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अपनी ही एसपी को कुचलने की कोशिश की थी, कोर्ट ने सिपाहियों को दी दस-दस साल की सजा

ट्रक चालकों से वसूली पर पहुंची महिला आईपीएस अधिकारी को कुचलने की कोशिश करने वाले सिपाहियों को अदालत ने दस-दस साल की सजा सुनाई है। विशेष कोर्ट ने सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, बरेली, विधि संवाददाताMon, 24 Feb 2025 08:50 PM
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अपनी ही एसपी को कुचलने की कोशिश की थी, कोर्ट ने सिपाहियों को दी दस-दस साल की सजा

बरेली में एसपी ट्रैफिक कल्पना सक्सेना को कार से कुचलने और उन पर जानलेवा हमला करने के चर्चित मामले में सोमवार को फैसला सुना दिया गया। विशेष जज सुरेश कुमार गुप्ता की कोर्ट ने ट्रैफिक पुलिस के सिपाही मनोज कुमार, रावेन्द्र कुमार व रविंद्र सिंह और ऑटो चालक धर्मेंद्र को दस-दस वर्ष कैद की सजा सुनाई है। विशेष कोर्ट ने सभी दोषियों पर एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न देने पर प्रत्येक दोषी को एक-एक वर्ष की अतिरिक्त सजा का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने जुर्माना की आधी राशि एसपी ट्रैफिक को देने के भी आदेश दिए हैं। कल्पना सक्सेना फिलहाल गाजियाबाद में तैनात हैं।

विशेष लोक अभियोजक मनोज बाजपेई ने बताया कि दो सितंबर 2010 को बरेली में तैनात एसपी ट्रैफिक कल्पना सक्सेना को सूचना मिली कि नकटिया के पास ट्रैफिक पुलिस के सिपाही ट्रक चालकों से अवैध वसूली कर रहे हैं। एसपी ट्रैफिक मौके पर पहुंचीं तो देखा कि कार में सवार ट्रैफिक सिपाही ट्रक रोककर चालकों से अवैध वसूली कर रहे हैं। एसपी को देखकर सिपाहियों ने भागने की कोशिश में एसपी ट्रैफिक की हत्या करने के इरादे से कार चढ़ाने का प्रयास किया।

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एसपी ट्रैफिक ने कार ड्राइव कर भाग रहे सिपाही मनोज का एक हाथ से कॉलर और दूसरे हाथ से कार की खिड़की पकड़ ली। मगर उसने कार को दौड़ा दिया। कार में सवार सिपाही रविंद्र सिंह ने जान से मारने की नीयत से एसपी के सिर पर हमला किया और वह काफी दूर तक घिसकर चोटिल हो गईं। सभी सिपाही एसपी को कार से धक्का देकर भाग गए।

इस मामले में ट्रैफिक सिपाही मनोज, रविंद्र सिंह, रवेंद्र कुमार और एक सिपाही के ऑटो चालक भाई धर्मेंद्र के खिलाफ जानलेवा हमले, सरकारी कार्य में बाधा डालने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। 21 फरवरी को सभी आरोपियों को दोषसिद्ध किया गया था। सोमवार को विशेष जज सुरेश कुमार गुप्ता की विशेष कोर्ट में सजा के बिंदु पर बहस हुई और चारों दोषियों को दस-दस साल कैद और एक-एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई।

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एसपी ट्रैफिक समेत 14 लोगों की गवाही पर सुनाई गई सजा

इस मामले में दोषसिद्ध होने के बाद आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ने उन्हें कम सजा दिलाने के लिए कोर्ट में काफी बहस की लेकिन उनकी कोई दलील काम नहीं। कोर्ट ने चारों आरोपियों को दस-दस साल कैद की सजा सुना दी।

इस प्रकरण में वसूली कर रहे ट्रैफिक सिपाही मनोज, रविंद्र सिंह, रवेंद्र कुमार और एक सिपाही के ऑटो चालक भाई धर्मेंद्र के खिलाफ जानलेवा हमले, सरकारी कार्य में बाधा डालने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। केस की सुनवाई विशेष जज सुरेश कुमार गुप्ता की विशेष कोर्ट में हुई। आरोप साबित करने को विशेष लोक अभियोजक मनोज बाजपेई ने 14 गवाह पेश किए थे।

दोनों पक्ष की दलीलों को सुनकर विशेष कोर्ट ने बीती 21 फरवरी 2024 को सभी दोषियों को दोषसिद्ध कर सजा के बिंदु पर बहस को सोमवार की तारीख नियत की थी। सोमवार को विशेष जज सुरेश कुमार गुप्ता की विशेष में दोषियों की सजा निर्धारण पर बहस हुई।

विशेष लोक अभियोजक मनोज बाजपेई ने दलील दी कि दोषी पुलिस कर्मियों ने अपने वरिष्ठ लोकसेवक अधिकारी को जान से मारने को कार चढ़ाकर हत्या का प्रयास किया है। पुलिसकर्मियों द्वारा ही देश के वरिष्ठ अफसर, नेता, प्रसिद्ध व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान की जाती है। पुलिकर्मियों का कृत्य अतिगंभीर प्रकृति का है, दोषियों को अधिक से अधिक सजा दी जाए।

वहीं, दोषी ट्रैफिक सिपाही मनोज के अधिवक्ता ने दलील दी कि उसकी पत्नी हार्ट पेसेंट है। उसका इलाज एम्स में चल रहा है। ट्रैफिक सिपाही रविंद्र के अधिवक्ता ने उसे शुगर और ब्लड प्रेशर का मरीज बताया और तीनों ट्रैफिक सिपाहियों ने घटना के समय से निलंबित चलने की दलीलें देकर कम से कम सजा की गुहार की लेकिन उनकी कोई दलील काम नहीं आई।

दो बार बर्खास्त हुए आरोपी

इस वारदात के बाद ट्रैफिक पुलिस के सिपाही मनोज, रविंद्र सिंह, रवेंद्र कुमार को तत्काल सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर तीनों को बर्खास्त कर दिया गया लेकिन वे हाईकोर्ट से बहाल हो गए। इसके बाद मामले में दोबारा पैरवी हुई और दोनों को फिर बर्खास्त कर दिया गया।

अभियोजन अधिकारी विपर्णा गौड़ के अनुसार शासन के पत्र पर जिला अधिकारी द्वारा अभियोजन संवर्ग से मुझे व एसपीओ श्री एस के सिंह को इस मुकदमे की पैरवी हेतु नामित किया गया था जिसमें अभियोजन की प्रबल और मजबूत पैरवी से कठोर सजा संभव हो सकी है। इस निर्णय से निश्चित ही समाज पर गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा सभी योग्य पुलिस अधिकारियों का मनोबल बढ़ेगा।

उधर गाजियाबाद में तैनात कल्पना सक्सेना ने कहा कि न्यायिक कार्रवाई पर मुझे पूर्ण संतोष है। अभियोजन पक्ष और उनकी टीम ने अच्छा कार्य किया। इस निर्णय से समाज में एक संदेश जाएगा कि अपराधी चाहे पुलिस की वर्दी में ही क्यों न हो, कानून उसे भी सजा देगा। ये केस 15 साल से दबा हुआ था लेकिन सरकार पुराने केसों पर ध्यान दे रही है। उसका परिणाम है कि केस फास्टट्रैक कोर्ट में लगा और फिर तेजी से सुनवाई हुई और दोषियों को सजा मिली।