गन्ने की फसल को रोगों और कीटों से बचाने में जुटे किसान
Bijnor News - जिले में गन्ना, गेहूं और धान मुख्य फसलें हैं। गन्ने की फसल विभिन्न बीमारियों से प्रभावित है। किसानों को नई गन्ना प्रजातियों की बुवाई करने और रोगों के नियंत्रण के लिए सलाह दी गई है। जिला गन्ना अधिकारी...

जिले में गन्ना, गेहूं और धान मुख्य फसल है। जिले में करीब 2 लाख 54 हजार हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है। गन्ने की फसल बीमारियों के मकड़जाल में फंसी है। बीमारी से निजात पाने के लिए काफी किसानों ने तो 0238 भी बदल दिया और नई गन्ना प्रजाति की बुवाई की। गन्ना विभाग ने खुद किसानों से 0238 के स्थान पर दूसरा गन्ना बुवाई करने का आह्वान किया। गन्ने के रोग एवं कीटों के नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी हो गई है। जिला गन्ना अधिकारी प्रभु नरायन सिंह ने बताया कि गन्ने के रोग एवं कीटों के नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी हो गई है।
गन्ने की फसल में समसामयिक लाल सड़न (रेड रॉट), कन्डुआ (स्मट), उकठा (विल्ट), जडवेधक, गुलाबी चिकटा (मिलीबग) रोगों व कीटों से प्रभावी नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी की गयी है। जिला गन्ना अधिकारी प्रभु नरायन सिंह ने बताया कि लाल सडन रोग के रोकथाम के लिये किसान प्रभावित गन्ने के पौध को जड़ से निकालकर नष्ट कर दें तथा गड्ढे में 0.2 प्रतिशत थायोफेनेटमेथिल 70 डब्लू.पी. अथवा एजॉक्सीस्ट्रोबिन 18.2 डाई फेनोकोनाजोल 11.4 एस.सी. के घोल की ड्रेन्चिंग करें। उन्होंने बताया कि कन्डुआ (स्मट) रोग से बचाव के लिए गन्ने की बुवाई के समय ही गन्ने के टुकड़ों को प्रोपिकोनाजोल 25 ईसी या कार्बेन्डाजिम 50 डब्लूपी के 0.1 प्रतिशत घोल में बीज को 10 मिनट तक उपचारित करें। डीसीओ ने बताया कि उकठा विल्ट रोग की रोकथाम के लिए मृदा में बोरेक्स 15 किग्रा प्रति हेक्टेयर डालना अधिक लाभप्रद होता है। बोरान तथा मैगनीज 40 पीपीएम घोल के छिड़काव से प्रभावी नियंत्रण होता है। जड़बेधक के नियंत्रण के लिए ट्राइकोग्रामा काइलोनिस के 50,000 वयस्क प्रति हेक्टेयर की दर से 10 दिन के अंतराल पर माह जून के अन्तिम सप्ताह से माह सितम्बर तक अवमुक्त की जा सकती है। गुलाबी चिकटा मिलीबग के प्रभावी नियंत्रण के लिए गन्ने की लीफशीथ को हटाने के बाद प्रति हेक्टेयर की दर से इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल की 200 मिली अथवा डाइमेथोयेट 30 प्रतिशत ईसी की 1.25 लीटर को 625 लीटर अथवा मोनोक्रोटोफॉस 36 एसएल की 1500 मिली मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500-1000 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। डीसीओ ने बताया कि शासन स्तर से गन्ने की फसल को रोगों व कीटों से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी हुई है।
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