बोले बलिया: सिस्टम के हैं अंग, ‘सिस्टम से ही कर रहे जंग
Balia News - कलक्ट्रेट कॉलोनी में निवासियों को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। पेयजल व्यवस्था ध्वस्त है, गंदा पानी घरों में पहुंच रहा है और नालियों की सफाई नहीं हो रही। सड़कें खराब हैं और स्ट्रीट...
नगर की कलक्ट्रेट कॉलोनी में चिराग तले अंधेरा की कहावत चरितार्थ हो रही है। सिस्टम का अंग होते हुए भी यहां रहने वाले कर्मचारियों और अन्य लोगों को नगरीय सुविधाओं के लिए जंग लड़नी पड़ रही है। पेयजल व्यवस्था ध्वस्त है। क्षतिग्रस्त पाइप के जरिए गंदा पानी घरों में पहुंचता है। बरसात में जलभराव रहता है। नाले-नालियों की सफाई न होने से घरों का पानी निकलना मुश्किल होता है। ज्यादातर घरों के शौचालय टैंक ध्वस्त हो चुके हैं। स्ट्रीट लाइटें दो वर्ष से खराब हैं। रात के समय पुलिस गश्त नहीं होती। कलक्ट्रेट कंपाउंड के पास बनी कॉलोनी परिसर में ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में बाशिंदों ने समस्याएं गिनानी शुरू कीं तो वे सरकारी फाइलों की तरह मोटी होती चली गईं।
मयंक ने बताया कि यह सिविल लाइन जोन और कलक्ट्रेट कॉलोनी है, लेकिन सुविधाओं का टोटा है। सरकारी फाइलों में यह जोन वर्षों पहले ओडीएफ घोषित हो चुका है, लेकिन सच्चाई कुछ और है। इस कॉलोनी के हर घर का शौच खुली नालियों में गिरता है। अर्जुन यादव ने बताया कि वर्षों पहले बने शौचालय टैंक ध्वस्त हो चुके हैं। इनके निर्माण या मरम्मत की पहल नहीं हो रही। नालियों में शौच बहने से सर्वाधिक तकलीफ भूतल पर रहने वाले परिवारों को होती है। दुर्गंध के कारण घर में रहना मुश्किल हो जाता है। संक्रामक बीमारियों की भी आशंका हमेशा बनी रहती है। इस मामले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से शिकायत की गई, इस समस्या के बारे में बताया गया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सफाई के नाम पर खानापूरीः रिंकू सिंह ने बताया कि सिस्टम में रहकर भी ‘सिस्टम से जूझना पड़ रहा है। कॉलोनी में सफाई की व्यवस्था बेपटरी है। झाड़ू लगाने के लिए कभी-कभार ही सफाईकर्मी इधर आते हैं। जैसे-तैसे सफाई के बाद कूड़े को रास्ते के किनारे ही लगाकर निकल जाते हैं। तेज हवा चलने पर वह कूड़ा फिर घरों तक फैल जाता है। टोकने पर सफाईकर्मी सीधे मुंह जवाब नहीं देते। कई बार तो इसे लेकर विवाद की स्थिति हो जाती है। विकसित हो पार्कः शैलेश कुमार और शुभम प्रकाश ने बताया कि कॉलोनी में बच्चों के लिए पार्क या अन्य सार्वजनिक स्थान नहीं है। कॉलोनी में कई जमीनें खाली पड़ी हैं। इनका उपयोग छोटे पार्कों के निर्माण में किया जा सकता है। पार्क के अभाव में बच्चे छुट्टी के दिनों में सड़कों पर खेलते हैं, जिससे हादसे का भय बना रहता है। कॉलोनी के लोगों को टहलने के लिए सड़कों पर जाना पड़ता है। मार्ग हैं बदहालः दुर्गेश दुबे और प्रियांशु सिंह ने ध्यान दिलाया कि कॉलोनी में कोई भी सड़क दुरुस्त नहीं है। ज्यादातर पेवर ब्लॉक के बने मार्ग अब ध्वस्त हो चुके हैं। कई जगह उनका नामोनिशान मिट गया है। बारिश होने के बाद मोहल्ले के इन मार्गों पर चलना काफी मुश्किल होता है। ई-रिक्शा वाले भी कॉलोनी की मुख्य सड़क पर ही लोगों को उतार देते हैं। बीते दो वर्षों में किसी सड़क की न मरम्मत हुई और न ही नया निर्माण कराया गया। चार माह से फॉगिंग बंदः शैलेश कुमार ने बताया कि कलक्ट्रेट कालोनी में चार माह से फॉगिंग बंद है। नियमित सफाई न होने से नालियां जाम हैं। उनमें कीटनाशक या एंटी लार्वा का छिड़काव भी लम्बे समय से नहीं हुआ। इसके चलते मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। बोले, हर महीने सफाई के नाम पर नगरपालिका के लाखों रुपए कहां जाते हैं, यह जिम्मेदार लोग ही जानें। प्रस्तुति: एनडी राय/श्रवण पांडेय कूड़ा भंडारण या निस्तारण की भी व्यवस्था नहीं रिंकू सिंह ने बताया कि काॅलोनी में कूड़ा भंडारण या उसके निस्तारण की भी व्यवस्था नहीं है। डस्टबिन तो खोजे नहीं मिलेगा। काॅलोनी के लोग अपने घर का कूड़ा कहां फेंकें? संदीप कुमार ने कहा कि पहले सीटी बजाकर डोर-टु-डोर कूड़ा उठाने के लिए कर्मचारी आते थे। पिछले कुछ वर्षों से उनका अता-पता नहीं है। एजेंसी कहां काम करती है, यह तो नपा प्रशासन ही जाने। अंधेरे में जमता है कॉलोनी में नशेड़ियों का फड़ अंकित कुमार ने स्ट्रीट लाइटों के खराब होने तथा उससे हो रही दिक्कतों का जिक्र किया। कहा कि कालोनी में बिजली के खम्भों पर लगी करीब सभी स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। इससे रात में यहां अंधेरे का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। रात में कोई अपने परिवार के साथ बाहर निकलकर टहलने से परहेज करता है। अशोक ने बताया कि दिन में सरकारी कार्यालय चलते हैं, लेकिन शाम ढलते ही कालोनी में नशेड़ियों का दफ्तर खुल जाता है। पाइप क्षतिग्रस्त होने से घरों में गंदे पानी की आपूर्ति शुभम प्रकाश ने बताया कि कलक्ट्रेट काॅलोनी में पेयजल की भी गंभीर समस्या है। नपा की जलापूर्ति का कोई समय तय नहीं है। पेयजल पाइप लाइन के जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से घरों में दूषित जलापूर्ति हो रही है। वह पानी नहाने अथवा बर्तन-कपड़ा धोने लायक भी नहीं होता। अशोक तिवारी ने बताया कि टीडी कॉलेज के पास एक हजार फीट गहरे ट्यूबवेल की बोरिंग हुई थी। वह फेल हो चुका है। बरसात के दिनों में घुटने भर पानी कॉलोनी में लगता है दुर्गेश दूबे ने बताया कि बरसात के सीजन में कालोनी में घुटने भर पानी लग जाता है। इससे होकर ही लोगों का आना-जाना होता है। कॉलोनी वालों के लिए राहत की बात है कि पिछले दो सालों से अच्छी बारिश नहीं हुई है। प्रियांशु ने बताया कि करीब चार सौ से अधिक की आबादी को हर साल जलजमाव का दंश झेलना पड़ता है। हर बार बरसात से पहले समाधान के दावे होते हैं, लेकिन नतीजा सिफर रहता है। सुझाव कॉलोनी में नालियों की नियमित सफाई होनी चाहिए। हर सप्ताह फॉगिंग के अलावा समय-समय पर एंटी लार्वा और कीटनाशकों का छिड़काव भी कराया जाय। जल निकासी का इंतजाम हो। शौचालयों के टूटे टैंकों की मरम्मत कराई जाय, ताकि लोगों को गंदगी, बदबू से निजात मिल सके। कॉलोनी की स्ट्रीट लाइटों को ठीक कराकर प्रकाश का उचित प्रबंध हो। सुरक्षा के लिहाज से पुलिस गश्त भी होनी चाहिए। कॉलोनी में कूड़ा भंडारण तथा उसके नियमित निस्तारण की व्यवस्था की जाय। डोर-टु-डोर कूड़ा कलेक्शन भी शुरू हो। कॉलोनी की बदहाल सड़कों की मरम्मत के साथ ही नई सड़क का निर्माण भी कराया जाय। शिकायतें नियमित सफाई के अभाव में कॉलोनी की नालियां जाम हैं। फॉगिंग नहीं कराई जाती। एंटी लार्वा या कीटनाशकों का छिड़काव भी नहीं हो रहा है। जल निकासी का इंतजाम नहीं होने से बरसात में जलभराव होता है। शौचालयों के टैंक भी टूटे होने से पानी खुले में बहता है। कॉलोनी की स्ट्रीट लाइटें दो वर्षों से खराब हैं। शाम को अराजकतत्वों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं। कॉलोनी में कूड़ा का नियमित उठान नहीं होता। निस्तारण का भी कोई प्रबंध नहीं है। डोर-टु-डोर कूड़ा कलेक्शन बंद है। कॉलोनी की सड़क बदहाल हैं। कई का अस्तित्व समाप्त हो गया है। खराब सड़कों की मरम्मत नहीं कराई जा रही है। बोले जिम्मेदार: नाला सफाई की आवाज उठाई है कलक्ट्रेट काॅलोनी समेत वार्ड की अन्य कॉलोनियों के लिए स्ट्रीट लाइटों का प्रस्ताव नगर पालिका को दिया गया है। चार पार्क का भी प्रस्ताव दिया गया है। इनमें एक पार्क ट्रेजरी परिसर में बन सका है। नाली सफाई के लिए कई बार आवाज उठाई, लेकिन नगर पालिका प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। सड़कों के निर्माण के लिए भी प्रस्ताव दिया है। अभी कोई काम शुरू नहीं हो सका है। अमित कुमार दूबे, सभासद, वार्ड नंबर 12, नपा बलिया हमारी व्यथा सुनें कलक्ट्रेट काॅलोनी में पेयजल का पाइप क्षतिग्रस्त हो गया है। इससे दूषित पानी घरों तक पहुंच रहा है। धनजी यादव पेयजल आपूर्ति समय से नहीं होती। टीडी कॉलेज के पास ट्यूबवेल की बोरिंग फेल होने से समस्या बढ़ गई है। अंकित पानी निकासी की व्यवस्था न होने के कारण बरसात में कलक्ट्रेट काॅलोनी में घुटने भर पानी लग जाता है। दुर्गेश दूबे नालियां बजबजा रही हैं। ओवरफ्लो होकर पानी सड़क पर बह रहा है। संक्रामक बीमारियों का खतरा है। प्रियांशु सिंह शौचालयों के टैंक वर्षों से चोक हैं। इनकी कभी सफाई नहीं होती। दुर्गंध से रहना मुश्किल हो जाता है। शैलेश कुमार काॅलोनी की करीब सभी स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। रात में महिलाएं नहीं निकल पातीं। अराजकतत्वों का जमावड़ा लगता है। शुभम प्रकाश शाम ढलते ही काॅलोनियों में नशेड़ियों का जमावड़ा हो जाता है। महिलाएं बाहर निकलने से परहेज करती हैं। मयंक चार माह से काॅलोनी में फॉगिंग नहीं हुई है। नालियों में एंटी लार्वा या कीटनाशकों का छिड़काव भी नहीं होता। अर्जुन यादव काॅलोनी में पहले रात में पुलिस गश्त होती थी। अब ऐसा नहीं होता। इसकी वजह से अराजकतत्वों की सक्रियता बढ़ गई है। रिंकू सिंह यहां शौचालय हैं, लेकिन टैंकों के क्षतिग्रस्त होने से शौच की गंदगी नालों में ही गिरती है। इससे दिक्कत होती है। संदीप कुमार काॅलोनी में पहले कर्मचारी डोर-टु-डोर कूड़ा उठाने आते थे, लेकिन अब नजर नहीं आते। इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। अशोक तिवारी सड़कें टूटी हुई हैं। आवागमन में दिक्कत होती है। एक भी पार्क नहीं है। खाली पड़ी जमीनों पर एक पार्क बनना चाहिए। दीपक कुमार
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