशासनिक या फिर राजनीतिक दबाव पड़ता है। लेखपालों का कहना है कि इतना ही नहीं, कभी कभी आम लोगों द्वारा दबाव ही नहीं बनाया जाता बल्कि धमकी तक दी जाती है। इससे निष्पक्ष रिपोर्ट लगाने में उन्हें कई प्रकार की दिक्कत होती है। ऐसे दबाव के चलते कभी कभी ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो जाती है, जिसका खामियाजा राजस्व कर्मचारियों को भुगतना पड़ता है। लेखपालों ने कहा कि संघ के तत्वावधान में अक्सर राजस्व कर्मचारी ब्लॉकस्तर से लेकर तहसील व जिलास्तर तक धरना प्रदर्शन करते हैं। लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। इससे लेखपालों के सामने निष्पक्ष रूप से काम करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बोले जिम्मेदार: इस बारे में एडीएम वित्त व राजस्व डॉ. सदानदं गुप्ता का कहना है कि लेखपालों के साथ समय समय पर बैठक कर उनकी समस्याओं को सुना जाता है। स्थानीयस्तर पर जो भी समस्याएं होती हैं, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाता है। पद रिक्त होने के चलते कुछ समस्याएं जरूर आती हैं, लेकिन इसके बाद भी बेहतर तरीके से सभी कार्य हो रहे हैं।
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