इमरजेंसी हालात के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है 'श्रीराम अस्पताल'
Ayodhya News - अयोध्या के श्रीराम अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन की कमी है, जिससे आपातकालीन परिस्थितियों में समस्या उत्पन्न हो रही है। श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि के बावजूद डॉक्टरों की कमी और...

अयोध्या, संवाददाता। रामधाम के श्रीराम अस्पताल में वर्षों से हृदय रोग विशेषज्ञ, सर्जन और रेडियोलॉजिस्ट नही हैं। आपातकालीन स्थितियों में निपटने के लिए अस्पताल के डॉक्टरों के पास रिफर ही एक सहारा है। अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण स्थल के करीब अस्पताल होने के बावजूद व्यवस्थाएं नाकाफी हैं। श्री रामजन्मभूमि परिसर से सटे एक मात्र बड़े चिकित्सालय के रूप में पहचान रखने वाला अस्पताल खुद बीमार है। नाम बड़े और दर्शन छोटे होने वाली कहावत इन दिनों अस्पताल पर सटीक बैठती है। क्योंकि कुछ डॉक्टरों की कमी पिछले कई वर्षों से है, व्यवस्था बैसाखी के भरोसे चलाई जा रही है। जबकि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद से यहां श्रद्धालुओं की कई गुना संख्या बढ़ गई है।
इसलिए अस्पताल में मरीजों स्थानीय के साथ बाहरी मरीजों की संख्या में भी खासा इजाफा हुआ है। जहां पहले प्रतिदिन चार से छह सौ के बीच नामांकन होते थे आज वहां यह संख्या बढ़कर आठ सौ पार कर गई है। देश के विभिन्न क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का आवागमन होता है। वातावरण परिवर्तन के कारण वृद्ध और बच्चों की तबीयत सामान्य तौर पर खराब हो जाती है, लेकिन अधिक ठंड और अधिक गर्मी के दिनों मे हृदय से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इसके बावजूद लगभग पांच वर्ष पहले हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन के जाने के बाद यहां दो विभागों में स्थाई तौर पर किसी डॉक्टर की नियुक्ति नही हुई है। वहीं दूसरी तरफ लगभग एक वर्ष से अल्ट्रासाउंड मशीन धूल फांक रही है। जिससे मरीजों को अधिक रुपये देकर मजबूरन बाहर से जांच करानी पड़ रही है। इसके बावजूद समस्या समाधान के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। समस्याओं का हल न निकलने के पीछे का कारण जानने के लिए फोन द्वारा सीएमएस डॉ विनोद कुमार वर्मा और प्रशासनिक अधिकारी डॉ वाईपी सिंह से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। मोबाइल में फोटो खींचकर मरीज डॉक्टर को दिखाते हैं रिपोर्ट : डिजिटल एक्स-रे मशीन अस्पताल में मौजूद है। इसके बावजूद रिपोर्ट दिखाने वाली फिल्म नहीं है। इसलिए मजबूरन मरीज को स्क्रीन की फोटो उनके मोबाइल द्वारा खींचकर दे दी जाती है। जिसे डॉक्टर देखकर दवाई लिख देते हैं। सूत्रों की माने तो पिछले कई महीनों से यह प्रक्रिया अनवरत जारी है। इसके बावजूद जिम्मेदारों ने आंखे मूंद रखी है।
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