बोले बुलंदशहर: न बैठने की जगह, न शुद्ध पानी का इंतजाम
Bulandsehar News - बुलंदशहर में बैनामा लेखकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रजिस्ट्री कार्यालय में बैठने की व्यवस्था, पीने के पानी की कमी, और शौचालय की अनुपस्थिति जैसी दिक्कतें हैं। इसके अलावा, साइट के ठप...

करोड़ों की संपत्ति का लेनदेन हो या घर परिवार के संपत्ति का बंटवारा हो। संपत्ति को बेचकर रुपये जुटाना हो या जरूरी काम निपटाना हो। इन कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका दस्तावेज लेखक की होती है। वह अपनी कलम से तथ्यों को कानूनी रूप देता है और नियमानुसार निबंधन कार्यालय में लिखे स्टांप को बिना किसी गलती के दाखिल कराता है। लेकिन इनकी कई दुश्वारियां हैं। बैठने की जगह नहीं तो संसाधन का अभाव रहता है। यहां न पीने लायक पानी है और न ही साफ-सफाई रहती है। रोजाना करीब तीन से चार हजार लोग रजिस्ट्री कार्यालय आते हैं। बावजूद इसके तहसीलों पर कोई उचित व्यवस्था नहीं मिल पाती।
बुलंदशहर जिले में सात तहसीलें हैं। इन सभी तहसीलों और रजिस्ट्री कार्यालय में जमीन की खरीद-फरोख्त के लिए बैनामा लेखकों की बड़ी संख्या है। खुर्जा में पुराने थाने के पास ही बैनामा लेखकों और अधिवक्ताओं के चैंबर बने हुए हैं। यहां पर हर रोज रोजाना तीन से चार हजार लोग आते जाते हैं। इतनी भीड़-भाड़ वाली जगह पर शौचालय की व्यवस्था नहीं है। पीने के पानी के लिए बोतल बंद पानी या कैंटर मंगाना पड़ता है। खासकर गर्मियों में पानी को लेकर ज्यादा दिक्कत रहती है। परिसर में चारों ओर गंदगी और खड़ी बाइकों से निकलने तक को रास्ता नहीं रहता है। जिससे बैनामा लेखक और अधिवक्ता परेशान रहते हैं। यहां जमीन के सिलसिले में रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग नकदी लेकर आते हैं। तहसीलों की पुरानी इमारत हो जाने के कारण हादसे का खतरा रहता है। अधिकांश अधिवक्ता अपना खुद की टीनशेड लगवा कर अपना चैंबर बनाए हुए हैं। कुछ पक्के शेड भी हैं। बैनामा लेखक और अधिवक्ता जहां बैठते हैं, वहां पर चारों ओर फैली गंदगी पर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। गंदगी के चलते यहां कई बार तो रुमाल लगाकर बैठना पड़ता है। गंदगी के चलते यहां बीमारी फैलने का भी खतरा रहता है। आसपास पौधों के बीच विषैले जीवों के आने का खतरा भी मंडराता रहता है। ई-फ्रंट आफिस खुलना चाहिए बैनामा लेखकों ने बताया कि जिले में ई-फ्रंट आफिस खुलना चाहिए। प्रदेश सरकार अब संविदा पर निबंधन मित्र भेज रही है। इससे बैनामा लेखकों के काम पर काफी असर पड़ेगा। क्योंकि अभी भी इस काम में काफी प्रतिस्पर्धा हो गई है। जगह-जगह बैनामा लेखक बैठ रहे हैं। जिससे गिने-चुने लोगों के पास ही काम रह गया है। अब यदि सरकार संविदा पर निबंधन मित्र भेज देगी तो इससे कई बैनामा लेखकों के काम पर असर पड़ेगा। कम से कम सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। ताकि बैनामा लेखक और उनके साथ बैठने वाले अधिवक्ताओं के काम प्रभावित ना हो। तहसीलों में सबसे ज्यादा रहती है दिक्कतें बैनामा लेखकों ने बताया कि तहसील में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। यदि कोई व्यक्ति दाखिल खारिज कराने के लिए चलाए जाए तो बिना चढ़ावे के उसका कोई काम नहीं हो पाता। कंप्यूटर पर बैठने वाले कर्मचारी पैसा लेने के बाद भी कई-कई दिनों तक व्यक्तियों को चक्कर कटवाने का काम करते हैं। इससे सबसे ज्यादा असुविधा उन लोगों को होती है जो तहसील मुख्यालय से कई-कई किलोमीटर दूर गांव से आते हैं। पेशकार भी तहसीलों में समय से नहीं आते। दाखिल-खारिज में लोगों के नाम गलत हो रहे हैं। इन्हें ठीक कराने में कई-कई दिन लग रहे हैं। यदि व्यवस्थाओं में सुधार हो जाएगा तो सारी तकलीफें अपने आप दूर हो जाएगी। इसलिए प्रशासन के अधिकारियों को इन सब मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ताकि तहसील की समस्याओं का समाधान हो सके। साइट के नहीं चलने से आती है परेशानी बैनामा लेखकों ने बताया कि रजिस्ट्री कार्यालय में अक्सर जब बैनामा लेखक जमीन से जुड़े काम कराने के लिए जाते हैं तो साइट कई-कई घंटे तक काम नहीं कर पाती। जिस वजह से जमीन खरीदने और बिक्री करने वाले को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है। कार्यालय के बंद होने का समय पांच बजे का है, लेकिन शाम चार बजते ही कार्यालय में काम करना बंद कर दिया जाता है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति पूरा दिन साइट नहीं चलने के कारण आता है तो उसे काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को ठीक कराने के लिए बैनामा लेखक कई बार अधिकारियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी समस्या का कोई समाधान नहीं हो सका है। जिस वजह से उन्हें काफी असुविधा होती है। साइट खासतौर पर सोमवार, बुधवार और गुरूवार को कम ही काम करती है। बैनामा लेखकों के मन की बात बिना रजिस्ट्रेशन व सीओपी के काम करने वालों से बैनामा लेखकों को काफी परेशानी होती है। इस व्यवस्था में जितना जल्दी सुधार होगा, हम लोगों को ही फायदा मिलेगा। -पंकज वशिष्ठ खुर्जा में जिस स्थान पर बैनामा लेखक बैठते हैं, वहां पर किसी भी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। ना तो यहां पर पीने के पानी की व्यवस्था है और न शौचालय है। बैनामा कराने वाले ग्राहकों को पुराने थाना परिसर या फिर नई कोतवाली में जाना पड़ता है। -हिमांशु साइट के नहीं चलने से काफी असुविधा होती है। कई बार शिकायत करने के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं हो सका है। जिस वजह से बैनामा लेखकों को परेशानी उठानी पड़ती है। -मोहम्मद सलीम सप्ताह में तीन दिन साइट ठप रहती है। सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को कम ही साइट काम कर पाती है। ऐसे में इन तीनों ही दिन बैनामा लेखकों के पास सबसे ज्यादा काम आता है। इसमें सुधार की आवश्यकता है। -अंकित शर्मा तहसीलों में दाखिल-खारिज कराने में काफी परेशानी होती है। इसके पीछे मुख्य वजह से कर्मचारियों की लापरवाही। कई-कई दिन तक वह इस समस्या पर काम करने के लिए तैयार नहीं होते। -विनीत कुमार शर्मा सभी कार्यालय के बंद होने का समय निर्धारित है। शाम को चार बजते ही कार्यालय बंद होने लगते हैं। ऐसे में शाम के समय बैनामा लेखकों के पास जो लोग आते हैं, उन्हें अगले दिन आने के लिए कहा जाता है। -विशाल कुमार शर्मा खुर्जा में जिस स्थान पर बैनामा लेखक बैठते हैं, वहां पर वाहनों का अधिक दवाब रहने के कारण अक्सर जाम लग जाता है। इस समस्या का समाधान भी होना चाहिए। ताकि बैनाम लेखकों को राहत मिले। -सोनू कुमार दाखिल-खारिज कराने के लिए जो लोग आते हैं। अक्सर उनके नामों को गलत कर दिया जाता है। जब बैनामा लेखक या अधिवक्ता नाम सुधरवाने के लिए तहसील कार्यालय जाते हैं, तो कर्मचारी सुविधा शुल्क की मांग करते हैं। -गौरव अभी भी कई बैनामा लेखक टीनशेड के नीचे बैठकर काम करने को मजबूर है। प्रशासन के अधिकारियों को चाहिए कि इनके लिए पक्के शेड वाले चैंबर बने। ताकि उन्हें बरसात आदि के मौसम में परेशानी नहीं उठानी पड़े। -लवकेश कुमार जिले की कई तहसील परिसर में गंदगी जमा रहती है। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी बैनामा लेखकों को उठानी पड़ती है। क्योंकि उनका अधिकांश समय तहसील कार्यालयों में व्यतीत होता है। -धीरेंद्र कुमार रजिस्ट्री कार्यालय में रात के समय असमाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। ऐसे में कार्यालय की सुरक्षा व्यवस्था भी सवालों के घेरे में आ जाती है। कार्यालय में सुरक्षा बेहतर होनी चाहिए। -भूपेंद्र शर्मा --------- सुझाव: 1.साइट के ठीक होने की व्यवस्था से बैनामा लेखकों की दिक्कत हो सकती है दूर। 2.जो कार्यालय शाम चार बजे बंद होते हैं, उन्हें पांच बजे तक खुलने की व्यवस्था हो। 3.दाखिल-खारिज के नाम पर अवैध वसूली को बंद किया जाए। 4.अधिक से अधिक रजिस्ट्री कराने की व्यवस्था को लागू किया जाए। 5.खुर्जा में बैनामा लेखकों के बैठने के लिए पक्के शेड बनवाए जाए। शिकायत: 1.साइट के नहीं चलने से बैनामा लेखकों का काम हो रहा है प्रभावित। 2.चार बजे बंद होने वाले कार्यालय का समय एक घंटा बढ़ाया जाए। 3.दाखिल-खारिज के नाम पर हो रही वसूली में शामिल कर्मचारियों पर हो कार्रवाई। 4.रजिस्ट्री कार्यालय में ज्यादा से ज्यादा बैनामा कराने की शुरू हो व्यवस्था। 5.जो बैनामा लेखक कच्चे शेड के नीचे काम कर रहे हैं, उनके लिए पक्के शेड वाले चैंबर बने। ------- कोट: बैनामा लेखकों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल कराया जाएगा। इसके लिए जल्द ही प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता कर समाधान कराने का प्रयास होगा। -प्रदीप चौधरी, विधायक सदर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।