बोले अम्बेडकरनगर-सिर्फ संकेतकों से नहीं रुकेंगे हादसे, ठोस उपाय भी जरूरी
Ambedkar-nagar News - अम्बेडकरनगर में दुर्घटनाओं की अधिकता वाले 10 स्थानों को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है, लेकिन इन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यातायात...

अम्बेडकरनगर। जिले में दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र होने के चलते 10 स्थानों पर ब्लैक स्पॉट तो बना दिया गया, लेकिन इन क्षेत्रों को इस श्रेणी से बाहर निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। अकबरपुर के गौहन्ना चौराहा, पटेलनगर तिराहा, शहजादपुर तिराहा, मौहरिया खानपुर बाईपास व एआरटीओ कार्यालय क्षेत्र के अलावा बसखारी चौराहा व कश्मीरिया क्षेत्र ब्लैक स्पॉट तो हैं, लेकिन हादसों को रोकने के लिए जो व्यवस्थाएं की जानी चाहिए, वह नहीं की जा रही हैं। इतना ही नहीं, अकबरपुर अयोध्या मार्ग पर तमसा मार्ग मोड़, लाल ब्रदर्स के निकट, पुराने तहसील तिराहा के अलावा जलालपुर के जमालपुर चौराहा, उर्दूबाजार, टांडा के चौक क्षेत्र ऐसे हैं, जो दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र हैं, लेकिन उन्हें ब्लैक स्पॉट नहीं बनाया गया है।
ब्लैक स्पॉट वाले क्षेत्र में निर्धारित से अधिक गति से वाहन फर्राटा भरते हुए गुजर जाते हैं, लेकिन कोई संबंधित चालकों पर ज्यादातर समय कार्रवाई नहीं की जाती है। दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद भी घोषित नहीं है ब्लैक स्पॉट:अकबरपुर अयोध्या मार्ग पर तमसा मार्ग मोड़, पुराना तहसील तिराहा, बस स्टेशन क्षेत्र समेत मुख्यालय पर ही आधा दर्जन से अधिक ऐसे क्षेत्र हैं, जो दुर्घटना बाहुल्य हैं। इसके बाद भी इन्हें ब्लैक स्पॉट घोषित नहीं किया गया है। सुरक्षा के नाम पर इन क्षेत्रों में महज औपचारिकता ही निभाई जाती है। इसी का नतीजा है कि इन क्षेत्रों में आए दिन हादसे होते रहते हैं। दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र को ही ब्लैक स्पॉट बनाया जाता है। हालांकि नगर में ही आधा दर्जन क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आए दिन हादसे होते रहते हैं। इसके बाद भी इन्हें दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने व संबंधित क्षेत्र में मार्ग हादसों पर अंकुश लगाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। पुराने तहसील तिराहा के निकट व अकबरपुर अयोध्या मार्ग पर तमसा मार्ग मोड़ के निकट अक्सर हादसे होते हैं। दरअसल तमसा मार्ग पर एक दर्जन से अधिक स्कूल व कॉलेज हैं। ऐसे में सुबह व छुट्टी होने के समय अकबरपुर अयोध्या मार्ग पर जाम लग जाता है। इससे हादसे भी होते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता रवींद्र कुमार ने कहा कि नगर में ब्लैक स्पॉट बढ़ाए जाने की जरूरत है। साथ ही संबंधित क्षेत्रों में हादसों पर अंकुश पाने के लिए बेहतर कदम उठाए जाने की भी जरूरत है। जिम्मेदारों को इसे लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए। यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्ती नहीं: यातायात नियमों का पालन कराने के लिए जागरूकता अभियान तो चलता है, लेकिन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्ती नहीं बरती जा रही है। प्रमुख चौराहों से पुलिस कर्मियों के सामने से ही बेधड़क होकर बगैर हेलमेट के ही बाइक लेकर लोग गुजर जाते हैं। इसी का नतीजा है कि हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। ब्लैक स्पॉट क्षेत्र में एक सीमित गति से वाहन चलाए जाने के निर्देश हैं। हालांकि इसका सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है। तेज गति से छोटे बड़े वाहन ऐसे क्षेत्र से गुजर जाते हैं, लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मी ऐसे वाहनों पर कार्रवाई करने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाते। इसके अलावा ट्रिपलिंग करते हुए लोग बेधड़क होकर प्रमुख चौराहों व ब्लैक स्पॉट से गुजरते रहते हैं। बगैर हेलमेट के भी लोग वाहनों पर फर्राटा भरते हैं। हालांकि यातायात पुलिसकर्मियों द्वारा प्रतिदिन चेकिंग अभियान चलाकर वाहनों का चालान भी किया जाता है। लेकिन इसे और प्रभावी बनाने की जरूरत है। ई रिक्शा चालकों की मनमानी से भी बढ़ रहे हादसे:ब्लैक स्पॉट के अलावा कई अन्य ऐसे प्रमुख क्षेत्र हैं, जहां आए दिन हादसे होते रहते हैं। इसका एक मुख्य कारण ई रिक्शा चालकों की मनमानी भी है। जहां तहां मनमाने तरीके से वाहन खड़ा कर यात्री उतारते व सवार करते हैं। कई बार ई रिक्शा चालक बगैर किसी संकेत के ही वाहन मोड़ देते हैं। इससे हादसे भी होते रहते हैं। नगर में ई रिक्शा चालकों की मनमानी भी कम नहीं है। न सिर्फ यह जाम बल्कि हादसे का भी कारण बनते रहते हैं। जहां तहां सवारियों को बिठाने व उतारने के दौरान अन्य लोगों को समस्या होती है। इस प्रकार की मनमानी जिम्मेदारों के सामने होती है, लेकिन इसके बाद भी उन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाती है। और तो और कुई ई रिक्शा चालक ऐसे भी होते हैं, जो किशोर हैं। वे बेधड़क होकर प्रमुख चौराहों व ब्लैक स्पॉट से होकर यात्री लेकर गुजरते हैं, लेकिन उन पर अंकुश लगाने की सुध जिम्मेदारों को नहीं होती है। अकबरपुर के अमित कुमार, रवींद्र कुमार, संजय, मनोज व नियाज कहते हैं कि ई रिक्शों का रूट चार्ट तैयार कर उसका सख्ती से पालन कराना चाहिए। जो भी चालक मनमानी नियमों की अनदेखी करें उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। जब तक ऐसा नहीं होगा, तब तक हादसों पर अंकुश नहीं लग सकेगा। महज औपचारिकता तक सीमित रहता है जागरूकता अभियान:हादसों पर अंकुश पाने व यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए समय समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। हालांकि इस प्रकार का अभियान ज्यादातर महज औपचारिकता तक ही सीमित रहता है। इसके चलते हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष अलग अलग चरणों में जागरूकता अभियान चलाया जाता है। वैसे तो इस प्रकार का अभियान जिले के सभी प्रमुख क्षेत्रों में चलाए जाने के निर्देश हैं, लेकिन ज्यादातर अभियान सिर्फ जिला मुख्यालय तक ही सीमित रहता है। ऐसे अभियान में आम लोगों की भागीदारी भी बहुत कम ही रहती है। ऐसे में अभियान पूरी तरह से सफल नहीं हो पाता है। लेकिन जिम्मेदारों को इसकी कोई परवाह नहीं रहती है। सामाजिक कार्यकर्ता आशुतोष कहते हैं कि जिम्मेदारों को चाहिए कि जागरूकता अभियान में आम लोगों की भी भागीदारी सुनिश्चित कराएं। युवाओं पर विशेष ध्यान दें। उन्हें अभियान से जोड़ें। 10 ब्लैक स्पॉट में पांच सिर्फ अकबरपुर में: जिले में 10 दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र ऐसे हैं, जिन्हें ब्लैक स्पॉट क्षेत्र बनाया गया है। इसमें अकबरपुर में गौहन्ना चौराहा, पटेलनगर तिराहा, शहजादपुर तिराहा, एआरटीओ कार्यालय के सामने व मौहरिया खानपुर बाईपास ब्लैक स्पॉट हैं। इसके अलावा कश्मीरिया चौराहा टांडा, पुंथर टांडा, पलईरामनगर, मसड़ा बाजार, रामपुर सकरवारी बाजार को भी ब्लैक स्पॉट बनाया गया है। हालांकि संबंधित क्षेत्र में हादसों पर पूरी तरह से अंकुश नहीं ल ग पा रहा है। अकबरपुर का गौहन्ना चौराहा चूंकि हाइवे पर है। ऐसे में इस चौराहा से बड़ी संख्या में छोटे बड़े वाहन तेज गति से दौड़ते हैं। इसी प्रकार से पटेलनगर तिराहा अत्यंत भीड़भाड़ वाला क्षेत्र है। शहजादपुर तिराहा हो या फिर एआरटीओ कार्यालय क्षेत्र व मौहरिया खानपुर बाईपास क्षेत्र। इन सभी क्षेत्र में लगभग पूरे दिन भीड़भाड़ रहती है। संबंधित क्षेत्र में सांकेतिक बोर्ड तो लगे हैं, लेकिन कई स्थानों पर इतना किनारे लगे हैं, जो जल्दी दिखते ही नहीं हैं। ऐसे में संबंधित क्षेत्र से होकर तेज रफ्तार से वाहन गुजरते हैं। इसके अलावा इन क्षेत्रों में सुरक्षा के भी बेहतर इंतजाम नहीं हैं। इसी का नतीजा है कि संबंधित क्षेत्रों में हादसों पर पूरी तरह से अंकुश नहीं लग रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता अनंतराम वर्मा कहते हैं कि जिम्मेदारों को चाहिए कि जिन क्षेत्र को ब्लैक स्पॉट बनाया गया है, वहां सुरक्षा के बेहतर इंतजाम करें। यातायात नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करें। ऐसा होने से ही संबंधित क्षेत्र को ब्लैक स्पॉट से बाहर निकाला जा सकता है। हमारी भी सुनिए- जिले के अलग अलग क्षेत्रों में आये दिन लोग मार्ग हादसे का शिकार होते रहते हैं। जिसमें तो कई की मौत भी हो जाती है। हादसों का सबसे बड़ा कारण ओवरस्पीड होता है। इस पर जिम्मेदार अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं। सख्त कार्रवाई के बाद ही इस पर अंकुश लगेगा। प्रेमशंकर तिवारी विभिन्न स्थानों पर दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र का बोर्ड लगा दिया गया है। लेकिन ऐसे क्षेत्रों में हादसे को रोकने के लिए कोई खास प्रयास नहीं किया जाता है। यदि लोगों को जागरूक किया जाए और उन्हें नियमों की जानकारी दी जाए तो इस दिशा में बदलाव हो सकता है। राम अरज वर्मा नगर में पुलिसकर्मियों द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। लेकिन यह उतना प्रभावी साबित नहीं हो पाता, जितना होना चाहिए। लोग बगैर किसी जिम्मेदारी के वाहनों को एक पटरी से दूसरी पटरी पर मोड़ देते हैं, जो कई बार मार्ग हादसे का कारण बनता है। इस पर रोक लगनी चाहिए। राजेंद्र अग्रहरि ई-रिक्शा चालकों की मनमानी भी लोगों पर भारी पड़ती है। ईिरक्शे न सिर्फ जाम का कारण बनते हैं वरन मार्ग हादसे भी इससे होते रहते हैं। पूर्व में इनका रूट चार्ट तय किया गया था, लेकिन ज्यादातर ई-रिक्शा चालक उसका पालन नहीं करते हैं। इसे लेकर गंभीरता दिखाने की जरूरत है। भरतराम वर्मा ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने का क्या मतलब, जब हादसों पर अंकुश ही नहीं लग पा रहा है। ऐसे क्षेत्रों को ब्लैक स्पॉट से निकालने के लिए बेहतर रणनीति की जरूरत है। इस पर काम किया जाए तो काफी हद तक ऐसे क्षेत्रों को ब्लैक स्पॉट से मुक्त किया जा सकता है। इरफान ज्यादातर लोगों को ब्लैक स्पॉट के बारे में जानकारी ही नहीं है। इसके चलते लोग इसे गंभीरता नहीं लेते है। ब्लैक स्पॉट क्षेत्र में वाहनों की गति तेज ही होती है। ऐसे में सिर्फ स्थान चिन्हित कर देने से हादसों पर रोक लगने वाला नहीं है। रजनीश सिंह मुख्य मार्गों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर मार्ग पर रोडलाइट की कोई व्यवस्था नहीं है। यह भी मार्ग हादसे का कारण बनता है। ऐसे मार्गों को चिन्हित कर वहां रोड लाइट जरूर लगवाना चाहिए, जो यातायात की दृष्टि से व्यस्ततम मार्गों में शुमार हैं। ऐसा होने से लोगों को आवागमन करने में सुगमता होगी। शिवम सिंह जिले में ट्रैफिक सिग्नल की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोग जैसे पाते हैं, वैसे रोड को पार कर लेते हैं। नियमों को तोड़ते हुए वाहन चलाते हैं। कई बार इसी के चलते लोग वाहनों की चपेट में आकर घायल भी होते रहते हैं। इस तरह की मनमानी पर जिम्मेदारों को ध्यान देने की जरूरत है। राम विश्वकर्मा जिले के कई मार्गों पर अंधा मोड़ होने के चलते वाहन चालकों को ज्यादा सतर्क रहना पड़ता है। यहां अक्सर हादसे भी होते रहते हैं। कहीं कहीं पर तीव्र मोड़ का बोर्ड लगा होने से लोग सचेत हो जाते हैं लेकिन जहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, वहां लोगों को खासी परेशानी होती है। लक्ष्मण विश्वकर्मा मार्ग हादसों पर अंकुश पाने के लिए जिम्मेदारों को सख्त होना होगा। सबसे पहले ओवरस्पीड करने वालों पर बड़ा जुर्माना लगाया जाए। ऐसे वाहन चालक न सिर्फ खुद बल्कि दूसरों की सुरक्षा को प्रभावित करते हैं। ज्यादातर मार्ग हादसे ओवरस्पीड के चलते ही होते हैं। राम सवारे यातायात नियमों को लेकर जो भी जागरूकता अभियान चलाया जाए, उसमें युवाओं व छात्र छात्राओं को जरूर शामिल किया जाए। ऐसा होने से उन्हें तो जानकारी मिलेगी ही साथ में वे दूसरों को भी जागरूक करेंगे। इससे जागरूकता व सजगता का दायरा बढ़ेगा। सुभाष वर्मा चित्र परिचय-11एएमबीपी15-रामसुचित चिन्हित ब्लैक स्पॉट क्षेत्रों में विशेष जागरूकता चलना चाहिए, जिससे वहां के लोगों को इसके बारे में जानकारी मिल सके। जब लोग जागरूक होंगे तो उनमें सजगता आएगी। इससे भी काफी हद तक मार्ग हादसों पर अंकुश लग सकता है। रामसुचित बोले जिम्मेदार- हादसे पर अंकुश पाने को उठाए जा रहे कदम दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्रों को ब्लैक स्पॉट बनाया गया है। मार्ग हादसों से बचने के लिए वाहन चालकों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। गड़बड़ी मिलने पर वाहनों का चालान भी किया जाता है। चालक निर्धारित गति में ही वाहन चलाएं। यातायात नियमों का शतप्रतिशत पालन करें। - हरेंद्र कुमार, एएसपी पश्चिमी
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