UP में 8 सालों में बदली शिक्षा की तस्वीर, अब नहीं चलता नकल और ट्रांसफर का धंधा; लखनऊ में गरजे CM योगी
सीएम योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ मेंकहा कि पिछले आठ वर्ष में हम माध्यमिक शिक्षा और स्कूली शिक्षा की तकदीर और तस्वीर को बदलने में सफल हुए हैं। वर्ष 2017 के पहले बेसिक शिक्षा लगभग बंदी की ओर जा रही थी।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को कहा कि पिछले आठ वर्ष में हम माध्यमिक शिक्षा और स्कूली शिक्षा की तकदीर और तस्वीर को बदलने में सफल हुए हैं। वर्ष 2017 के पहले बेसिक शिक्षा लगभग बंदी की ओर जा रही थी। लगातार छात्र संख्या में गिरावट आ रही थी। माध्यमिक शिक्षा नकल का अड्डा बन गई थी।
मुख्यमंत्री गुरुवार को राजधानी लखनऊ में केंद्र व राज्य स्तरीय बोर्ड परीक्षाओं में उच्च अंक प्राप्त मेधावियों का सम्मान करने और टैबलेट वितरण करने के दौरान संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने इसी के साथ 68वीं राष्ट्रीय विद्यालय खेल प्रतियोगिता 2024-25 में प्रदेश के स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ियों को मुख्यमंत्री विद्यालयी खेल पुरस्कार से सम्मानित किया।
पहले चलता था नकल और ट्रांसफर-पोस्टिग का धंधा
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने यूपी में दो नए बिजनेस खोले थे। एक नकल के नाम पर और दूसरा ट्रांसफर पोस्टिंग का। प्रदेश में थोक के भाव में नकल के अड्डे संचालित होते थे। बाहरी छात्र केवल फॉर्म भरते थे और उनके नाम पर कोई दूसरा परीक्षा दे देता था। वहीं, यहां ट्रांसफर-पोस्टिंग का भी एक उद्योग चलता था। डबल इंजन की सरकार ने इन दोनों प्रकार के अनाचार को रोक करके पारदर्शी और निष्पक्ष प्रणाली को प्रदेश में अपनाया। आज प्रदेश में हमने तय किया है कि परीक्षा वहीं होगी जहां सीसीटीवी कैमरे होंगे, बाउंड्री वाल होगी, इंफ्रास्ट्रक्चर और फर्नीचर होगा। अब परीक्षा 2-3 महीने नहीं चलती, बल्कि 13-14 दिन के अंदर संपन्न होती है।
राजकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की करें शिकायत
मुख्यमंत्री ने हंगामा करने वाले छात्रों को नसीहत देते हुए कहा कि पढ़ाई के साथ-साथ एक-दूसरे के प्रति सम्मान का भाव भी होना चाहिए। समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भाव होना चाहिए। राष्ट्रीय संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। जो नुकसान करता है उसको टोकिए। अगर कमजोर पड़ रहे हैं तो उसकी कंप्लेंट करिए। उसकी फोटो वायरल करिए, बाकी उसकी वसूली हम कर लेंगे। यह सार्वजनिक संपत्ति राष्ट्र की संपत्ति है और हम सब की सामूहिक जवाबदेही का हिस्सा है।
बालकों से ज्यादा मेहनत करती हैं बालिकाएं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परिणाम बड़े चौंकाने वाले रहे हैं। नतीजे बताते हैं कि बालिकाएं ज्यादा मेहनत करती हैं, जबकि बालक मेहनत करने में थोड़ा पीछे हैं। जिन छात्रों ने यहां पर मेरिट में स्थान प्राप्त किया है, उन्हें 100000 नकद, एक टैबलेट, एक प्रशस्ति पत्र और मेडल प्रदान किया गया है। इसी तरह, जिले स्तर पर मेरिट में आए बच्चों को 21000 धनराशि, एक टैबलेट, प्रशस्ति पत्र और मेडल प्रदान किया जा रहा है। यही नहीं, हमारी युवा प्रतिभा ने प्रधानमंत्री के खेलो इंडिया खेलो और फिट इंडिया मूवमेंट से प्रेरित होकर नेशनल लेवल के गेम्स में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।
68वीं राष्ट्रीय विद्यालय खेलकूद प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश के 363 खिलाड़ियों ने भाग लिया, जिसमें 179 पदक इन्होंने प्राप्त किए हैं। इसमें 51 स्वर्ण पदक, 46 रजत पदक और 82 कांस्य पदक शामिल हैं। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ी को 75000, रजत पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ी को 50000 रुपये और कांस्य पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ी को 30000 प्रदेश सरकार की ओर से प्रोत्साहन के रूप में प्रदान किए जा रहे हैं। टीम गेम्स में जिन छात्रों ने स्वर्ण पदक जीता, उन्हें 35000 रुपये, रजत पदक पर 25000 और कांस्य पदक पर 15000 की राशि प्रदान की जा रही है।
संस्कृत भारतीय संस्कृति की आत्मा और आधारशिला
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद और माध्यमिक संस्कृत शिक्षा निदेशालय के नए भवन की आधारशिला भी रखी गई है। वर्ष 2001 में माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन हुआ था, लेकिन पिछले 24 वर्षों में इसके पास अपना भवन नहीं था। इस पर 42 करोड़ 42 लाख 20000 रुपये खर्च होंगे। इसमें संस्कृत की भव्य लाइब्रेरी भी होगी, जिसमें संस्कृत से जुड़ी रोचक जानकारियां होंगी और प्रशिक्षण, संभाषण समेत अन्य कार्यक्रम भी यहां पर होंगे।
लखनऊ में जगत नारायण रोड पर जो राजकीय बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज है, प्रोजेक्ट अलंकार के तहत उसका नवीन भवन 48 करोड़ 92 लाख 80000 रुपये से बनने जा रहा है। ऐसे ही राजकीय बालिका इंटर कॉलेज मलिहाबाद के नवीन भवन के लिए 10 करोड़ 36 लाख रुपये उपलब्ध कराए जा रहे हैं। चंदौली और भदोही में संस्कृत के दो नवीन विद्यालय (छात्रावास के साथ) के लिए भी करीब 20 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यह संस्कृत के उन्नयन और उत्थान के लिए सरकार के द्वारा अपनी ऋषि संस्कृति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का प्रयास है। संस्कृत को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है। यह भारतीय संस्कृति की आत्मा और आधारशिला है।