रक्तदान का ऐसा जुनून, कोई 51 तो कोई 44 बार कर चुका है रक्तदान
Deoria News - देवरिया में रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयासों से युवा रक्तदान करने में आगे आ रहे हैं। उपेंद्र कुमार यादव ने 51 बार और डॉ. रविकांत मणि त्रिपाठी ने 44 बार...

देवरिया, निज संवाददाता। रक्तदान को लेकर समाज में चल रहे कमजोरी के मिथक टूटने लगे हैं। सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयास सार्थक परिणाम दे रहे हैं। इन प्रयासों का परिणाम है कि आज जिले में रक्तदान करने वालों की अच्छी खासी संख्या है। कुछ युवा तो हर तीन महीने में रक्तदान करने लगे हैं। इन युवाओं में से एक ने 51 बार तो दूसरे ने 44 बार रक्तदान करने का रिकार्ड बनाया है। वहीं कुछ युवाओं ने पूरे परिवार रक्तदान कराकर इतिहास रच दिया है। जिले में रक्तदान करने में उपेंद्र कुमार यादव का नाम सबसे ऊपर आता है।
शहर के शिवपुरम कालोनी रामनाथ देवरिया निवासी उपेंद्र निरंकारी सत्संग मंडल से जुड़ने के बाद रक्तदान करने लगे। इस बीच उपेंद्र का सम्पर्क रेडक्रास सोसाइटी से हो गया। इसके बाद उनके रक्तदान करने का हौसला बढ़ता गया। अपने जन्मदिन से लेकर विशेष अवसरों पर उपेंद्र रक्तदान करते आए हैं। इसके अलावा अगर किसी को जरुरत पड़ी तो वह आगे बढ़कर जीवन बचाने के लिए रक्तदान किए। उपेंद्र बताते हैं कि पहली बार बेंगलुरु में रक्तदान किया। इसके बाद यह मिशन के रूप में बढ़ता गया। उन्होंने बताया कि संत निरंकारी मिशन के रक्त इंसान के नाड़ियों में बहे नालियों में नहीं के नारे से प्रेरित होकर लगातार रक्तदान कर रहे हैं। अब तक वह 51 बार रक्तदान कर चुके हैं। इसके लिए राज्यपाल से सम्मान मिल चुका है। 44 बार चुके हैं रक्तदान शहर के उमानगर निवासी यूट्यूब शिक्षक डॉ. रविकांत मणि त्रिपाठी (बीटेक, पीएचडी) ने अब तक 44 बार रक्तदान किया है। रविकान्त बताते हैं कि एक बार रिश्ते के जीजा को रक्त की जरुरत पड़ी। वह दो अन्य लोगों के साथ आठ दिसंबर 2008 को पहली बार इलाहाबाद में भर्ती जीजा के लिए रक्तदान किए। रविकांत ने बताया कि हीमोग्लोबिन स्तर 15-16 ग्राम है। इससे कि रक्त की गुणवत्ता अच्छी है मानी गई। इसे रोगी के लिए अधिक लाभकारी माना गया। तब से रक्तदान का सिलसिला शुरू हो गया। 2010-11 के दौरान इण्डियन रेड क्रॉस सोसाइटी से जुड़ने के बाद रक्तदान मिशन बन गया। इसके बाद हर साल तीन से चार बार रक्तदान करते हैं। इसके लिए वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल सम्मानित कर चुकी हैं। इससे पूर्व डीएम समेत अनेक सामाजिक संगठन सम्मानित कर चुके हैं। रविकांत अपना प्रेरणा स्रोत उत्तर प्रदेश रेडक्रास सोसायटी के उपसभापति अखिलेंद्र शाही को बताते हैं। डॉक्टर ने बताए रक्तदान के लाभ रक्तदान एक दान से चार जीवन को लाभ होता है। दुर्घटना में घायल होने पर या किसी इमरजेंसी में होल ब्लड चढ़ाकर व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। इसके अलावा आरबीसी, प्लेटलेट और प्लाज्मा अलग अलग चढ़ाकर तीन रोगियों की जान बचाई जा सकती है। पालीसाइथिमिया नामक रक्त अधिक बनने पर रक्तदान कर इसके लक्षण कम किए जा सकते हैं। इस रक्त का लाभ लंबे समय से बीमार लोगों, एनिमिया, बोन मैरो फेल्योर के रोगी, रक्त की कमी वाली गर्भवती महिला, डेंगू से पीड़ित समेत अनेक रोगियों को मिल सकता है। डॉ. एचके मिश्र, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक महर्षि देवरहा बाबा स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय
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