बस में सवार लोगों के लिए देवदूत बनकर आए राहगीर
Deoria News - बैतालपुर में एक बस दुर्घटना में 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बस टकराई। हादसे के तुरंत बाद राहगीरों ने घायलों को निकालने में मदद की। महिलाओं और चालक को निकालने में 20 मिनट लगे। एंबुलेंस की कमी के...

बैतालपुर (देवरिया), हिन्दुस्तान टीम। बैतालपुर में हादसे के दौरान बस की रफ्तार 80 किमी प्रति घंटे रही होगी। हादसे की तेज आवाज सुनकर राहगीर व आसपास के घरों में रहने वाले लोगों का दिल दहल गया। लोग मौके पर भाग कर आए और मंजर देख वहां पहुंचे लोगों के भी आंखों में आंसू आ गए। काफी मशक्कत के बाद लोगों ने घायलों को बाहर निकाला। घायलों के लिए राहगीर किसी देवदूत से कम नहीं नजर आए। चिकित्सकों की मानें तो अगर थोड़ा भी उपचार में विलंब हो जाता तो कई लोगों के साथ अनहोनी भी हो सकती थी। घायलों के परिवार के लोगों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों ने भी लोगों के बेहतर कार्य की सराहना की। सुबह के 11 बजे होंगे, लोग अपने-अपने कार्य निपटाने में जुटे हुए थे। अचानक हुए हादसे व तेज आवाज ने लोगों के कान खड़े कर दिए। तेज आवाज सुनकर लोगों का दिल दहल गया। आवाज सुनते ही लोग घटना स्थल की तरफ भागने लगे। लोग मौके पर पहुंचे तो अंदर से लोगों की चीख निकल रही थी और सभी एक-दूसरे से टकराए हुए थे। फाटक व इमरजेंसी फाटक तोड़कर लोगों ने एक-एक लोगों को निकालना शुरू किया। घायलों को निकालने में भी लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। लोगों की मेहनत की देन रही कि बहुत से घायलों की जिंदगी की डोर सुरक्षित हो गई। वरना बड़ी अनहोनी से इन्कार नहीं किया जा सकता था।
चालक व आगे बैठे लोगों को निकालने में हुई मशक्कत
रोडवेज व टैंकर में टक्कर के बाद बस का अगला हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। बस में आगे बैठी एक महिला और चालक उसी में फंस गए। राहगीरों ने आगे का हिस्सा तोड़कर चालक और घायल महिला को बाहर निकाला। इन दोनों को बाहर निकालने में लोगों को लगभग 20 मिनट से अधिक का समय लग गया था। महिला का दोनों पैर क्षतिग्रस्त हो गया और सिर में भी चोट आई थी। बस से बाहर निकलते ही महिला बेहोश हो गई। लोगों ने पानी का छींटा मारकर महिला को होश में लाने का प्रयास तो किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद लोग उसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे, जहां से प्राथमिक उपचार के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया।
एंबुलेंस की पड़ी कमी तो पिकअप व आटो से घायलों को पहुंचाया गया अस्पताल
हादसे के बाद स्थिति काफी भयावह नजर आई। घायलों को तत्काल लोग निकालते गए और जो भी वाहन आते, उसमें उन्हें लादकर अस्पताल भेजने का कार्य शुरू कर दिए। इतना ही नहीं, दो पिकअप में लगभग आठ लोगों के साथ ही कई घायलों को तो आटो व ई-रिक्शा से भी अस्पताल भेजा गया। घायलों का कहना था कि एंबुलेंस कमी पड़ी तो लोगों ने हम लोगों की जान बचाने को जो भी वाहन आए, उसमें लाद कर भेजना शुरू कर दिया।
अपने-अपने सामानों को सुरक्षित करने में जुटे रहे लोग
हादसे के बाद लोगों ने घायलों को बाहर निकाल दिया, घायल होने के बाद भी लोग अपने-अपने सामानों को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करते नजर आए। अपने-अपने सामान के साथ ही अधिकांश घायल अस्पताल पहुंचे।
मेडिकल कॉलेज की इमरेंजसी की चरमरा गई व्यवस्था
हादसा होने के बाद गौरीबाजार पुलिस ने इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों के साथ ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन को भी दे दी। सूचना पर सीएमएस डा.एचके मिश्र कई चिकित्सकों के साथ इमरजेंसी पहुंच गए। 31 घायल अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंच गए। इतने अधिक संख्या में घायलों के पहुंचने से स्ट्रेचर कम पड़ गए। लोग वाहनों से घायलों को गोद में लेकर अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे। वहां भी उन्हें सुलाकर मरहम-पट्टी करने की व्यवस्था नहीं थी। इसलिए 20 से अधिक घायलों को जमीन पर ही लिटा दिया गया और उनका उपचार शुरू किया गया। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें तत्काल स्ट्रेचर के माध्यम से वार्ड में शिफ्ट किया जाने लगा। लगभग दो घंटे तक इमरजेंसी में अफरा-तफरी का माहौल रहा। हाथ में एनएस लेकर लोग घायलों का उपचार कराते रहे।
बाहर तक घायलों का किया गया उपचार
मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी में अंदर भीड़ ज्यादा हो गई, इसलिए पांच से अधिक घायलों का इमरजेंसी के बाहर ही स्वास्थ्यकर्मी स्ट्रेचर पर ही उपचार करना शुरू कर दिए। उनके सहयोग में आम लोग आ गए और एनएस की बोतल लेकर हाथ में खड़े हो गए और स्टाफ नर्स उनका उपचार करती रहीं। यही स्थिति भी लगभग आधे घंटे से अधिक समय तक बनी रही।
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