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बोले बलरामपुर -वर्षों से नहीं बना कटान में समाहित कोड़रीघाट-सरदारगढ़ मार्ग

Balrampur News - बलरामपुर में, जबदही गांव के पास राप्ती नदी की कटान के कारण कोड़रीघाट-सरदारगढ़ मार्ग 20 वर्षों से नहीं बन सका है। लगभग 15,000 लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं। क्षेत्रीय लोग कई बार प्रशासन से गुहार लगा...

Newswrap हिन्दुस्तान, बलरामपुरTue, 20 May 2025 04:55 PM
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बोले बलरामपुर -वर्षों से नहीं बना कटान में समाहित कोड़रीघाट-सरदारगढ़ मार्ग

दुश्वारी एक दर्जन से अधिक गांवों के लोगों के आवागमन के लिए है मुख्य रास्ता, आवागमन में होती है परेशानी मार्ग निर्माण के लिए क्षेत्रीय लोग हर स्तर पर उठा चुके हैं आवाज, अब तक हाथ लगी है निराशा बलरामपुर, संवाददाता। 20 वर्ष पूर्व जबदही गांव के पास राप्ती नदी की कटान में समाहित कोड़रीघाट-सरदारगढ़ मार्ग आज तक नहीं बन सका। ग्रामीण वर्षों से इस मार्ग के निर्माण को लेकर जिला प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा रहे हैं। तब से यह मार्ग अपने सुदृढ़ीकरण को लेकर बाट जोह रहा है। इस सड़क के न बनने से क्षेत्र के लगभग एक दर्जन गांव के लगभग 15 हजार आवादी को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

क्षेत्रवासी सड़क न होने से कोड़री घाट पुल की सुरक्षा के लिए बनाए गए गाइड बांध से होकर अपने गांव तक किसी तरह पहुंचते हैं। करीब दस वर्ष पूर्व बनाए गए गाइड बांध पर लगाया गया खड़ंजा भी उजड़ गया है। वहीं गाइड बांध पर जगह-जगह गड्ढे होने से लोगों का आवागमन करना जोखिम भरा होता है। कोड़री घाट-सरदारगढ़ मार्ग लगभग 20 साल पहले कटान के चलते जबदही गांव के पास 200 मीटर की दूरी तक नदी में समा गया था। कटान करने के करीब दो साल बाद राप्ती नदी इस स्थान को छोड़कर कटान स्थल से करीब 150 मीटर उत्तर दिशा में बहने लगी। कटान स्थल को नौखान के रूप में छोड़ दिया। कोड़री घाट-सरदारगढ़ मार्ग से जबदही, महंतपुरवा, गुलामपुरवा, जबदहा, टेंगनहिया, मानकोट, पासीपुरवा, सरदारगढ़, सोनौढ़ा, झौहना, चारागाह सहित एक दर्जन गांव की लगभग 15 हजार आवादी आवागमन करती थी। कटान के चलते इस मार्ग का नदी में समा जाने से दर्जन भर गांव के लोगों को आवागमन में तमाम परेशानी उठानी पड़ रही है। टेंगनहिया मानकोट सहित करीब आधा दर्जन गांव के लोग कल्ला भट्ठा-गोपियापुर होते हुए लगभग 15 किमी की अतिरिक्त दूरी तय कर मुख्यालय आने-जाने को विवश हो गए। वहीं जबदहा, महंतपुरवा व गुलामपुरवा सहित करीब आधा दर्जन गांव के लोग रघवापुर गांव से होकर कोड़रीघाट आने को विवश हैं। 20 वर्षों में क्षेत्र के लोगों ने कई बार जिला प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों से भी सड़क निर्माण कराए जाने की मांग की, लेकिन उन्हें अधिकारी व जनप्रतिनिधि समस्या से नहीं उबार सके। हर बार अधिकारी व जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को आश्वासन देकर चले जाते हैं, लेकिन समस्या की ओर कोई कदम नहीं उठाया जाता। ग्रामीणों के मुताविक करीब आठ वर्ष पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी ने नदी में समाए मार्ग को पुन: शुरू कराने के लिए निर्माण कार्य करने की जिम्मेदारी जिला पंचायत को दी थी, जिसकी प्रक्रिया तो शुरू की गई, लेकिन इसी बीच जिलाधिकारी का स्थानांतरण हो गया। जिसके बाद से समस्या जस की तस बनी हुई है। नौखान के रूप में छोड़ 150 मीटर उत्तर बह रही नदी जबदही गांव के पास सड़क कटने से उसके किनारे बने घर नदी के मुहाने पर आ गए। कटान स्थल को छोड़ने के बाद नदी लगभग 150 मीटर उत्तर बहने लगी और कटान स्थल को नौखान के रूप में छोड़ दिया। नौखान की गहराई अधिक होने के कारण बरसात शुरू होते ही उसमें पानी भर जाता है। नौखान के तट पर बसे करीब एक दर्जन से अधिक लोग हर साल बाढ़ की त्रासदी इस कदर झेलते हैं कि उन्हें चार महीने तक घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। नांव के सहारे यह लोग किसी तरह घर से बाहर निकलकर घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। ग्रामीणों के मुताविक नौखान गहरी होने के कारण उसका पानी लोगों के दरवाजे तक आ जाता है। जरा सी चूक होने पर बच्चों के साथ लोगों के डूबने की आशंका बनी रहती है। गाइड बांध के उजड़ गए खड़ंजे, गड्ढों में चलना हुआ दूभर कोड़री घाट पुल पर वर्ष 2013 में आवागमन चालू होने के बाद उसकी सुरक्षा के लिए नदी के तट पर जबदही गांव तक गाइड बांध बनाया गया। जबदही सहित अन्य गांव के लोगों ने सड़क न होने के कारण इसी बांध से होकर आवागमन शुरू किया। गाइड बांध पर जिम्मेदारों ने खडंजा लगाया था। जिससे होकर लोग आवागमन करते थे। देखरेख व मरम्मत के अभाव में गाइड बांध में जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। साथ ही उस पर लगाया गया खड़ंजा पूर्ण रूप से उजड़ गया है। खड़ंजा उजड़ जाने एवं बांध पर गड्ढे होने से लोगों को जान जोखिम में डालकर आवागमन करना पड़ता है। सबसे अधिक परेशान रात के अंधेरे में होती है। कई बार साइकिल व बाइक सवार गड्ढे में फंसकर बंधे से नीचे गिर जाते हैं, जिससे उन्हें गंभीर रूप से चोटें भी आती हैं। क्षेत्रवासी बताते हैं गाइड बांध के मरम्मत की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है। बांध के मरम्मत के नाम पर हर साल सिंचाई विभाग के कर्मचारी मिट्टी पटान कर कालम की पूर्ति करके चले जाते हैं। जिम्मेदारों ने नदी में समाए सड़क को बनाना तो दूर गाइड बांध की मरम्मत कराना भी मुनासिब नहीं समझा, जिस कारण करीब एक दर्जन गांव के लोगों आवागमन में परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं।

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