मदरसों को मान्यता देने के नियम और कड़े करें, शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरूरत: सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मदरसा शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधारों की आवश्यकता जताई है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि मदरसों को मान्यता देने के नियम और कड़े किए जाएं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मदरसा शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधारों की आवश्यकता जताई है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि मदरसों को मान्यता देने के नियम और कड़े किए जाएं। मान्यता देने से पहले देखा जाए कि मदरसों में सभी जरूरत सुविधाएं हैं अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि मदरसे सिर्फ धार्मिक शिक्षा के केंद्र न बन जाएं। साथ ही मुख्यमंत्री ने मदरसों में व्यापक सुधार के लिए अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं।
मदरसा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनी कमेटी
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की मदरसा शिक्षा व्यवस्था की गहन समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों की चयन प्रक्रिया को भी निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने की जरूरत है। वर्तमान व्यवस्था में मदरसों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी पुनरीक्षण की आवश्यकता है। ऐसे में निदेशक, अल्पसंख्यक कल्याण, उ.प्र. की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाए, जिसमें बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, वित्त, न्याय एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभागों के विशेष सचिव सदस्य हों। यह समिति मदरसों के सुचारू संचालन और शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा तथा विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए आवश्यक बदलावों पर अपनी संस्तुति देगी।
मुख्यमत्री ने निर्देश दिए कि मदरसों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के सभी आयामों का लाभ मिलना चाहिए। मदरसा शिक्षा को पारदर्शी, गुणवत्तापूर्ण और रोजगारपरक बनाया जाना चाहिए। हर एक विद्यार्थी का भविष्य उज्ज्वल हो, यह सरकार की प्राथमिकता है। सरकार का उद्देश्य केवल सुधार नहीं, बल्कि नवाचार और समावेशिता के माध्यम से मदरसा शिक्षा को मुख्यधारा में लाना है, जिससे समाज के प्रत्येक वर्ग को समान अवसर और समुचित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मदरसा बोर्ड की कामिल (स्नातक) व फाजिल (परास्नातक) स्तर की डिग्रियों को असंवैधानिक घोषित कर दिये जाने से चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। इसी प्रकार, मान्यता के मानक एवं शर्तों को शिक्षा विभाग के स्कूलों के समरूप बनाने हेतु तथा नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप मदरसों के पाठ्यक्रम में बदलाव और पाठयक्रम के अनुरूप शिक्षक-शिक्षणेत्तर कर्मियों की अर्हता में परिवर्तन आवश्यक है। इससे पहले बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग द्वारा एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण के माध्यम से मदरसों की वर्तमान स्थिति, प्रमुख चुनौतियां तथा भावी कार्ययोजना पर विस्तृत जानकारी दी गई। बोर्ड परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले छात्रों की संख्या में पिछले वर्षों में लगातार गिरावट आई है। वर्ष 2016 में यह संख्या 4,22,627 थी, जो वर्ष 2025 में घटकर मात्र 88,082 रह गई है। मुख्यमंत्री ने इसे विचारणीय बताते हुए सुधार की आवश्यकता बताई।
आंकड़ों पर एक नजर
- 13,329 मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हैं
- 12,35,400 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं इनमें
- 9,979 मदरसे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर के हैं
- 3,350 मदरसे माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर के हैं
- 561 मदरसे राज्य सरकार से अनुदानित हैं
- 9889 शिक्षक हैं अनुदानित मदरसों में
- 8367 शिक्षणेत्तर कर्मचारी हैं अनुदानित मदरसों में