बोले बरेली: अमेरिकी टैरिफ से सहमा मेंथा बाजार, परेशान कारोबारी कर रहे गुणा-भाग
Bareily News - अमेरिका द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाने से बरेली के मेंथा कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इससे उत्पादों की कीमतें बढ़ेंगी और मांग घट सकती है, जिससे किसानों की आय पर विपरीत...

अमेरिका द्वारा भारत से आयातित विभिन्न वस्तुओं पर 27 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने से बरेली के मेंथा कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बरेली मंडल में मेंथा, पिपर मिंट, एसेंसियल ऑयल, कपूर और इसके अन्य बायप्रोडक्ट का उत्पादन करने वाले 52 कारोबारी हैं, जिनमें से सात बड़े निर्यातक अमेरिका को इन उत्पादों का निर्यात करते हैं। इस टैरिफ के लागू होने से उनके व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि इससे इन उत्पादों की कीमत अमेरिका में बढ़ जाएगी और मांग घट सकती है। इसके अलावा, बरेली में करीब दस हजार किसान मेंथा की खेती करते हैं, जिनकी आजीविका इस उद्योग पर निर्भर है। इस नए टैरिफ के कारण बरेली के उत्पादकों, किसानों और कर्मचारियों को वित्तीय नुकसान हो सकता है। ऐसे में सभी की नजरें सरकार के रुख पर टिकी हैं, जो इस संकट से उबारने के लिए जल्द कोई समाधान निकाल सकती है।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से उन उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाया है, जिनका आयात अमेरिका में अधिक होता है। इससे पहले चीन, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों पर भी टैरिफ बढ़ाए गए थे, और अब भारत पर भी यह टैरिफ लागू किया गया है। बरेली से अमेरिका निर्यात होने वाले उत्पादों में पेपर मिंट, पिपर मिंट, स्पेयर मिंट, एसेंसियल ऑयल, कपूर और अन्य बायप्रोडक्ट्स शामिल हैं। टैरिफ बढ़ने के कारण अमेरिका में इन उत्पादों की कीमतों में वृद्धि होगी, जिससे इनकी मांग घट सकती है और निर्यात कम हो सकता है।
इस टैरिफ के कारण उत्पादों की कीमत 100 रुपये से बढ़कर 127 रुपये हो सकती है, जिससे अमेरिकी खरीदार भारत से इन उत्पादों को कम मंगाएंगे। इससे बरेली के उत्पादक, जिनकी मुख्य आय अमेरिका से निर्यात पर निर्भर करती है, को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह स्थिति किसानों पर भी प्रतिकूल असर डाल सकती है, क्योंकि यदि निर्यात कम हुआ और उत्पादों की कीमत गिर गई, तो किसानों की आय भी प्रभावित हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप, किसान मेंथा की खेती कम करने का विचार कर सकते हैं, जिससे यह उद्योग संकट में पड़ सकता है। ऐसे में कारोबारी अब सरकार से राहत की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि वे इस चुनौती से उबर सकें। बरेली के मेंथा उद्योग के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है, और समय रहते सरकार द्वारा कदम उठाए गए तो इस संकट से निपटा जा सकता है।
पहले के ऑर्डर पर नहीं पड़ेगा खास असर
उत्तर प्रदेश मिंट मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोटर्स एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि जो कन्साइनमेंट पहले बुक हो चुके हैं, उन पर टैरिफ का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। जो ऑर्डर कन्फर्म नहीं हुए हैं, वो व्यापारियों के आपसी सहमति पर निर्भर करेगा कि वे टैरिफ लागू होने के बाद अतिरिक्त प्राइस को किस तरह वहन करते हैं।
कारोबारियों पर पड़ेगा असर
मिंट एसोसएिशन के अध्यक्ष फूल प्रकाश का कहना है कि मेंथा और उसके विभिन्न बायप्रोडक्ट पर पहले 1.5 से लेकर छह प्रतिशत तक टैरिफ था जो बढ़कर 27 प्रतिशत हो गया। इन्हीं उत्पादों पर पहले चीन पर 10 प्रतिशत था। दो महीने पहले उसे 20 प्रतिशत किया गया। अब उन्हीं चीनी उत्पादों पर अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाकर कर दिया है 57 प्रतिशत। अब अपने यहां मिंट पर जो 27 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कही जा रही है। इसमें यह साफ नहीं है कि कब से कितना प्रतिशत लगेगा। हालांकि इस टैरिफ का नुकसान यहां के कारोबारियों का तो होगा। अब सरकार से ही राहत की उम्मीद है।
यदि टैरिफ लागू हुआ तो सरकार से सब्सिडी की उम्मीद
उत्तर प्रदेश मिंट मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोटर्स एसोसिएशन के सदस्य व एरोमेटिक एंड एलाइड कंपनी के एमडी गौरव मित्तल का कहना है कि पहले जब हम एक्सपोर्ट करते थे तो हमें सरकार की तरफ से पांच प्रतिशत सब्सिडी मिलती थी, जो ड्यूटी ड्रॉ बैक के रूप में मिलती थी। बाद में उसे भी 0.5 प्रतिशत कर दिया गया। ऐसे में अब यदि 27 प्रतिशत टैरिफ लगता है तो सरकार हमें उस हिसाब से सब्सिडी दे देगी तो हम उतना प्राइस कम करके अमेरिकी बायर्स को कोट करेंगे, जिसका सकारात्मक असर पड़ेगा।
सरकार ड्यूटी ड्रॉबैक दस फीसदी कर दे तो मिलेगी राहत
पवित्र मेंथा फेयर ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड के एमडी निहाल सिंह का कहना है कि टेरिफ लगाने से मेंथा व्यापार पर मिला-जुला असर रहेगा। भारत की तुलना में कई देशों पर अधिक टैरिफ लगाया गया है। इस अंतर के कारण यहां के निर्यातक पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा और उन्हें नेचुरल मेंथा सप्लाई करने के बेहतर अवसर मिलेंगे। यदि भविष्य में अमेरिका अपना मेंथा उत्पादन बढ़ाता है तो प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही उत्पादों के मूल्य बनाए रखने के लिए अथवा कम करने के लिए कंपनियां सिंथेटिक मेंथॉल की ओर भी अग्रसर हो सकती हैं। यदि सरकार निर्यातक को ड्यूटी ड्रॉबैक की राशि 5% से बढ़कर 10 फीसदी कर दे तो मेंथा व्यापारियों को आसानी रहेगी।
टैरिफ अधिक लगाने के पीछे यह हो सकता है कारण
जानकारों का कहना है कि करीब 25 साल पहले तक अमेरिका मेंथा का बड़ा उत्पादक देश था। मिंट और उसके बायप्रोडक्ट में ब्राजील के बाद अमेरिका का ही नाम आता था। औद्योगिकीकरण के कारण धीरे-धीरे वहां इसकी खेती खत्म होती चली गई। बाद में अमेरिका उन देशों से कच्चा माल और तैयार उत्पाद मंगाने लगा, जहां लेबर सस्ती थी और कम कीमत पर उत्पाद तैयार हो जा रहा था। इसके बाद इसकी लेबलिंग कर वह इसे मार्केट में उतार रहा था। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी अर्थव्यवस्था को नेक्स्ट लेबल पर लेकर जाना चाहते हैं। इसके लिए वह भी वही नीति अपना रहे हैं, जैसा कि हमारे यहां के प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर देश बनने के लिए अपनाई है। यही कारण है कि अमेरिका जिन-जिन देशों से जिस हिसाब से उत्पादों का आयात करता है, उसी तरह से उसने टैरिफ लगाया। इससे अमेरिका में उत्पादों की कीमत बढ़ेगी और वहां लोग अपने यहां यहां ही उन वस्तुओं का अधिक उत्पादन करने की सोचेंगे, जिससे उनका मुनाफा बढ़ेगा। कालांतर में स्थिति ऐसी बनेगी कि वह दूसरे देशों में उसे बेच सकेंगे। इससे देश की आर्थिक स्थिति और अधिक मजबूत होगी।
मेंथा कारोबारियों सुनिए:
टैरिफ शुल्क से कारोबार काफी प्रभावित होगा। इसका असर किसानों पर ज्यादा पड़ेगा। पहले से ही विदेशी कंपनियां सिंथेटिक मेंथॉल की ओर मूव कर रहीं हैं। - सौरभ अग्रवाल, आंवला
- भारत से अमेरिका को मेंथा का तेल निर्यात होता है। ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने से अमेरिका में निर्यात किए गए तेल की कीमत बढ़ेगी, जिससे कारोबार प्रभावित होगा। - राजीव गुप्त, मेंथा कारोबारी, मीरगंज
अमेरिकी टैरिफ से मेंथा किसान की आय घटेगी। मेंथा की बेड डाल के लगाई जाने वाली फसल की अपेक्षा किसान अब मक्का, मूंग, सब्जी आदि फसलें खेतों में लगा देगा। इससे मेंथा का रकबा घटेगा।
सुबोध गुप्ता, फरीदपुर
9000 करोड़ रुपये की मेंथा इंडस्ट्री सिंथेटिक मेंथॉल के सस्ते आयात के कारण आर्थिक संकट में है। मिनिमम इंपोर्ट प्राइस तय करने और इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की मांग पर सरकार गौर नहीं कर रही है।
- सूरजभान गुप्ता, आंवला
मेंथा की फसल पर वैसे ही दूसरे फसलों की तुलना में कम दाम मिल रहा है। अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने से व्यापारी तेल कम कीमत पर खरीदेगा। ऐसे में किसानों को और नुकसान होगा। -अनवार खान, दियोरिया अब्दुल्लागंज
मेंथा का तेल बड़े व्यापारी विदेशों को सप्लाई करते हैं। इसके क्रिस्टल दवाओं में इस्तेमाल होते हैं। ट्रंप के ज्यादा टैरिफ लगाने से सबसे अधिक नुकसान किसानों को ही होगा। - रामपाल वर्मा, विलायतगंज
अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से किसानों को जबर्दस्त घाटा हो सकता है। टैरिफ बढ़ने से स्थानीय व्यापारी अपना मुनाफा बरकरार रखने के लिए मेंथा किसानों को उनके तेल का उचित मूल्य नहीं देंगे। - मनोज कुमार शर्मा, फतेहगंज पूर्वी
अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का सीधा असर मेंथा ऑयल की कीमतों पर पड़ेगा। मेंथा की कीमतें घटेंगी, जिससे किसान की आय घटेगी। सरकार को इस तरफ ध्यान देना पड़ेगा।
अमित कुमार, फरीदपुर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।