हनुमान जी महाराज के चरित्र का मनमोहक वर्णन सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध
Azamgarh News - आजमगढ़, संवाददाता। शहर के जाफरपुर स्थित श्री राम जानकी मंदिर पर आयोजित सात

आजमगढ़, संवाददाता। शहर के जाफरपुर स्थित श्री राम जानकी मंदिर पर आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्री हनुमान कथा के तीसरे दिन बाल व्यास पंडित कौशल किशोर महाराज ने कहा कि इस पृथ्वी पर प्रभु के विविध रूप में समय-समय पर अवतार हुआ करते हैं । उन्होंने श्री हनुमान जी के चरित्र का मनमोहक वर्णन करते हुए कहा की श्री हनुमान जी विद्या अध्ययन की इच्छा से भगवान सूर्य के पास गए और भगवान सूर्य से स्वयं को विद्या पढ़ाने की बात करने लगे। भगवान सूर्य ने कहा कि हनुमान मेरी गति बड़ी तीव्र है और मैं एक जगह स्थिर नहीं रहता हूं, आप हमसे कैसे विद्या पढ़ोगे ।
हनुमान जी ने कहा कि आप हमें विद्या पढ़ने की अनुमति प्रदान करें, मैं आपके रथ के आगे आपकी ही गति से चलता रहूंगा और आप चलते-चलते हमें पढ़ाते रहिएगा और मैं पढ़ता रहूंगा। हनुमान जी की इस बात को सुनकर के सूर्य देव आश्चर्य में डूब गए और हनुमान जी के निवेदन को स्वीकार कर लिया। भगवान सूर्य का रथ आगे आगे चलता था द्रुत गति से हनुमान जी चलते-चलते भगवान सूर्य से विद्या अध्ययन किया करते थे। व्याकरण वेद वेदांत का अध्ययन करने के पश्चात भगवान सूर्य से श्री हनुमान जी ने कहा कि आप गुरु रूप में हमको ज्ञान दिए हैं और वैदिक नियम है कि गुरु से ज्ञान प्राप्त करने के बाद गुरु दक्षिणा दिया जाता है। आपको मैं गुरु दक्षिणा में क्या दे दूं तब सूर्य देव ने श्री हनुमान जी से कहा कि मेरा पुत्र सुग्रीव कालांतर में किष्किंधा पर आपसे मिलेगा और सुग्रीव को अभय दान देते हुए आप भगवान राम से मिलाने का कार्य कर दीजिएगा। जिससे सुग्रीव का मन भक्ति में लग जाए और भगवान के श्री चरण को प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य कर सके। इस प्रकार सुग्रीव को भगवान राम से जोड़ने के लिए हनुमान जी से सूर्य देव ने सुग्रीव के रक्षा की दक्षिणा माँगी। इस अवसर पर मुन्ना सेठ ,अजय वर्मा ,राय अनूप श्रीवास्तव ,जगदंबा श्रीवास्तव ,टी.पी. सिंह ,गुड्डू सिंह ,बबलू सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।
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