भोग योजना: पुरा महादेव मंदिर के प्रसाद को मिला शुद्धता का प्रमाण
Bagpat News - - एफएसएसएआई की टीम ने मंदिर को दिया भोग योजना का प्रमाण पत्रभोग योजना: पुरा महादेव मंदिर के प्रसाद को मिला शुद्धता का प्रमाणभोग योजना: पुरा महादेव म

भोग योजना के मानकों पर बड़ागांव के त्रिलोक तीर्थधाम के बाद पुरा महादेव मंदिर भी खरा उतरा है। केंद्र की एफएसएसएआई की टीम ने पुरा महादेव मंदिर से भोग और प्रसाद के जो सेंपल लिए थे, वे जांच में शुद्धता के पैमाने पर खरे उतरे है। इससे पूर्व मंदिर की पेयजल और सफाई व्यवस्था भी ऑडिट के दौरान दुरूस्त मिली थी। जिसके बाद एफएसएसएआई ने पुरा महादेव मंदिर को शुद्ध भोग का प्रमाण पत्र दे दिया है। दरअसल, पुरा महादेव मंदिर कमेटी ने केंद्र सरकार की भोग योजना के लिए अक्तूबर 2024 में आवेदन किया था। आवेदन के समय बताया गया था कि मंदिर में बनने वाला भोग और प्रसाद एकदम शुद्ध है।
उसमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं की जाती। मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था की गई है। मंदिर में साफ-सफाई की व्यवस्था भी दुरूस्त है। जिसके बाद केंद्र की ओर से मंदिर का ऑडिट करने के लिए एफएसएसएआई की टीम को भेजा गया था। टीम ने पुरा महादेव मंदिर पहुंचकर वहां बनने वाले प्रसाद, भोग और पेयजल की जांच की। भोग और प्रसाद बनाने में प्रयोग की जाने वाली सामग्री के सेंपल लिए थे। पेयजल और साफ-सफाई को देखा था। टीम ने बिंदुवार रिपोर्ट तैयार की थी। जिसकी जांच रिपोर्ट अब सामने आ गई है। एफएसएसएआई की जांच रिपोर्ट में मंदिर का भोग और प्रसाद शुद्धता के पैमाने पर खरा उतरा है। पेयजल भी शुद्ध मिला है। सहायक आयुक्त खाद्य एवं औषध प्रशासन मानवेंद्र सिंह ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार ने पुरा महादेव मंदिर को भोग योजना के अंर्तगत प्रमाण पत्र दे दिया है। बताया कि मंदिर में बनने वाला भोग और प्रसाद एकदम शुद्ध है। उसमें कोई मिलावट नहीं मिली है। - बड़ागांव को मिल चुका है प्रमाण पत्र सहायक खाद्य आयुक्त ने बताया कि बड़ा गांव के त्रिलोक तीर्थ धाम जैन मंदिर को एफएसएसएआई की ओर से भोग योजना का प्रमाण पत्र मिल चुका है। वर्ष 2022 में मंदिर कमेटी ने भोग और प्रसाद के लिए आवेदन किया गया था। ऑडिट के बाद टीम ने मंदिर के प्रसाद को शुद्धता की जांच की थी। जांच में सभी मानक पूरे होने के बाद त्रिलोकतीर्थ धाम को भोग योजना का प्रमाण पत्र दिया गया था। ------- क्या है भोग योजना भोग प्रमाण पत्र भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा धार्मिक स्थलों को दिया जाने वाला एक प्रमाण पत्र है। इसका मुख्य उद्देश्य धार्मिक स्थलों पर भक्तों को परोसे जाने वाले प्रसाद या भोजन की स्वच्छता, सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। ------- भोग प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया: स्वैच्छिक भागीदारी: यह एक स्वैच्छिक पहल है, अनिवार्य नहीं। धार्मिक स्थलों को खुद से इसमें भाग लेने के लिए रुचि दिखानी होती है। पहचान और पंजीकरण: राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा नोडल अधिकारी नामित किए जाते हैं, जो धार्मिक स्थलों की पहचान करते हैं। पहचाने गए धार्मिक स्थलों को एफएसएसएआई अधिनियम, 2006 के तहत लाइसेंस/पंजीकरण कराना होता है। यह प्रक्रिया एफएसएसएआई के ऑनलाइन पोर्टल (जैसेाङ्मरउङ्मर) के माध्यम से होती है। ऑडिट : एफएसएसएआई द्वारा मान्यता प्राप्त किसी तीसरीपार्टी की एजेंसी (ऑडिटिंग एजेंसी) द्वारा धार्मिक स्थल का निरीक्षण किया जाता है। यह निरीक्षण खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता मानकों (ारर अू३, 2006 की अनुसूची 4 की आवश्यकताओं के अनुसार) का मूल्यांकन करता है। इसमें रसोई की स्वच्छता, भंडारण, कच्ची सामग्री की गुणवत्ता, पानी की व्यवस्था, अपशिष्ट प्रबंधन आदि शामिल होते हैं। प्रशिक्षण : धार्मिक स्थल पर प्रसाद बनाने और परोसने में लगे खाद्य हैंडलर (कर्मचारी) को एफएसएसएआई द्वारा मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण भागीदार द्वारा एफओएसटीएसी के तहत प्रशिक्षित किया जाता है। इस प्रशिक्षण में व्यक्तिगत स्वच्छता, खाद्य पदार्थों के सुरक्षित रख-रखाव, क्रॉस-संदूषण से बचाव, और सही तापमान नियंत्रण जैसी बातें सिखाई जाती हैं। बुनियादी ढांचे में सुधार: यदि निरीक्षण के दौरान कोई कमी पाई जाती है, तो धार्मिक स्थल को उन कमियों को दूर करने और आवश्यक बुनियादी ढांचे में सुधार करने की सलाह दी जाती है। अंतिम ऑडिट और प्रमाणन: सुधारों के बाद, उसी एफएसएसएआई प्रमाणित एजेंसी द्वारा एक अंतिम ऑडिट किया जाता है। यदि धार्मिक स्थल सभी निर्धारित मानकों को पूरा करता है, तो एफएसएसएआई और संबंधित राज्य खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा 'भोग प्रमाण पत्र' जारी किया जाता है। नियमित निरीक्षण और नवीनीकरण: प्रमाण पत्र जारी होने के बाद भी, समय-समय पर निरीक्षण होते रहते हैं ताकि स्वच्छता और गुणवत्ता बनी रहे। यह प्रमाण पत्र आमतौर पर 2 साल के लिए वैध होता है और उसके बाद इसे नवीनीकृत कराना होता है। --------- ये भी होता है सुनिश्चित: कच्ची सामग्री की गुणवत्ता: सुनिश्चित करना कि प्रसाद बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली सभी सामग्री सुरक्षित और अच्छी गुणवत्ता की हो। स्वच्छता: खाना बनाने की जगह, बर्तनों और कर्मचारियों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना। सुरक्षित भंडारण: खाद्य पदार्थों का सही तरीके से भंडारण ताकि वे खराब न हों। अपशिष्ट प्रबंधन: कचरे का उचित निपटान। जागरूकता: धार्मिक स्थलों के माध्यम से भक्तों और आम जनता में खाद्य सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना। ------- कोट- यह प्रमाण पत्र धार्मिक स्थलों को एक विश्वसनीय पहचान प्रदान करता है और भक्तों को यह विश्वास दिलाता है कि उन्हें सुरक्षित और स्वच्छ प्रसाद या भोजन मिल रहा है। बड़ागांव के बाद पुरा महादेव मंदिर को भी भोग योजना के अंर्तगत प्रमाण पत्र मिल गया है। यह बागपत जनपद के लिए बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि यहां के दो बड़े धार्मिक स्थानों को एफएसएसएआई द्वारा भोग प्रमाण पत्र मिल चुका है। मानवेंद्र सिंह, सहायक आयुक्त खाद्य एवं औषध प्रशासन
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।